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प्रसंगवश: ‘माननीयों’ को मुफ्त और आम लोगों को बिजली के झटके पर झटका

बिजली की दरों में वृद्धि के बाद बिजली बिल हाफ योजना में की गई भारी कटौती

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यह तो लूट है! सितंबर में तीन गुना बिजली बिल, हाफ योजना बंद होने से घर का बजट गड़बड़ाया...(photo-patrika)

यह तो लूट है! सितंबर में तीन गुना बिजली बिल, हाफ योजना बंद होने से घर का बजट गड़बड़ाया...(photo-patrika)

छत्तीसगढ़ में पिछले माह ही बिजली की दरों में वृद्धि की गई है। घरेलू उपभोक्ताओं को अब बिजली के प्रति यूनिट 20 पैसे ज्यादा देने होंगे। बिजली कंपनी द्वारा बढ़ाई गईं इन दरों के अनुसार अगस्त माह में बढ़ा हुआ बिजली बिल अभी आने वाला ही है, इस बीच सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई बिजली बिल हाफ योजना में भारी कटौती कर दी है। तत्कालीन सरकार द्वारा 400 यूनिट तक बिजली का उपभोग करने पर बिजली बिल हाफ कर दिया गया था। मान लें कि अगर 400 यूनिट तक बिजली का उपयोग किया तो उसका बिल यदि 2000 रुपए होता था, जिसे बिजली बिल हाफ योजना के तहत 1000 रुपए ही पटाना होता था। विधानसभा चुनाव के समय भी बिजली बिल हाफ योजना को कांग्रेस ने चुनावी मुद्दा बनाया था और कहा था कि अगर भाजपा की सरकार आती है तो वह इस योजना को बंद कर देगी, तब भाजपा ने इसे नकार दिया था और कहा था कि आमलोगों से जुड़ी जनहित की योजनाओं को बंद नहीं किया जाएगा। भाजपा की सरकार बनने पर करीबन डेढ़ साल तक उसने इस योजना को चलाया भी। सरकार ने बिजली बिल हाफ योजना को बंद तो अभी भी नहीं किया है, लेकिन अब इस योजना में भारी बदलाव कर दिया है। अब उपभोक्ताओं का बिजली बिल 400 यूनिट पर नहीं, बल्कि 100 यूनिट के उपभोग पर ही आधा होगा। बिजली बिल हाफ योजना में की गई इस कटौती से आम बिजली उपभोक्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। सोशल मीडिया और विभिन्न माध्यमों से आम लोग अपनी नाराजगी का इजहार भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि मंत्री-विधायकों को मुफ्त बिजली दी जाती है और आम लोगों को बिल के माध्यम से झटके पर झटका दिया जा रहा है। लोगों का कहना तो यह भी है कि माननीयों को हर माह दिया जाने वाला 10 से 15 हजार का टेलीफोन भत्ता भी बंद किया जाना चाहिए, क्योंकि आज हर व्यक्ति मोबाइल फोन का उपयोग करता है और कम से कम 300 रुपए मासिक खर्च पर ही अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा के साथ ही पर्याप्त इंटरनेट डेटा भी मिल जाता है। वे सरकार से चाहते हैं कि माननीयों और आम लोगों के बीच इस तरह की गहरी खाई न बनाई जाए।

-अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com