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किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 46 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (10 सिंतबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 46 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 46 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (10 सिंतबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 46 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

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जयपुर

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Tasneem Khan

Sep 17, 2025

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 46 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (10 सिंतबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 46 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

चींटी और मकड़ी की दोस्ती
एक बार की बात है। जंगल के एक कोने में एक छोटी-सी चींटी रहती थी। वह बहुत मेहनती थी और रोज खाना जुटाने के लिए निकलती थी। एक दिन वह खाना ढूंढते-ढूंढते पेड़ के नीचे पहुंच गई। वहां उसने एक सुंदर-सी मकड़ी को जाल बुनते हुए देखा। चींटी ने आश्चर्य से पूछा, मकड़ी बहन, तुम इतना बड़ा जाल क्यों बना रही हो? मकड़ी मुस्कुराते हुए बोली, यह मेरा घर है और इसी जाल में मैं अपना खाना भी पकड़ती हूं। यह मेरा जीवन है। चींटी को मकड़ी का जवाब बहुत अच्छा लगा। वह रोज-रोज वहां आने लगी। धीरे-धीरे चींटी और मकड़ी अच्छी दोस्त बन गईं। चींटी मेहनत से अनाज लाती और मकड़ी अपने जाल से मक्खियां पकड़ती। दोनों एक-दूसरे के काम में मदद करने लगीं। एक दिन तेज हवा चली और मकड़ी का जाल टूट गया। मकड़ी बहुत दुखी हो गई। चींटी ने हिम्मत देते हुए कहा, कोई बात नहीं मेहनत से फिर नया जाल बुन लो। मकड़ी ने चींटी की बात मानी और अगले दिन नया जाल तैयार कर लिया। मकड़ी बोली, तुमने मुझे हार नहीं मानने का सबक दिया। चींटी हंसते हुए बोली, दोस्त यही तो करते हैं! उस दिन से चींटी और मकड़ी हमेशा एक-दूसरे की मदद करतीं और जंगल के सब जानवर उनकी दोस्ती की मिसाल देते। सीख- दोस्ती में एक-दूसरे का सहारा बनना और मेहनत से कभी हार न मानना बहुत जरूरी है।
खुशवीर राजपुरोहित,उम्र-10वर्ष

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जिज्ञासु चींटी
एक चींटी थी। वह बहुत जिज्ञासु थी और हमेशा कुछ नया सीखना चाहती थी। एक दिन उसने एक मकड़ी को नदी के बीच में आधे पानी में और आधे बाहर जाला बनाते हुए देखा। चींटी बहुत हैरान हुई और सीधे मकड़ी के पास जाकर बोली, अरे मकड़ी बहन, तुम ये क्या कर रही हो? जाला तो पूरा हवा में बनाया जाता है, तुमने इसे आधा पानी में क्यों बनाया है? मकड़ी मुस्कुराई और बोली, बहन तुम सही कह रही हो कि जाला हवा में ही बनता है, लेकिन मैंने इसे यहां एक खास मकसद से बनाया है। इस नदी में बहुत सारी छोटी मछलियां और कीड़े रहते हैं, जो मेरे जाले से टकराकर फंस जाते हैं। मैं उनका इंतजार करती हूं। आधे जाले से मैं हवा में उडऩे वाले कीड़ों को पकड़ती हूं और आधे जाले से मैं पानी में रहने वाले कीड़ों को। चींटी ने हैरानी से पूछा, लेकिन पानी में जाला बनाने से क्या वह खराब नहीं हो जाएगा? मकड़ी ने जवाब दिया, नहीं, यह एक खास तरह का जाला है। मैंने इसे ऐसे बनाया है कि यह पानी में भी मजबूत रहे। यह जाला एक ही समय में दोनों दुनिया की चीजें पकड़ सकता है। चींटी ने सोचा, वाह! यह तो बहुत अनोखा है। उसने मकड़ी से पूछा, क्या तुम मुझे भी कुछ सिखा सकती हो? मैं भी कुछ नया सीखना चाहती हूं। मकड़ी ने खुशी से कहा, हां, बिल्कु ल! मैंने यह जाला अपनी दादी से सीखा था। मेरी दादी कहती थीं कि हमें हमेशा अपनी सोच को बड़ा रखना चाहिए और नई चीजें सीखते रहना चाहिए।
ध्यानवी जोशी,उम्र-8वर्ष

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दोस्ती का जाल
एक बार की बात है, एक चींटी खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। तभी उसकी नजर एक मकड़ी पर पड़ी, जो अपने जाले में उलझी हुई थी। चींटी ने मजाक उड़ाते हुए कहा, तुम रोज इतना बड़ा जाला बुनती हो पर हर बार टूट जाता है। इसमें मेहनत करने का क्या फायदा? मकड़ी मुस्कुराई और बोली, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, दोस्त! जाला टूटा तो क्या हुआ, मैं फिर से बुन लूंगी। यही मेरा काम है और इसी से मैं अपना जीवन चलाती हूं। चींटी को थोड़ी शर्म आई। उसने सोचा कि वह तो बस खाना इक्कठा करती है और मुश्किल आने पर हार मान लेती है। लेकिन मकड़ी तो हर बार गिरकर भी उठ खड़ी होती है। उस दिन से चींटी ने तय किया कि वह कभी मेहनत करने से पीछे नहीं हटेगी। उसने मकड़ी से दोस्ती कर ली और दोनों ने एक-दूसरे की मदद करना शुरू कर दिया। शिक्षा- हमें कभी भी धैर्य नहीं खोना चाहिए। लगातार प्रयास करने से ही सफलता मिलती है।
गीतांश खुंटे,उम्र-9वर्ष
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कोई भी काम व्यर्थ नहीं होता
मिनी एक छोटी सी मकड़ी थी। जो बरगद के पेड़ की एक डाली पर रहती थी। उसने दिन-रात मेहनत करके एक सुंदर जाल बुना था। एक दिन, अचानक भयंकर तूफान आया। हवा के झोंकों और बारिश की बूंदों ने उसके सुंदर जाल को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। मिनी बहुत दुखी हुई। उसकी सारी मेहनत बर्बाद हो गई थी। उसके मन में हार मान लेने का विचार आया। लेकिन फिर उसने सोचा, नहीं, हारना तो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। अगली सुबह जैसे ही सूरज निकला, मिनी ने फिर से अपना काम शुरू कर दिया। वह बिना थके, नए जोश के साथ नया जाल बुनने लगी। कड़ी मेहनत के बाद उसने पहले से भी मजबूत और सुंदर जाल तैयार कर लिया, जो चमकती हुई ओस की बूंदों से सजा था। मिनी को अपने नए जाल पर बहुत गर्व हुआ। उस दिन उसे एक बहुत बड़ा और स्वादिष्ट कीड़ा भी शिकार के रूप में मिला। उसने सीख लिया था कि हिम्मत और लगन से किया गया काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। मुश्किलें आकर चली जाती हैं, लेकिन जो दृढ़ रहता है, उसकी जीत जरूर होती है।
गार्गी शर्मा,उम्र-10वर्ष

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मेहनत का फल
एक बार की बात है। एक चींटी अपने काम में लगी हुई थी। तभी उसने देखा कि एक मकड़ी जाला बुन रही है। चींटी ने आश्चर्य से पूछा- तुम बार-बार जाला क्यों बुनते हो? हवा आते ही यह टूट जाता है। मकड़ी ने हंसकर उत्तर दिया- हां बहन, लेकिन मैं हार नहीं मानती। जाला टूटे तो भी मैं फिर से बुनती हूं। लगातार प्रयास ही मेरी ताकत है। चींटी ने सोचा- यह सच है। अगर हम कठिनाइयों से डरेंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। मकड़ी बोली- जैसे तुम अपने से भारी दाना उठाती हो, वैसे ही मैं भी धैर्य रखकर जाला बनाती हूं। मेहनत और धैर्य से ही सफलता मिलती है। चींटी ने यह सीख अपने मन में बसा ली और आगे बढ़ गई। सीख- सफलता पाने के लिए निरंतर प्रयास जरूरी है।
मानवी जांगिड़,उम्र-9वर्ष
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चींटी और मकड़ी की दोस्ती
एक दिन एक छोटी चींटी जंगल में घूम रही थी। अचानक उसकी नजर ऊपर जाले पर गई। वहां एक मकड़ी अपने जाले पर मेहनत से काम कर रही थी। चींटी ने सोचा, वाह! यह कितना सुंदर घर है। चींटी ने मकड़ी से कहा, तुम बहुत मेहनती हो। इतने पतले धागों से इतना मजबूत जाला बना लेती हो। मकड़ी मुस्कुराकर बोली, हां दोस्त, मेहनत और धैर्य से सब कुछ आसान हो जाता है। चींटी ने उत्सुकता से पूछा, पर तुम्हारा जाला बार-बार टूट जाता होगा, क्या तुम परेशान नहीं होती? मकड़ी बोली, परेशान क्यों होऊं? टूटने के बाद मैं फिर से बना लेती हूं। यही जीवन है, गिरो तो उठो, टूटो तो संभलो। चींटी ने उसकी बात ध्यान से सुनी और बोली, तुम सही कहती हो। कई बार मैं भी खाना ढूंढते-ढूंढते थक जाती हूं, पर तुम्हारी तरह अगर धैर्य रखूं तो मुझे भी सफलता मिलेगी। दोनों हंस पड़े और दोस्त बन गए। उस दिन चींटी ने सीखा कि कठिनाई चाहे कितनी भी हो, मेहनत और धैर्य से हम हर बार नया रास्ता बना सकते हैं। सीख- जीवन में चाहे कितनी भी रुकावटें आएं, धैर्य और मेहनत से हम हर कठिनाई को पार कर सकते हैं।
विनायक सोनी,उम्र-10वर्ष

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चींटी का जाल में फंसना
एक बार की बात है, चींटी खाने की तलाश में चल रही थी। तभी उसका पैर फिसला और वह मकड़ी के जाल में जा गिरी। मकड़ी धीरे-धीरे नीचे उतरी और बोली- आज तो तेरा काम तमाम है! चींटी घबराई नहीं। उसने मुस्कुराते हुए कहा- बहन, मुझे खाने से तुम्हारा पेट एक दिन के लिए ही भरेगा। लेकिन अगर तुम मुझे छोड़ दोगी, तो मैं रोज अपने साथियों से कहूंगी कि वे जाल के पास न आएं। इससे तुम्हारा जाल बार-बार टूटेगा भी नहीं। मकड़ी रुक गई। उसने सोचा- सही कह रही है चींटी। एक दिन का भोजन ज्यादा महत्त्वपूर्ण है या लंबे समय का फायदा? थोड़ी देर सोचने के बाद मकड़ी ने चींटी को छोड़ दिया। चींटी जाते हुए बोली- सच्ची ताकत किसी को फंसाने में नहीं, बल्कि छोडऩे में होती है। मकड़ी को पहली बार समझ आया कि कभी-कभी दया और बुद्धिमानी ही असली ताकत होती है। सीख- बुद्धिमानी और दया से लिया गया फै सला हमेशा लंबे समय का लाभ देता है।
माहिरा सुवाल्का,उम्र-7वर्ष
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चींटी और मकड़ी की दोस्ती
एक छोटे से जंगल में एक चींटी और एक मकड़ी रहती थीं। चींटी बहुत मेहनती थी। वह रोज सुबह जल्दी उठकर खाने की तलाश में निकल जाती और पूरे दिन मेहनत करके अपने घर में अनाज के दाने इके करती। मकड़ी अक्सर अपने जाल पर बैठकर चींटी को देखती और सोचती, ये चींटी क्यों इतनी मेहनत करती है? मैं तो जाल बुनती हूं और आराम से बैठे-बैठे खाना मिल जाता है। एक दिन चींटी ने मकड़ी से कहा, दोस्त मेहनत करने से भविष्य सुरक्षित रहता है। मकड़ी हंसकर बोली, मुझे इसकी जरूरत नहीं मेरा जाल ही मेरा भोजन दिला देता है। कुछ दिन बाद तेज आंधी आई। मकड़ी का जाल पूरी तरह से टूट गया। अब उसके पास न जाल था, न भोजन। वह भूखी और परेशान हो गई। तब चींटी ने अपनी मदद की और उसे भोजन दिया। मकड़ी को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने चींटी से कहा, तुम सही कहती थीं। मेहनत और दूरदृष्टि दोनों जरूरी हैं। इसके बाद मकड़ी ने नया जाल बुना और भविष्य के लिए भोजन इक्कठा करना शुरू कर दिया। सीख- समझदारी और मेहनत से ही जीवन सुरक्षित और सुखमय बनता है।
सिद्धविक सामर,उम्र-7वर्ष

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कभी हार मत मानो
एक दिन चींटी अपनी रोज की तरह भोजन खोजते हुए जंगल में घूम रही थी। अचानक उसकी नजर एक खूबसूरत जाले पर पड़ी। जाले से एक मकड़ी उलटी लटक रही थी और बड़ी ही रहस्यमयी मुस्कान लिए चींटी को देख रही थी। चींटी ने कहा, वाह! तुम्हारा घर तो बहुत सुंदर है, इसे बनाने में कितनी मेहनत लगी होगी। मकड़ी बोली, हां, हर दिन मेहनत करती हूं। कई बार जाला टूट जाता है, लेकिन मैं हार नहीं मानती। फिर से धागा बुनती हूं और नया जाल तैयार करती हूं। चींटी ने सोचा, यह मकड़ी कितनी अद्भुत है। जब भी गिरती है, फिर से उठ खड़ी होती है। यही असली ताकत है। मकड़ी मुस्कुराई और बोली कि तुम भी कम नहीं हो। अपनी टोली के साथ मिलकर अनाज के दाने ढोना आसान काम नहीं। हम दोनों की मेहनत से ही दुनिया चलती है। चींटी और मकड़ी ने एक-दूसरे की बातों से प्रेरणा ली और तय किया कि मेहनत और धैर्य से हर मुश्किल आसान हो सकती है। उस दिन चींटी ने जीवन का सबसे बड़ा सबक सीखा- हार मत मानो, बस कोशिश जारी रखो।
मायशा मिर्जा,उम्र-11वर्ष
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दोस्ती का असली मतलब
एक बार चींटी रास्ते में चल रही थी। अचानक उसने ऊपर देखा तो मकड़ी अपने जाल से लटक रही थी। चींटी ने कहा- मकड़ी बहन! तुम दिन-भर जाल बुनती रहती हो, थकती नहीं क्या? मकड़ी बोली- थकती तो हूं, लेकिन यही तो मेरा सहारा है। अगर जाल ना बुनूं, तो मुझे खाना भी नहीं मिलेगा। चींटी हंसते हुए बोली- अरे, मैं भी तो हमेशा अनाज ढोती रहती हूं। लोग कहते हैं कि हम दोनों बहुत मेहनती हैं। तो क्यों न हम दोस्त बन जाएं? मकड़ी को बात पसंद आई। वह बोली- हां, दोस्ती से तो काम और आसान हो जाता है। उस दिन से दोनों ने तय कर लिया कि वे एक-दूसरे की मदद करेंगी और कभी अकेलापन महसूस नहीं करेंगी। सच्ची दोस्ती में मेहनत और सहयोग से जीवन आसान और खुशहाल बन जाता है।
शिवांश सोनी,उम्र-7वर्ष

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चींटी और मकड़ी की सीख
एक बगीचे में एक चींटी रहती थी। वह रोज मेहनत करके अनाज इक्कठा करती और मिट्टी से अपना घर बनाती। एक दिन उसने देखा कि पेड़ पर एक मकड़ी जाल बुन रही है। चींटी ने पूछा- तुम यह धागे क्यों बुनती रहती हो? इससे क्या मिलेगा? मकड़ी ने जवाब दिया- यह जाल मेरा घर भी है और खाना पाने का तरीका भी। जब कोई कीड़ा इसमें फंसता है तो मुझे भोजन मिल जाता है। चींटी हंसकर बोली- तुम्हारा जाल तो बहुत कमजोर है, हवा चले तो टूट जाएगा। मेरा घर तो मिट्टी से बना है और मजबूत है। तभी तेज आंधी आई और चींटी का घर टूट गया और अनाज बिखर गया। चींटी रोने लगी। वहीं मकड़ी ने अपना टूटा हुआ जाल फिर से जल्दी से बुन लिया। चींटी ने समझा और बोली- तुम सही कहती थी। असली ताकत धैर्य और मेहनत में है। मकड़ी बोली- हां, गिरने के बाद भी बार-बार उठना ही सफलता है। सीख- मुश्किलें आएं तो हारना नहीं चाहिए। जो बार-बार कोशिश करते हैं, वही सफल होते हैं।
नव्या वर्मा,उम्र-11वर्ष
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हिम्मत की सीख
एक दिन एक चींटी रास्ते से गुजर रही थी। अचानक उसने देखा कि ऊपर मकड़ी अपने जाल से लटक रही है। चींटी ने हैरानी से पूछा, इतनी बार तुम्हारा जाल टूट जाता है, फिर भी तुम इसे बार-बार क्यों बुनती हो? मकड़ी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, क्योंकि हार मान लेना आसान है, लेकिन जीतने के लिए बार-बार कोशिश करनी पड़ती है। जब तक मेरा जाल पूरा नहीं बनता, मैं रुकती नहीं। चींटी उसकी बात ध्यान से सुन रही थी। उसने सोचा, मैं तो थोड़ी मुश्किल आते ही परेशान हो जाती हूं, लेकिन मकड़ी तो हर बार नया जाल बुनकर साहस दिखाती है। उस दिन से चींटी ने निश्चय किया कि वह कभी हार नहीं मानेगी। मकड़ी की यह सीख उसके जीवन का सबसे बड़ा रोमांच और प्रेरणा बन गई। कमरे की दीवारों में अब दोस्ती और हिम्मत की चमक बस गई थी।
उन्नति कर्मा,उम्र-8वर्ष

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जाल में फंसी दोस्ती
एक बार एक चींटी रास्ता भटक कर एक पुराने कमरे में पहुंच गई। वहां उसने ऊपर देखा तो एक बड़ा सा मकड़ी का जाल चमक रहा था। उस जाल से लटकती मकड़ी डरावनी लग रही थी। चींटी घबरा तो गई, पर उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने कहा, अरे दोस्त! तुम इतना बड़ा जाल क्यों बुनते हो? मकड़ी हंसते हुए बोली, यह मेरा घर भी है और मेरा शिकार पकडऩे का साधन भी। इसमें मेहनत और धैर्य चाहिए। चींटी ने प्रभावित होकर कहा, तुम्हारा धैर्य काबिले तारीफ है, लेकिन क्या तुम्हें अकेलापन नहीं लगता? मकड़ी थोड़ी चुप हुई, फिर बोली, हां, कभी-कभी लगता है। तब चींटी ने हाथ बढ़ाया और कहा, तो आज से हम दोस्त हैं। मैं रोज तुम्हें मिलने आऊंगी। मकड़ी मुस्कुराई और दोनों की अनोखी दोस्ती ने उस कमरे को रोमांच और हंसी से भर दिया।
आरोही कर्मा,उम्र-11वर्ष
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चींटी और मकड़ी की दोस्ती
एक घने जंगल में एक छोटी चींटी रहती थी। वह रोज अपने परिवार के लिए अनाज ढूंढने जाती थी। एक दिन अचानक तेज आंधी और बारिश आ गई। चींटी डर गई और पास की झाड़ी के नीचे छिपने लगी। तभी उसने देखा कि पास ही एक मकड़ी अपने जाले पर उलटी लटकी है। हवा के झोंकों से जाला बार-बार हिल रहा था, पर मकड़ी शांत थी। चींटी ने हैरानी से पूछा- बहन! तुम्हारा जाला तो टूट जाएगा, तुम्हें डर नहीं लगता? मकड़ी ने मुस्कुराकर कहा- डर कर काम नहीं बनता। अगर मेरा जाला टूट भी गया तो मैं फिर से नया बुन लूंगी। असली ताकत गिरने के बाद उठने में है। चींटी ने सोचा- मैं तो जरा सी बारिश से डर गई थी और ये मकड़ी इतनी हिम्मत से खड़ी है। बारिश रुकने के बाद मकड़ी ने नया जाला बुनना शुरू कर दिया। चींटी ने उससे हिम्मत और धैर्य का सबक सीखा। उस दिन के बाद जब भी चींटी को कोई मुश्किल आती, वह मकड़ी की बात याद करती- हार मानना सबसे बड़ी कमजोरी है, कोशिश करते रहो, जीत जरूर मिलेगी। इस तरह चींटी और मकड़ी न केवल दोस्त बने, बल्कि एक-दूसरे के लिए प्रेरणा भी बन गए।
आशु,उम्र-12वर्ष

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दोस्ती और दोस्तों का साथ
एक बार की बात है, एक जगह चींटियों का झुंड रहता था। उनके बिल के ऊपर एक मकड़ी रहती थी। वह रोज उन चींटियों को खाना जमा करते और साथ रहते देखती और सोचती की यह सब एक साथ कितने खुश रहते है। मैं अकेली रहती हूं। एक दिन एक चींटी का ध्यान उस उदास मकड़ी पर गया उसने मकड़ी से पूछा, क्या हुआ इतनी उदास क्यूं हो? मकड़ी बोली तुम सब एक साथ रहते हो, खाते हो और मैं अकेली रह जाती हूं। मेरा कोई दोस्त भी नहीं है। तो चींटी बोली बस इतनी सी बात, आज से तुम भी हमारी दोस्त हो। मकड़ी बोली मैं इतनी डरावनी और अकेले रहने वाली मैं तुम्हारी दोस्त कैसे बन सकती हूं? तो चींटी बोली, दोस्ती रंग, रूप और आकार देख कर नहीं बल्कि अच्छे मन से की जाती है। हमारे साथ रहने में जो खुशी है वो अकेले रहने में नहीं हैं। इस तरह चींटियां और मकड़ी दोस्त बनकर साथ रहने लगें।
गौरव पराये,उम्र-8वर्ष
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मकड़ी और चींटी बने बेस्ट फ्रेंड
एक मकड़ी और चींटी सुबह के समय दोनों घूमने को निकली थी। चींटी ने मकड़ी को देखा और पूछा तुम क्या काम करती हो? मकड़ी ने कहा कि ये आदमी लोग मेरे घर को बार-बार तोड़ देते हैं। तो मैं उन्हें वापस बार-बार बनाती रहती हूं। चींटी ने कहा तुमको गुस्सा नहीं आता क्या? बार-बार घर तोड़ देने पर मकड़ी ने कहा नहीं मुझे गुस्सा नहीं आता गुस्सा करना बुरी बात है और मुझे अपना घर बार-बार बनाने में मजा आता है। मैं दिन रात अपना घर बनाती रहती हूं। फिर मकड़ी ने पूछा कि तुम क्या काम करती हो। चींटी ने बोला मैं मेरे लिए खाना ढूंढती रहती हूं। दिन रात चलती रहती हूं और खाना बचा कर रख भी लेती हूं, जो सर्दियों में काम आता है। फिर एक दिन मकड़ी चींटी को अपने घर खेलने के लिए बुलाती हैं। दोनों दिनभर खूब मजे करते हैं। चींटी कहती है कि तुम्हारा घर बहुत अच्छा है। इसमें खेलने पर तो खूब झूले आते हैं और दोनों ही बहुत मजे करते हैं। इस तरह दोनों बेस्ट फ्रेंड बन जाते हैं।
नेअमत रंगरेज,उम्र-6वर्ष

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अपने ही नाश्ते से दोस्ती
एक बार एक मकड़ी अपना घर बना रही थी। तभी वहां एक चींटा आ गया। वह चींटा लाल रंग का था। उसने जब मकड़ी को घर बनाते हुए देखा तो उसने पूछा कि तुम अकेले ही अपना जाला बना लेती हो? मकड़ी ने कहा, कि तो फिर तुम बहुत सारी चींटी मिलाकर अपना घर बनाते हो क्या? चीटें ने कहा हां। और ऐसे ही उन दोनों की दोस्ती हो गई। वह हर रोज बातचीत करने लगे। एक दिन वह लोग बाते कर रहे थे। तभी चींटा ने ध्यान दिया कि मकड़ी का घर पहले से बड़ा लग रहा है। उसने मकड़ी से कहा कि उसका जाल पहले से थोड़ा बड़ा लग रहा है। मकड़ी ने कहा कि वह हर रोज अपना जाल बड़ा करती है। चींटे ने कहा कि वह लोग भी अपने घर को हर रोज थोड़ा-थोड़ा बड़ा करते रहते हैं। मकड़ी ने कहा कि तुम मुझे अपना घर भी दिखाओ न। मैं उसे देखना चाहती हूं। फिर वह दोनों चीटें का घर देखने चले गए। जब मकड़ी ने चीटें के घर छू कर देखा तब मकड़ी ने कहा तुम खाना कहां से लाते हो? इसमें तो कुछ भी नहीं चिपक रहा है? तब चीटें ने कहा कि वह तो किसी के घर में भी नहीं चिपकता है। मकड़ी ने कहा मगर मेरे जाले में तो चिपक जाता है। चीटें ने कहा, अरे वह! अच्छा हमें तो खुद खाना ढूंढ कर लाना होता है। तब मकड़ी ने कहा कि तुम कितने मेहनती हो। ऐसे उन दोनों को एक दूसरे के बारे में और पता चल गया।
अरीफा,उम्र-8वर्ष
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मकड़ी और चींटी की दोस्ती
एक छोटे से जंगल में एक मकड़ी रहती थी। जो अपने जादुई जाले के लिए प्रसिद्ध थी। एक दिन, एक छोटी सी चींटी ने मकड़ी के जाले को देखा और सोचा, यह जाला तो बहुत ही मजबूत है! मकड़ी ने चींटी को देखा और कहा, हां, मेरा जाला जादुई है। इसमें फंसने वाले कभी निकल नहीं पाते। चींटी ने कहा, चलो देखते हैं। मैं तुम्हारे जाले के पास से निकलकर दिखाता हूं। और चींटी ने बड़ी ही फुर्ती से मकड़ी के जाले के नीचे से निकलने की कोशिश की। मकड़ी ने तेजी से अपना जाला हिलाया, लेकिन चींटी बच गया। चींटी ने कहा, वाह मकड़ी भाई, तुम तो वाकई बहुत होशियार हो! मकड़ी ने कहा, दोस्ती में कोई जाल नहीं होता। तुम मेरे दोस्त बनोगे? चींटी ने खुशी से हां कहा और दोनों दोस्त बन गए। मकड़ी ने चींटी को सिखाया कि कैसे धैर्य और मेहनत से जाला बनाना है और चींटी ने मकड़ी को सिखाया कि कैसे टीम वर्क और सहयोग से बड़े काम पूरे करने हैं। इस तरह, दोनों ने एक दूसरे से सीखा और अपनी दोस्ती को मजबूत बनाया। उन्होंने सीखा कि दोस्ती में सहयोग, धैर्य और मेहनत का महत्त्व होता है।
त्रिशा मीना,उम्र-10वर्ष