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सात साल से सिलिकोसिस पीड़ित लक्ष्मण को ना तो इलाज मिला, ना प्रमाण-पत्र और ना सरकारी मदद

पिण्डवाड़ा तहसील के झाड़ोली गांव से एक मार्मिक तस्वीर आई सामने

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वीरवाड़ा. जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा सिलिकोसिस पीड़ित लक्ष्मण राम मेघवाल।

वीरवाड़ा. जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा सिलिकोसिस पीड़ित लक्ष्मण राम मेघवाल।

वीरवाड़ा /सिरोही. पिण्डवाड़ा तहसील के झाड़ोली गांव से एक मार्मिक तस्वीर सामने आई है, जिसने सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां 53 वर्षीय लक्ष्मणराम मेघवाल पिछले सात वर्षों से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। पत्थर घड़ाई के काम में अपनी पूरी उम्र खपाने वाले इस मजदूर को आज तक न तो सिलिकोसिस का प्रमाण-पत्र मिला है और न ही किसी सरकारी योजना से आर्थिक सहयोग।लक्ष्मणराम की हालत इतनी गंभीर है कि वह चारपाई पर ही जिंदगी गुजारने को मजबूर है। परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। लक्ष्मण की पत्नी ने बताया कि उसके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बेटियों की शादी हो चुकी है, वहीं एक बेटा पढाई करता है व दूसरा बेटा भी सिलिकोसिस की बीमारी से पीडित है। घर चलाने वाला उसका पति लक्ष्मण ही है, जो पिछले सात साल से बीमार हैं। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

सरकारी दावे खोखले :

राज्य सरकार गरीबों और बीमारों की मदद के दावे करती है, लेकिन झाड़ोली की यह तस्वीर हकीकत बयां कर रही है। सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए योजनाएं होने के बावजूद वास्तविक मरीज आज भी मदद से वंचित हैं। सवाल यह है कि जब जीवनभर पत्थर घड़ाई कर फेफड़े खराब कर चुके मजदूर योजना के लाभ को तरस रहे हैं।

जिम्मेदारों की उदासीनता :

झाड़ोली के लक्ष्मणराम का मामला केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र की पोल खोलता है, जो कागजों पर तो गरीबों का हमदर्द है, लेकिन जमीन पर चुप्पी साधे बैठा है। जिम्मेदार अधिकारी और नेता सिर्फ कागजी दावे कर रहे हैं, जबकि गरीब परिवार भूख और बीमारी से जूझ रहा है। ग्रामीणों का कहना कि पिण्डवाड़ा क्षेत्र में ऐसे दर्जनों मजदूर हैं, जिन्होंने पत्थर घड़ाई से अपनी सेहत खो दी, लेकिन उन्हें अब तक कोई सहायता नहीं मिली। यह लापरवाही गरीब परिवारों के लिए मौत का सबब बन चुकी है।

इन्होंने कहा

सिलिकोसिस पीड़ितों को प्रमाण-पत्र और आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया नियमानुसार की जाएगी और झाड़ोली निवासी लक्ष्मणराम का मामला लंबित है, तो परिवार को हर सम्भव सहयोग दिया जाएगा, चिकित्सा बोर्ड की ओर से जांच के बाद उन्हें नियमों के तहत लाभ दिलाया जाएगा।

डॉ. दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ सिरोही