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आइओसी में क्रिस्टी का चुनाव उम्मीदें जगाने वाला

महिलाएं यों तो देश-दुनिया में उपलब्धियों के कीर्तिमान हासिल करती रहीं हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) में क्रिस्टी कोवेंट्री के रूप में महिला प्रमुख का चुनाव नया इतिहास लिखने वाला है। यह इसलिए भी क्योंकि आइओसी के 130 बरस के इतिहास में पहली महिला चेयरपर्सन बनने के साथ वह इस पद पर आने वाली […]

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महिलाएं यों तो देश-दुनिया में उपलब्धियों के कीर्तिमान हासिल करती रहीं हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) में क्रिस्टी कोवेंट्री के रूप में महिला प्रमुख का चुनाव नया इतिहास लिखने वाला है। यह इसलिए भी क्योंकि आइओसी के 130 बरस के इतिहास में पहली महिला चेयरपर्सन बनने के साथ वह इस पद पर आने वाली अफ्रीका की पहली हस्ती भी बन गई है। क्रिस्टी कोवेंट्री का सम्मान इससे और बढ़ जाता है कि उनका निर्वाचन दुनिया में खेल, कला, साहित्य, उद्योग आदि से जुड़ी 100 प्रमुख व प्रभावी हस्तियों ने किया है। साथ ही उन्हें आइओसी की सबसे युवा अध्यक्ष बनने का गौरव भी हासिल हुआ है। इस निर्वाचन का आशय भी यही है कि क्रिस्टी कोवेंट्री को सिर्फ खेल में मान नहीं मिला है, बल्कि हर क्षेत्र में उनकी स्वीकार्यता पर मोहर लगी है।  खेलों की दृष्टि से उनका यह चुनाव बहुत उम्मीदें जगाने वाला है। ओलंपिक समिति में 130 साल तक शीर्ष पद पर कोई महिला नहीं रही, तो यह विचार आना भी स्वाभाविक है कि तमाम मोर्चों पर महिलाएं जब आगे आ रही हैं तो इस पद तक पहुंचने में इतना समय कैसे लग गया। इसके पीछे गंभीर प्रयासों की कमी दिखती है, जो कहीं ना कहीं पुरुषवादी सोच को प्रबल करती है। पुरुषों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में महिलाओं को आगे लाने की बातें वैसे विलंब से ही सामने आती है।

क्रिस्टी का चुनाव ओलंपिक खेलों तक पहुंचने वाली महिला खिलाडिय़ों में भी नए उत्साह का संचार करने वाला है। साथ ही यह भी कि अब इस पद पर आने वाले समय में महिलाओं को और मौका मिलने के दरवाजे खुल गए हैं। जाहिर है अब जो महिलाएं सामने आएंगी उनको इतना लंबा इंतजार नहीं करना होगा। न सिर्फ ओलंपिक बल्कि क्रिस्टी का यह ओहदा अन्य खेलों में भी शीर्ष प्रशासकीय पदों पर महिलाओं की मौजूदगी को बढ़ाने वाला होगा। ओलंपिक समिति की प्रमुख के रूप में किसी महिला के आने पर आने वाले बदलाव को तो समय ही बताएगा लेकिन यह उम्मीद जरूर की जानी चाहिए कि खेल व खिलाडिय़ों को लेकर सोच में बदलाव जरूर आएगा।   क्रिस्टी खुद अपने देश जिम्बाब्वे की खेल मंत्री रहीं हैं। साथ ही तैराकी में दो बार ओलंपिक स्वर्ण पदक भी जीत चुकी हैं। क्रिस्टी ने खुद कहा है कि पुरानी परम्पराओं की चुनौती देना उनका जुनून है और वे ओलंपिक खेलों को युवा पीढ़ी के लिए आसान बनाना चाहती है। यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि महिला खिलाडिय़ों को लेकर भी ओलंपिक समिति का रुख अब अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशील होगा।