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किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 44 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (27 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 44 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 44 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (27 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 44 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

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जयपुर

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Tasneem Khan

Sep 03, 2025

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 44 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (27 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 44 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

रेत का सुंदर महल
एक छोटे से गांव में राहुल नाम का एक बच्चा रहता था। राहुल बहुत होशियार और कल्पनाशील था। छुट्टियों में वह अपने माता-पिता के साथ समुद्र किनारे घूमने गया। नीला आकाश, सुनहरी धूप और लहरों की आवाज देखकर उसका मन खिल उठा। राहुल ने सोचा कि वह आज रेत से एक सुंदर महल बनाएगा। उसने एक फावड़ा उठाया और गीली रेत को इकट्ठा करके महल बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे उसने महल का दरवाजा, खिड़कियां और ऊंचा बुर्ज भी बना दिया। उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। पास में बैठे लोग भी उसका काम देखकर मुस्कुरा उठे। समुद्र की लहरें बार-बार उसके महल के करीब आतीं, लेकिन राहुल बड़े ध्यान से अपने महल की रक्षा करता। कुछ समय बाद उसकी बनाई हुई नाव पानी में तैरने लगी और महल और भी सुंदर दिखाई देने लगा। सूरज की किरणें उस महल पर पड़कर उसे सोने जैसा चमका रही थीं। राहुल को गर्व हुआ कि उसने अपनी मेहनत और कल्पना से इतना सुंदर महल बनाया। शाम होते ही लहरों ने धीरे-धीरे उस महल को मिटा दिया, लेकिन राहुल उदास नहीं हुआ। उसने मुस्कुराते हुए कहा - महल तो मिट गया, पर यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी। शिक्षा- मेहनत और कल्पना से किया गया काम भले ही स्थायी न हो, लेकिन खुशी और अनुभव जीवन भर हमारे साथ रहते हैं।
विनायक सोनी,उम्र-11वर्ष

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मेरा रेत का किला
एक बार की बात है, गर्मियों की छुट्टियां चल रही थीं। पापा मुझे समंदर के किनारे घुमाने ले गए। वहां बहुत ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी और पानी की लहरें आ रही थीं। मैंने तय किया कि मैं रेत का एक किला बनाऊंगा। मैंने अपने साथ लाई हुई छोटी बाल्टी और फावड़ा निकाला और रेत खोदना शुरू किया। धीरे-धीरे मैंने गोल-गोल रेत जमा की और उसे दबाकर एक बड़ा किला बना दिया। मैंने उसमें दरवाजा और खिड़कियां भी बना दीं। मुझे देखकर सूरज भी हंस रहा था, जैसे कह रहा हो वाह, क्या मजेदार किला है! मेरे पास वाली जगह पर एक छोटा नाव भी तैर रही थी। मुझे लगा जैसे वो नाव मेरे किले के राजा के लिए आई हो। मैंने सोचा कि अब मेरा किला पूरा हो गया है और मैं इसमें अपने खिलौने रखूंगा। जब किला बनकर तैयार हो गया तो मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने पापा को बुलाकर दिखाया। उन्होंने कहा वाह बेटा, बहुत अच्छा किला बनाया है! उनकी बात सुनकर मैं मुस्कुराया और सोचा कि अगली बार मैं और बड़ा किला बनाऊंगा।
अरहान शेख,उम्र-11वर्ष

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मेहनती बच्चा
एक सुहाना दिन था। एक बच्चा जिसका नाम राज था। उसने सुबह जल्दी उठकर समुद्र के किनारे जाने का सोचा। वह दौड़ता हुआ समुद्र के पास पहुंचा और देखा की एक नाव समुद्र के किनारे तैर रही है और सूरज बादलों के पीछे से उग रहा है। राज ने गीली मिट्टी का किला बनाने का सोचा। वह समुद्र के पास गया और किला बनाना शुरू कर दिया। वह जैसे ही किला बनाता पानी की लहर से किला टूट जाता। इस प्रकार दो तीन बार किला टूटता गया। फिर उसने पानी के लहर को रोकने के लिए किले के चारों ओर पत्थरों की एक चारदीवारी बना दी, जिससे जैसे ही लहर आती थोड़ा पानी पत्थरों से टकरा कर लौट जाता और थोड़ा पानी किले के अंदर चला जाता है, जिससे किले के अंदर एक छोटा सा तालाब बन गया। यह देखकर राज बहुत ख़ुश हुआ कि उसकी मेहनत आखिरकार रंग लाई।
यूनय दत्त,उम्र-10 वर्ष

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रेत का किला
रवि अपने परिवार के साथ समुद्र किनारे घूमने गया। उसने पहली बार लहरों को इतने करीब से देखा। पानी से खेलते-खेलते उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न एक सुंदर सा किला बनाया जाए। उसने बाल्टी और फावड़ा उठाया और गीली रेत से किला बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे उसने छोटे-छोटे दरवाजे और खिड़कियां भी बना दीं। उसका किला देखकर वहां खड़े लोग भी मुस्कुराने लगे। पीछे समुद्र में नावें चल रही थीं और सूरज जैसे उसे देख हंस रहा था। रवि को अपने बनाए किले पर गर्व हुआ। उसे लगा जैसे वह सचमुच राजकुमार है और यह उसका महल है। तभी एक लहर आई और किले का कुछ हिस्सा बहा ले गई। लेकिन रवि उदास नहीं हुआ। उसने सोचा रेत के किले टूटते जरूर हैं, पर इन्हें बनाने की खुशी कभी नहीं टूटती। यही सोचकर उसने फिर से नया किला बनाना शुरू कर दिया।
मानवी जांगिड़,उम्र 8 साल

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रेत के महल की मीठी यादें
एक बार की बात है, एक छोटा लड़का था जिसका नाम था रवि। रवि को समुद्र तट पर खेलना बहुत पसंद था। एक धूप वाले दिन वह अपने फावड़े और बाल्टी के साथ समुद्र तट पर गया। उसने रेत का एक बड़ा टीला बनाने का फैसला किया, जो एक छोटे महल जैसा दिखता था। रवि ने बड़ी मेहनत से काम किया, रेत को इकट्ठा किया और उसे अपनी बाल्टी में भरता गया। उसने धीरे-धीरे रेत का महल बनाना शुरू किया, जिसमें एक बड़ा प्रवेश द्वार और ऊपर एक छोटा सा शिखर था। जैसे-जैसे वह काम कर रहा था, सूरज की किरणें उस पर पड़ रही थीं और हवा में नमक की खुशबू थी। उसने अपने महल को पूरा करने के बाद, गर्व से उसे देखा। यह उसका अपना छोटा सा राज्य था, जो उसने खुद बनाया था। उसने कल्पना की कि वह इस महल का राजा है और समुद्र की लहरें उसके राज्य के चारों ओर घूमती हुई उसकी प्रजा हैं। उसने अपने महल के चारों ओर छोटे-छोटे गोले और सीपियां भी रखीं, जिससे वह और भी सुंदर लगे। शाम होने लगी और सूरज क्षितिज में डूबने लगा, जिससे आसमान नारंगी और गुलाबी रंगों से भर गया। रवि जानता था कि उसे घर जाना होगा, लेकिन वह अपने बनाए हुए महल को छोडऩा नहीं चाहता था। उसने एक आखिरी बार अपने महल को देखा और मुस्कुराया। उसे पता था कि वह अगले दिन फिर से आएगा और अपने रेत के साम्राज्य में और भी नए रोमांच जोड़ेगा। रवि ने खुशी-खुशी घर की राह ली, उसके मन में अपने रेत के महल की मीठी यादें थीं।
अमन जाट,उम्र-13वर्ष
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रेत के महल की प्यारी याद
एक धूप भरी सुबह, छोटू समुद्र तट पर पहुंचा। उसके हाथ में एक छोटा फावड़ा और एक बाल्टी थी। सूरज चमक रहा था और लहरें धीरे-धीरे किनारे से टकरा रही थीं। छोटू ने तुरंत अपना काम शुरू कर दिया। उसने बाल्टी में गीली रेत भरी और उसे उल्टा करके एक मजबूत नींव बनाई। फिर उसने सावधानी से एक और परत डाली और धीरे-धीरे एक सुंदर रेत का महल आकार लेने लगा। महल में खिड़कियां और एक बड़ा प्रवेश द्वार था। छोटू मुस्कुराया, उसे अपने काम पर गर्व था। पास ही, एक छोटी लाल नाव पानी पर तैर रही थी और ऊपर आकाश में सूरज मुस्कु रा रहा था, जैसे वह छोटू के काम की सराहना कर रहा हो। छोटू ने अपने महल के चारों ओर कुछ सीपियां और कंकड़ रखे, जिससे वह और भी सुंदर दिखने लगा। थोड़ी देर बाद, लहरें थोड़ी ऊपर आईं और महल के आधार को छूने लगीं। छोटू जानता था कि उसका महल हमेशा के लिए नहीं रहेगा, लेकिन उसे इस बात का कोई दुख नहीं था। उसने रेत के महल को बनाने की प्रक्रिया का आनंद लिया था और वह जानता था कि वह कभी भी एक और बना सकता है। उसने एक गहरी सांस ली, नमकीन हवा को महसूस किया और खुशी से मुस्कु राया। यह एक शानदार दिन था और उसने रेत के महल के साथ अपनी एक प्यारी याद बना ली थी।
मानव भारद्वाज,उम्र-12वर्ष

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रेत का किला और दोस्ती
एक गर्मी की सुबह छोटा अनुज अपने परिवार के साथ समुद्र तट पर घूमने गया। सुनहरी रेत पर सूरज की किरणें चमक रही थीं और समुद्र की ठंडी हवाएं बह रही थीं। अनुज ने तय किया कि वह रेत का एक शानदार किला बनाएगा। उसने फावड़े और बाल्टी से गीली रेत उठाकर धीरे-धीरे किले का आकार देना शुरू किया। कुछ देर में उसने एक सुंदर किला बना दिया, जिसमें दरवाजे और खिड़कियां भी थीं। किले को देखकर आसपास के बच्चे भी इकट्ठा हो गए और सब उसे सराहने लगे। अनुज को ऐसा लगा जैसे वह सचमुच महल का राजा हो। अचानक समुद्र की एक ऊंची लहर आई और किले को गिराने लगी। अनुज घबरा गया, लेकिन तभी उसके नए दोस्त आगे आए। सबने मिलकर किले के चारों ओर मजबूत दीवारें बनाईं और किला बच गया। अनुज बहुत खुश हुआ कि दोस्ती और सहयोग से कठिनाइयां भी आसान हो जाती हैं। शाम को ढलते सूरज की रोशनी में अनुज मुस्कुराया और बोला यह सिर्फ रेत का किला नहीं, बल्कि हमारी दोस्ती की निशानी है। सीख- मिलकर किए गए काम से हर मुश्किल आसान हो जाती है।
उन्नति कर्मा,उम्र-7वर्ष
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समुद्र का रहस्य
आरव छुट्टियों में समुद्र तट पर गया। उसने अपने फावड़े और बाल्टी से एक बड़ा रेत का किला बनाना शुरू किया। जैसे ही किला तैयार हुआ, उसकी खिड़कियों से हल्की रोशनी चमकी। आरव हैरान रह गया। वह किले के दरवाजे के पास गया तो उसे एक नन्ही सी परियों की आवाज सुनाई दी-धन्यवाद बच्चा, तुमने हमें नया घर दिया है। किले से छोटी-छोटी समुद्री परियां बाहर निकलीं और उसके चारों ओर उडऩे लगीं। आरव की खुशी का ठिकाना न रहा। परियों ने उसे एक जादुई सीपी भेंट की और कहा, जब भी हमें याद करना, इसे समुद्र में फेंक देना, हम तुम्हारे पास आ जाएंगी। अचानक लहर आई और किला मिट गया, पर आरव मुस्कुराया। उसके पास अब एक अनमोल राज और जादुई दोस्त थे।
आरोही कर्मा,उम्र-11वर्ष

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रेत का किला
एक दिन गर्मियों की छुट्टियों में मोहन अपने माता-पिता के साथ समुद्र तट पर घूमने गया। समुद्र की लहरें, नीला आसमान और ठंडी हवा देखकर उसका मन खुशी से झूम उठा। मोहन के हाथ में एक छोटी सी बाल्टी और फावड़ा था। उसने ठान लिया कि आज वह एक सुंदर रेत का किला बनाएगा। वह गीली रेत इकट्ठा करता और ध्यान से उसे गढ़ता। धीरे-धीरे उसने एक शानदार किले का रूप दिया। किले में उसने दरवाजा बनाया, खिड़कियां बनाई और ऊपर एक छोटा सा गुंबद भी सजाया। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, क्योंकि मेहनत का फल अब सामने था। किला देखकर आसपास के बच्चे भी उत्साहित हो गए। सबने मिलकर उसे और सजाना शुरू कर दिया। किसी ने किले के चारों ओर सीपियां लगाईं, तो किसी ने पानी की बाल्टी से किले की दीवारों को मजबूत किया। सूरज भी जैसे मुस्कु रा रहा था, मानो बच्चों की खुशी में शामिल हो। थोड़ी देर बाद समुद्र की लहरें धीरे-धीरे किनारे तक आईं। मोहन को पता था कि उसकी बनाई हुई रचना ज्यादा देर तक नहीं टिकेगी। लेकिन उसे दुख नहीं हुआ, क्योंकि उसने समझ लिया था कि असली खुशी बनाने और दोस्तों के साथ हंसी-खुशी बांटने में है। उस दिन मोहन ने सीखा- कभी-कभी सफर और कोशिशें ही असली जीत होती हैं, न कि केवल परिणाम।

आरव विश्वकर्मा,उम्र-8वर्ष ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………

कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी बनाया जा सकता है

एक समय की बात है, एक छोटा लड़का जिसका नाम राहुल था। अपनी गर्मियों की छुट्टियां बिताने के लिए समुद्र तट पर गया। राहुल को समुद्र तट पर खेलना बहुत पसंद था। एक दिन उसने एक बड़ा और सुंदर रेत का किला बनाने का फैसला किया। वह अपनी बाल्टी और फावड़ा लेकर आया और रेत इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उसने सावधानी से रेत को गीला किया और उसे बाल्टी में भरकर ढेर लगाना शुरू किया। धीरे-धीरे एक बड़ा और मजबूत रेत का किला बनने लगा। उसने किले में खिड़कियां और एक बड़ा दरवाजा भी बनाया। जब उसका किला पूरा हो गया, तो राहुल बहुत खुश था। उसने गर्व से अपने किले को देखा। सूरज चमक रहा था और समुद्र में एक छोटी नाव तैर रही थी, जिससे दृश्य और भी सुंदर लग रहा था। राहुल ने महसूस किया कि कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी बनाया जा सकता है। उसने अपने दिन का आनंद लिया और शाम को खुशी-खुशी घर लौट आया।
मयंक सिंघल,उम्र-13वर्ष
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नन्हा निर्माता और सागर
एक सुनहरी सुबह आरव अपने बाल्टी और फावड़े के साथ समुद्र किनारे पहुंचा। लहरें चमचमा रही थीं और नरम रेत पैरों को गुदगुदा रही थी। आरव का सपना था कि वह सबसे ऊंचा और सुंदर रेत का किला बनाएगा। उसने खोदना शुरू किया, रेत जमाई और आकार देने लगा। धीरे-धीरे ऊंचे बुर्ज खड़े हो गए, चारों ओर दीवारें बन गईं और एक नन्हा पुल भी तैयार हो गया। पास ही बैठा एक केकड़ा उत्सुकता से झांक रहा था और सीगल पक्षी ऊपर मंडरा रहे थे। आरव गर्व से मुस्कुराया- किला तैयार था! तभी एक बड़ी लहर दौड़ती हुई आई। किले के किनारे तक पानी पहुंच गया। आरव घबरा गया क्या उसकी सारी मेहनत बह जाएगी? पापा ने कंधे पर हाथ रखकर कहा, चिंता मत करो बेटा, समुद्र तुम्हारा किला तोड़ना नहीं चाहता। वह तो बस तुम्हें नमस्ते कर रहा है। आरव ने सोचा और फिर कुछ सीपियां उठाकर किले पर सजाईं। उसने रेत में छोटे-छोटे सुरंग बनाए ताकि पानी उनमें से होकर गुजर सके। अगली लहर आई तो दीवारें टूटने के बजाय सुरंगों से खेलती हुई निकल गई। पानी में चमकते बुलबुले रह गए। आरव खुशी से ताली बजाने लगा। अब उसका किला और समुद्र दोस्त बन गए थे। शाम को जब आसमान नारंगी और गुलाबी रंग में रंगा आरव ने फुसफुसाकर कहा- अलविदा किले, अलविदा सागर, मैं फिर आऊंगा, तुम्हारे साथ खेलने।
तनु भाटिया,उम्र-11वर्ष

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विपरीत परिस्थिति में निराश नहीं होना चाहिए
गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं। रोहन अपने माता-पिता के साथ समुद्र तट पर घूमने आया। सुबह का समय था, सूरज अपनी सुनहरी किरणों से पूरे आकाश को चमका रहा था। नीला समंदर लहरों के साथ खेल रहा था और दूर नावें तैर रही थीं। रोहन बहुत उत्साहित था क्योंकि उसे पहली बार रेत का किला बनाने का मौका मिला। हाथ में छोटी बाल्टी और फावड़ा लिए उसने गीली रेत इकट्ठी की और धीरे-धीरे एक सुंदर किला बनाना शुरू किया। किले में उसने दरवाजा, खिड़कियां और ऊपर मीनार भी बनाई। जब उसका किला तैयार हुआ तो वह गर्व से मुस्कुराया। पास खेल रहे बच्चे भी उसका किला देखने आए। सबने मिलकर उसकी तारीफ की और साथ में अपने-अपने छोटे घर भी बनाने लगे। शाम को जब लहरें धीरे-धीरे पास आईं तो वे किलों को मिटाने लगीं। पहले रोहन को दुख हुआ, लेकिन फिर उसने मुस्कुराकर कहा कोई बात नहीं, कल हम और बड़ा किला बनाएंगे। यह कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और सहयोग से हर काम सुंदर बनता है और गिर जाने पर भी हमें निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि नए उत्साह के साथ फिर से शुरू करना चाहिए।
नव्या वर्मा,उम्र-11वर्ष
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मिट्टी का महल
एक रात प्रयाग को एक सपना आया कि वह समुद्र तट पर हाथ में फावड़ा व बाल्टी लेकर मिट्टी का महल बना रहा था। परन्तु समुद्र की लहरें बार बार इस काम में बाधा डाल रही थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास करके एक सुंदर मिट्टी का महल बनाया। मिट्टी के महल का दरवाजा और खिड़कियां देखकर लगा जैसे यह सचमुच का महल हो और वह अपने महल को देखकर बहुत खुश हुआ। उसके चेहरे पर गर्व और संतोष की झलक साफ दिखाई दे रही थी। इस तरह उसने न केवल खेल-खेल में एक सुंदर मिट्टी का महल बनाया बल्कि धैर्य और मेहनत का महत्त्व भी सीखा।
कार्तिक कुमावत,उम्र-9वर्ष

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बालू का किला
गर्मी की छुट्टियां थीं। रोहन अपने माता-पिता के साथ समुद्र किनारे घूमने आया। समुद्र की लहरों को देखकर वह बहुत खुश हुआ। उसके हाथ में एक छोटी सी फावड़ी थी और पास में बालू की ढेर सारी रेत। रोहन ने सोचा- क्यों न मैं एक सुंदर सा किला बनाऊं? वह उत्साह से बालू खोदने लगा। पहले उसने चौकोर नींव बनाई, फिर ऊपर गोल आकार का एक छोटा कमरा रखा। धीरे-धीरे उसने खिड़कियां, दरवाजा और ऊपर मीनार जैसी आकृति भी बना दी। किनारे बाल्टी और पानी की मदद से उसने रेत को मजबूत कर दिया। किला देखकर मम्मी-पापा भी मुस्कुराए। तभी उसके दोस्त भी आ गए। उन्होंने कहा- रोहन, तुम्हारा किला बहुत सुंदर है। रोहन बोला- अगर हम सब मिलकर काम करें तो और बड़ा व सुंदर किला बना सकते हैं। सभी बच्चों ने मिलकर मेहनत की और थोड़ी ही देर में रेत का शानदार किला तैयार हो गया। सूरज ढलते ही समुद्र की लहरें तेज हो गईं। लहरें धीरे-धीरे किनारे तक पहुंचीं और किले को बहा ले गईं। बच्चे थोड़े उदास हुए, लेकिन रोहन बोला- दोस्तों, किला भले ही टूट गया पर हमें मेहनत और मिलजुलकर काम करने की खुशी हमेशा याद रहेगी। सीख- किसी भी काम में असली आनंद मेहनत और सहयोग से मिलता है। चीजें भले ही न टिकें पर सीखी गई बातें और अनुभव हमेशा साथ रहते हैं।
विदुषी शर्मा,उम्र-7वर्ष

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