There are Left Front workers, but no voters, vote share decreased
केडी पार्थ
कोलकाता. बंगाल में वाममोर्चा के सबसे बड़े घटक दल माकपा के पास कार्यकर्ता तो हैं, लेकिन मतदाताओं ने माकपा से मुंह फेर लिया है। नतीजतन लोकसभा चुनाव 2024 में बंगाल को केवल 5.67 फीसदी वोट मिले। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में माकपा को 6.3 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि चुनाव में माकपा के सभी शीर्ष नेताओं ने जमकर मेहनत की। भाजपा के साथ यहां उल्टी स्थिति है। मतदाता भाजपा के साथ हैं लेकिन भाजपा के कार्यकर्ता नदारद हैं। मतगणना के वक्त पहले या दूसरे चरण के परिणाम आते ही भाजपा के सभी कार्यकर्ता विभिन्न बूथों से बाहर आ गए। लेकिन माकपा के एजेंट डटे रहे।
माकपा ने अपने लड़ाकू चरित्र को कायम रखा। मुर्शिदाबाद में जब माकपा उम्मीदवार मोहम्मद सलीम को मतदान के दौरान बूथों पर जाने से रोकने की कोशिश की गई, तो उन्होंने उस व्यक्ति का वहीं कॉलर पकडक़र विरोध किया। उनकी इस कार्रवाई ने माकपा कार्यकर्ताओं को मैदान में डटे रहने की प्रेरणा दी। संभवत: उनसे प्रेरित हो दमदम से माकपा के उम्मीदवार सुजन चक्रवर्ती ने आक्रामक रुख दिखाया। जादवपुर के माकपा उम्मीदवार सृजन भट्टाचार्य ने भी मतदान के दौरान माकपा समर्थकों को वोट डालने पर बाधा देने वालों से जमकर मुकाबला किया।
वाममोर्चे ने 33 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और मुर्शिदाबाद निर्वाचन क्षेत्र को छोडक़र, वामपंथी दल अधिकांश सीटों पर तीसरे स्थान पर रहे। पार्टी को एक भी सीट हाथ नहीं लगी। माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने लगभग 5.18 लाख वोट हासिल किए और मुर्शिदाबाद में दूसरे स्थान पर रहे। माकपा के अन्य उम्मीदवार सुजन चक्रवर्ती जिन्होंने महत्वपूर्ण वोट हासिल किए, वे दमदम में तीसरे स्थान पर रहे, उन्हें लगभग 2.29 लाख वोट मिले।
वाममोर्चा के 33 उम्मीदवारों में से 21 की जमानत जब्त हो गई। राजनीतिक विषेज्ञ मान रहे हैं कि राज्य की कल्याणकारी योजना का विरोध करने के कारण बंगाल में वाममोर्चा का यह हाल हुआ। फिल्म अभिनेत्री और वामपंथी श्रीलेखा मित्रा ने फेसबुक पर वीडियो पोस्ट कर कहा कि राज्य की महिलाओं को एक हजार रुपए भत्ता मिलता है तो वे खुश हैं। उनकी टिप्पणी सीधे तौर पर लक्ष्मी भंडार योजना पर थी। इसके बाद महिलाओं का विरोध हुआ। माकपा नेता ने और कठोर भाषा में हमला जारी रखा। माकपा समर्थकों ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'शिक्षा हार गई, भीख जीत गई। इससे लाभार्थी महिलाओं का गुस्सा और बढ़ गया। दूसरी तरफ केएमसी की मेयर परिषद सदस्य मिताली बंद्योपाध्याय ने कहा कि वामपंथियों ने ऐसा कहकर महिलाओं का अपमान किया।
वाममोर्चा और कांग्रेस के बीच चुनावी समझौते से एकमात्र सकारात्मक बात यह रही कि कांग्रेस ने मालदह दक्षिण से 1.28 लाख वोटों से जीत हासिल की। पर हर जगह इस गठबंधन को नुकसान हुआ। जनता इसे स्वीकार नहीं कर पाई। जो माकपा समर्थक थे उनमें से कुछ के वोट भाजपा में और कुछ के वोट तृणमूल में चले गए। हालांकि अपनी नई रणनीति के तहत माकपा ने इस लोकसभा चुनाव में कई युवा चेहरों को मैदान में उतारा था। पर निराशा हाथ लगी।
Published on:
09 Jun 2024 04:32 pm
बड़ी खबरें
View Allसमाचार
ट्रेंडिंग