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किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 43 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (20 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 43 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 43 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (20 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 43 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

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जयपुर

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Tasneem Khan

Aug 27, 2025

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 43 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (20 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 43 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

सच्ची दोस्ती
हरे-भरे जंगल में एक मोर, सारस, चिड़िया और कौआ रहते थे। मोर हमेशा अपने सुंदर पंखों का दिखावा करता था। वह कहता मेरे जैसे पंख किसी के पास नहीं। सारस शांत रहता, चिड़िया गीत गाती और कौआ भोजन ढूंढऩे में सबकी मदद करता। एक दिन तेज बारिश आई। जंगल में पानी भर गया। छोटे पक्षी घबराने लगे। मोर अपने भारी पंखों के कारण उड़ नहीं पा रहा था। तभी सारस ने अपनी लंबी टांगों से छोटे पक्षियों को सुरक्षित जगह पहुंचाया। चिड़िया ने गीत गाकर सबको हिम्मत दी और कौए ने सुरक्षित घोंसले ढूंढ़ निकाले। मोर भीगकर कांप रहा था। उसके सुंदर पंख अब किसी काम के नहीं थे। तब उसने महसूस किया कि असली दोस्ती और मदद ही जीवन की असली खूबसूरती है। उसने सब से माफी मांगी और वादा किया कि अब कभी घमंड नहीं करेगा। शिक्षा- संकट के समय सुंदरता नहीं, बल्कि दोस्ती और गुण काम आते हैं।
वासवी जैन,उम्र-11वर्ष

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सच्ची सुंदरता हमारे अंदर होती है
एक समय की बात है, जंगल में एक मोर रहता था। वह अपने रंग-बिरंगे पंखों और सुंदर आवाज के लिए प्रसिद्ध था। एक दिन, जब वह अपने पंख फैलाकर नाच रहा था तो उसकी मुलाकात एक कौवे से हुई। कौवा मोर की सुंदरता को देखकर ईष्र्या करने लगा। कौवे ने सोचा, काश मैं भी इतना सुंदर होता। उसने मोर से पूछा, तुम्हारे पंख इतने रंगीन क्यों हैं? मोर ने जवाब दिया, मेरी सुंदरता प्रकृति की देन है। मैं इसे अपनी मेहनत से नहीं बना सकता, लेकिन मैं इसे संभालकर रखता हूं। कौवा समझ गया कि सुंदरता बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से आती है। उसने अपनी असली पहचान को स्वीकार किया और खुश रहने लगा। इस प्रकार कौवे ने सीखा कि सच्ची सुंदरता आत्म-संतुष्टि और आत्म-स्वीकृति में है, न कि बाहरी दिखावे में। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी असली पहचान को स्वीकार करना चाहिए और दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए। सच्ची सुंदरता हमारे अंदर होती है और हमें इसे पहचानना और अपनाना चाहिए।
तनमय सिंह राजावत,उम्र-9वर्ष

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कभी अपनी अच्छाई का घमंड न करें
एक बार की बात है, जंगल में चार दोस्त रहते थे- मोर, कौआ, तोता और सारस। मोर अपने सुंदर पंखों पर बहुत घमंड करता था। वह रोज अपने पंख फैलाकर नाचता और कहता, देखो, मेरे जितना सुंदर कोई नहीं है। कौआ बोला, सुंदरता सब कुछ नहीं होती, बुद्धि भी जरूरी है। तोता बोला और हां, मीठी बोली से ही सबका दिल जीता जाता है। सारस बोला और मेहनत करने वाला ही सबसे बड़ा होता है। एक दिन जंगल में शिकारियों का खतरा आ गया। वे जाल लेकर आए। मोर तो अपने सुंदर पंखों को बचाने में उलझ गया, लेकिन उड़ नहीं पाया। तभी कौए ने जोर से कांव-कांव करके सबको सचेत किया। तोते ने अपनी तेज बोली से बाकी पक्षियों को इकट्ठा किया। सारस ने अपनी लंबी टांगों से दौड़ लगाई और सबको सुरक्षित जगह ले गया। मोर समझ गया कि केवल सुंदरता ही काम की नहीं होती। असली ताकत तो दोस्ती, बुद्धि, मेहनत और मीठी बोली में होती है। उस दिन से मोर ने कभी घमंड नहीं किया और सबके साथ मिलकर खुशी-खुशी रहने लगा। सीख- हमें कभी भी अपनी खूबियों पर घमंड नहीं करना चाहिए। हर किसी की अपनी विशेषता होती है और मिलजुलकर ही जीवन आसान बनता है।
राघव,उम्र-10वर्ष

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दोस्ती की नई उड़ान
एक सुंदर बगिया में मोर, कौआ, तोता और सारस रहते थे। मोर अपने रंग-बिरंगे पंख फैलाकर सबको आकर्षित करता और तोता अपनी मीठी बातें सुनाता। एक दिन, कौआ उदास बैठा था। मोर ने पूछा, क्यों उदास हो? कौआ बोला, मैं उड़ तो सकता हूं, लेकिन मुझे कोई साथी नहीं मिलता। तोता और सारस ने हंसते हुए कहा, हम सब दोस्त हैं, तुम भी हमारे साथ खेलो और उड़ो। अगले दिन, चारों मिलकर बगिया में खेल शुरू किए। मोर ने अपने पंख फैलाकर कौआ और तोते को छाया दी। तोता अपनी चंचल बातों से सबका मनोबल बढ़ाता रहा। सारस ने लंबी टांगों से खेल में मजा बढ़ाया। धीरे-धीरे, कौआ भी हंसने लगा और उसने पहली बार सबके साथ उड़ान भरी। सबने मिलकर महसूस किया कि असली खुशी सिर्फ सुंदर दिखने या ऊंचाई पर उडऩे में नहीं, बल्कि दोस्ती और साथ बिताए पलों में है। उस दिन के बाद, बगिया में चारों की हंसी और खुशी हमेशा गूंजती रही। मोर, कौआ, तोता और सारस ने सीखा कि दोस्ती की ताकत सबसे बड़ी होती है। और इस तरह बगिया में हर दिन नई कहानी और नई उड़ान की शुरुआत होती।
चर्चित सोनी,उम्र-13वर्ष

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एकता में ही श्रेष्ठता
जंगल में एक बार मोर, कौआ, तोता और सारस रहते थे। चारों की अपनी-अपनी विशेषताएं थीं। मोर अपने सुंदर पंखों पर गर्व करता था और सोचता था कि वही सबसे श्रेष्ठ है। कौआ अपनी बुद्धिमानी पर घमंड करता था। तोता अपनी बातों और नकल से सबको हंसाता था, जबकि सारस मेहनती और सरल स्वभाव का था। एक दिन सभी आपस में बहस करने लगे। मोर बोला- मेरे जैसे सुंदर पंख किसी के पास नहीं। कौआ बोला- सिर्फ सुंदरता ही नहीं, बुद्धि भी जरूरी है। तोते ने कहा- लोगों को खुश करना सबसे बड़ा काम है। सारस ने शांत होकर कहा- सच्ची श्रेष्ठता मेहनत और सेवा में है। इतने में पास बैठा एक बुजुर्ग उल्लू बोला- तुम सब अपनी-अपनी जगह महान हो। मोर सुंदरता देता है, कौआ समझदारी, तोता हंसी और सारस मेहनत। जब तुम सब मिलकर काम करोगे, तभी असली श्रेष्ठता साबित होगी। उल्लू की बात सुनकर सभी ने अपनी गलती मानी और तय किया कि वे अब तुलना नहीं करेंगे, बल्कि एक-दूसरे की खूबियों को अपनाएंगे। उस दिन से जंगल में शांति और सहयोग बढ़ गया। सीख- हर किसी की अपनी खासियत होती है। तुलना नहीं, सहयोग ही असली महानता है।
युविका जांगिड़,उम्र-10वर्ष

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नियमित रूप से प्याऊ में पानी डालना चाहिए
एक बार की बात है एक जंगल में कुछ पक्षी बात कर रहे थे। वह चार पक्षी थे कौआ, मोर, सारस, तोता थे। आसमान में मौसम साफ था। मोर ने अपने पंख फैला रखे थे। वह सुंदर लग रहा था। वह यह बात कर रहे थे कि मोर बोला कि जंगल में पानी की कमी है। इसलिए हमें पीने के पानी का इंतजाम करना चाहिए। कौआ कहता है कि हम पानी का इंतजाम कहा से करें। तभी सारस बोला क्यों न हम शहर चले तोता कहता है कि अगर सब पक्षी की हां है तो चलते हैं। तभी सभी पक्षी ने हां बोला और वह शहर के लिए चल दिए। वह शहर में उड़ी रहे थे कि उन्होंने कुछ प्याउ दिखे। वह खुश हुए और सोचा अब प्याऊ से ही पानी पिया करेंगे। उसमें थोड़ा ही पानी था पर सबने अपनी प्यास बुझाई और सोचा किसी और पक्षी ने पानी पिया होगा। इसलिए आज पिया हूं मैं पानी थोड़ा है। कल तो कोई ना कोई पानी डालेगा उन्होंने वहां पर अपना घोंसला तैयार करने लगे। उन्हें घोंसला बनाते-बनाते रात हो गई और घोंसला भी तैयार हो गया था। अगले दिन किसी ने भी उसमें पानी नहीं डाला। वह कुछ दिन और रहे पर किसी ने पानी ने डाला। हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि इंसान एक बार तो प्याऊ लगा देता है। बाद में उसमें न तो पानी डालता है। उसे एक-दो दिन तो शौक होता है पर बाद में पानी नहीं डालता इसलिए हमें गर्मियों में प्याऊ लगाना भी चाहिए और उसमें पानी भी डालना चाहिए।
धीरज बसंल,उम्र-12वर्ष

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एकता में शक्ति
एक बार की बात है, जंगल में एक मोर, कौआ, तोता और सारस रहते थे। चारों आपस में बहुत अच्छे मित्र थे। मोर अपनी सुंदरता के लिए मशहूर था। तोता अपनी मधुर वाणी से सबको प्रसन्न करता था। सारस अपनी मेहनत और सरलता के लिए जाना जाता था। कौआ अपनी चतुराई के कारण सबका प्रिय था। एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने जाल बिछा दिया और उसमें अनाज डाल दिया। तोते को अनाज देखकर लोभ आया और वह जाल में फंस गया। उसके पीछे कौआ और सारस भी उसे छुड़ाने आए लेकिन वे भी जाल में फंस गए। अब चारों मित्र घबराने लगे। तभी मोर बोला - घबराओ मत, हम सब मिलकर कुछ उपाय करेंगे। मोर ने अपने सुंदर पंख फैला लिए और नाचने लगा। शिकारी को लगा कि मोर अकेला है और वह उसकी ओर दौड़ा। इतने में कौआ ने अपनी चोंच से जाल की रस्सी काट दी, तोते ने चोंच से धक्का दिया और सारस ने अपने लंबे पैरों से जाल को खींच दिया। देखते-देखते सभी मित्र आजाद हो गए। सभी ने मिलकर समझा कि अकेले कोई भी मुश्किल हल नहीं कर सकता, लेकिन मिलकर सब कुछ संभव है। सीख- एकता में शक्ति है। हमें हमेशा मिलजुलकर रहना चाहिए और मित्रों की मदद करनी चाहिए।
सारांश मीना,उम्र-13वर्ष

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मोर और सारस
एक बार की बात है। जंगल में एक सुंदर मोर रहता था। उसका नृत्य और उसके चमकदार रंग-बिरंगे पंख देखने लायक थे। जब भी वह अपने पंख फैलाकर नाचता तो सब जानवर उसकी सुंदरता की तारीफ करते। इससे मोर को बहुत घमंड हो गया। एक दिन मोर ने सारस और कौवे को देखा। दोनों साधारण से पक्षी थे। सारस का रंग सफेद और साधारण था, जबकि कौआ तो काला और बिल्कुल साधारण दिखाई देता था। मोर ने घमंड से कहा- देखो, मेरे पंख कितने सुंदर और चमकीले हैं। तुम दोनों मुझसे कितने कमजोर और बदसूरत लगते हो। सारस ने शांति से उत्तर दिया- भाई मोर, ईश्वर ने हर जीव को अलग-अलग विशेषता दी है। तुम्हें सुंदर पंख दिए हैं, तो हमें आसमान में ऊंचाई तक उडऩे की क्षमता दी है। हम पक्षी हजारों किलोमीटर तक उड़ सकते हैं, जबकि तुम अपने भारी पंखों के कारण उड़ भी नहीं सकते। सारस की बात सुनकर मोर को एहसास हुआ कि केवल सुंदरता ही सबकुछ नहीं होती। हर किसी में कोई न कोई गुण होता है, जिसे हमें कम नहीं आंकना चाहिए। सीख- हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। हर व्यक्ति में कोई न कोई खासियत होती है। दूसरों की निंदा करने के बजाय हमें उनके अच्छे गुणों से सीखना चाहिए।
दिशिता जैन,उम्र-10वर्ष

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जादुई जंगल की खोज
एक घने जंगल में मोर, सारस, तोता और कौवा रहते थे। एक दिन उन्हें खबर मिली कि जंगल के बीचों-बीच एक जादुई पेड़ है, जिसकी पत्तियों पर सोने जैसी चमक है। जिसने भी उस पेड़ को देखा, उसकी एक इच्छा पूरी हो जाती है। यह सुनकर चारों ने मिलकर वहां जाने का निश्चय किया। यात्रा बेहद रोमांचक थी। रास्ते में पहले एक तेज़ नदी आई। सारस ने अपने लंबे पंखों से सबको पार कराया। फिर एक गहरी गुफा मिली, जहां अंधेरा था। मोर ने अपने पंख फैलाए तो उनमें से हल्की रोशनी निकलने लगी और सब अंदर बढ़े। अचानक गुफा में एक सांप रास्ता रोककर खड़ा हो गया। तोते ने अपनी तेज आवाज से शोर मचाया जिससे सांप डरकर भाग गया। आगे कांटेदार झाडिय़ां थीं। कौवे ने चतुराई से ऊपर उड़कर सही रास्ता ढूंढ लिया। आखिरकार वे उस जादुई पेड़ तक पहुंचे। पेड़ सचमुच चमक रहा था। सबने मन ही मन एक इच्छा मांगी, लेकिन पेड़ की आवाज आई- तुम्हारी असली ताकत तुम्हारी दोस्ती और साहस है। चारों मुस्कुराए। उन्हें समझ आ गया कि असली जादू पेड़ में नहीं, बल्कि उनकी एकता में है। वे गर्व और खुशी से लौटे और जीवनभर साथ रहने का वादा किया। सीख- सच्चा रोमांच साथ मिलकर चुनौतियों को पार करने में है।
उन्नति कर्मा,उम्र-7वर्ष

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रंग-बिरंगे पंखों का रहस्य
हरी-भरी घाटी में एक मोर, सारस, तोता और कौवा रहते थे। मोर अपने सुंदर पंख फैलाकर नाचता तो सब जानवर तालियां बजाते। सारस ऊंचे आसमान तक उड़कर गर्व महसूस करता। तोता अपनी मीठी बोली से सबका मन मोह लेता और कौवा हमेशा चतुराई भरी बातें करता। एक दिन जंगल में खबर फैली कि पास ही की गुफा में एक रहस्यमयी रत्न छुपा है। कहा जाता था कि जो उस रत्न को पाएगा, उसकी शक्ति और सुंदरता कई गुना बढ़ जाएगी। सभी पक्षी उत्साहित हो गए और तय किया कि वे मिलकर इस खजाने को ढूंढेंगे। यात्रा आसान नहीं थी। रास्ते में कांटेदार झाड़ियां और ऊंची चट्टानें थीं। सारस ने अपने लंबे पंखों से सबको नदी पार कराई। तोते ने गुफा के ताले जैसे दिखने वाले बेलों का रहस्य अपनी नुकीली चोंच से खोला। मोर ने अंधेरे में अपने चमकते पंखों से रोशनी फैलाई और कौवे ने समझदारी से रास्ते में बिछे जालों को पहचानकर सबको बचाया। अंत में, जब वे गुफा तक पहुंचे तो देखा कि वहां रत्न नहीं बल्कि एक आईना रखा था। उस पर लिखा था- सच्चा खजाना एकता और दोस्ती है। सब हंस पड़े और समझ गए कि असली शक्ति उनके मिलजुल कर रहने में है। उस दिन से वे और भी अच्छे दोस्त बन गए। सीख- मिलजुलकर काम करने से कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है।
आरव विश्वकर्मा,उम्र-11वर्ष

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सुंदरता बाहरी नहीं, बल्कि अंदरूनी होती है
पुराने समय की बात है, एक घने जंगल में मोर, कौआ और सारस रहते थे। मोर बहुत घमंडी था क्योंकि उसके पंख बहुत सुंदर थे। एक दिन मोर अपने पंख फैलाकर नाच रहा था। वह कौआ और सारस को देखकर हंसा और बोला, तुम कितने बदसूरत हो। मेरे पंख कितने सुंदर हैं! कौआ और सारस मोर की बात सुनकर दुखी हो गए। कौआ ने मोर से कहा, तुम्हारे पंख सुंदर हैं, लेकिन तुम्हारी आवाज कर्कश है। सारस ने कहा, हम सुंदर नहीं हैं, लेकिन हम बहुत दूर तक उड़ सकते हैं। मोर ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और अपनी सुंदरता का बखान करता रहा। कुछ दिनों बाद, जंगल में आग लग गई। सभी जानवर डर गए। मोर अपने भारी पंखों के कारण जल्दी उड़ नहीं पा रहा था। कौआ और सारस तुरंत हवा में उड़ गए और मदद के लिए चिल्लाने लगे। उन्होंने दूर से एक आदमी को देखा और उसे जंगल में लगी आग के बारे में बताया। आदमी ने तुरंत वन विभाग को सूचित किया। वन विभाग की टीम ने आकर आग बुझाई। सभी जानवरों ने कौआ और सारस का धन्यवाद किया। मोर को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने कौआ और सारस से माफी मांगी और कहा, सुंदरता बाहरी नहीं, बल्कि अंदरूनी होती है। उस दिन के बाद से सभी पक्षी एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे।
जान्हवी बैरवा,उम्र-9वर्ष

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सुंदरता से अधिक जरूरी स्वभाव और बुद्धि
यह कहानी एक जंगल की है। जहां एक सुंदर मोर, एक कौआ, एक रंगीन तोता और एक सारस पक्षी रहते थे। मोर अपने सुंदर पंखों के लिए बहुत घमंडी था और हमेशा अपने पंख फैलाकर इतराता रहता था। कौआ बहुत बुद्धिमान था, तोता हमेशा मीठी बातें करता था और सारस शांत स्वभाव का था। एक दिन, मोर ने अन्य पक्षियों से कहा, देखो, मेरे पंख कितने सुंदर हैं। तुम सब कितने साधारण दिखते हो। कौए ने कहा, सुंदरता केवल दिखावे में नहीं होती, असली सुंदरता दिल में होती है। लेकिन मोर ने उसकी बात नहीं मानी। कुछ दिनों बाद, जंगल में एक शिकारी आया। उसने मोर को देखा और उसे पकड़ने की योजना बनाई। मोर अपने पंखों को फैलाकर नाच रहा था और शिकारी को देख नहीं पाया। तभी, कौए ने शिकारी को देखा और जोर-जोर से कांव-कांव करने लगा। तोते ने भी खतरा है, खतरा है। चिल्लाकर सबको सावधान किया। सारस ने मोर को शिकारी के बारे में बताया और उसे उडऩे का इशारा किया। मोर ने तुरंत शिकारी को देखा और तेजी से उड़ गया। वह अपनी जान बचाने के लिए उन पक्षियों का आभारी था, जिन्हें वह साधारण मानता था। उस दिन के बाद, मोर का घमंड टूट गया। उसने सभी पक्षियों से माफी मांगी और कहा, तुम सबने आज मेरी जान बचाई। तुमने साबित कर दिया कि असली सुंदरता दिल और बुद्धि में होती है, न कि दिखावे में। तब से वे सभी दोस्त बन गए और खुशी-खुशी रहने लगे। सीख- असली सुंदरता बाहरी दिखावे में नहीं होती, बल्कि अच्छे स्वभाव, बुद्धि और सच्चे दोस्तों में होती है।
अथर्व पारीक,उम्र-9वर्ष

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मोर, कौआ, तोता और हंस की दोस्ती
एक छोटे से गांव में एक मोर, कौआ, तोता और हंस रहते थे। मोर अपनी रंगीन पंखों को फैलाकर नाचता था। कौआ अपनी चतुराई से खाने का इंतजाम करता था। तोता अपनी मजेदार बातों से सबको हंसाता था और हंस अपनी सुंदर आवाज से सबको मोहित करता था। एक दिन, चारों ने मिलकर एक योजना बनाई। मोर ने अपनी पंखों से सजावट की, कौआ ने अपनी चतुराई से खाने का इंतजाम किया। तोता ने अपनी बातों से सबको हंसाया और हंस ने अपनी सुंदर आवाज से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। गांव में एक अनोखा उत्सव बना दिया। सब लोग उनकी दोस्ती की तारीफ करने लगे। मोर, कौआ, तोता और हंस ने सीखा कि दोस्ती में हर किसी की अपनी खासियत होती है और जब हम साथ मिलकर काम करते हैं तो हम बड़े और सुंदर काम कर सकते हैं। उनकी दोस्ती ने गांव को और भी सुंदर बना दिया।
त्रिशा मीना,उम्र-10वर्ष
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सच्ची सुंदरता
एक बगीचे में मोर, कौआ, तोता और सारस रहते थे। मोर अपने सुंदर पंखों पर बहुत घमंड करता था। जब भी वह नाचता सब उसे देखते और ताली बजाते। तोता अपने हरे-लाल रंग पर इतराता था और सारस अपनी लंबी टांगों पर। कौआ सोचता- मैं काला हूं, कोई मेरी ओर ध्यान नहीं देता। एक दिन बहुत तेज आंधी और बारिश आई। छोटे चिडिय़ों के बच्चे डरकर इधर-उधर भागने लगे। मोर अपने पंख बचाने में लगा रहा, तोता उड़कर पेड़ पर छिप गया और सारस पानी से डरकर किनारे खड़ा रहा। लेकिन कौआ तुरंत उड़कर आया। उसने बच्चों को अपनी चोंच और पंखों से सुरक्षित जगह तक पहुंचाया। धीरे-धीरे सब पक्षी तूफान से बच गए। तूफान रुकने पर मोर, तोता और सारस ने समझा कि सुंदरता केवल रंग और रूप में नहीं, बल्कि मदद और साहस में होती है। सबने मिलकर कौए की तारीफ की। उस दिन के बाद सभी पक्षी दोस्त बन गए और किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझा।
आर्वी,उम्र-7वर्ष

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पक्षियों की पुकार
नंदनवन में बहुत सारे पशु पक्षी मिलजुलकर रहते थे। एक बार सारे पक्षियों ने मिलकर मीटिंग की और तय किया कि अब हमें इस जंगल से कहीं दूर चले जाना चाहिए। क्योंकि हमारे जंगल पर मनुष्यों ने राज कर लिया है। ऐसा सुनकर सभी पशु पक्षी बहुत दुखी हुए और कहने लगे मनुष्यों तुम्हें तो रहने के लिए भगवान ने बहुत सारी जगह दी है। कम से कम हमारे पेड़ पौधों को तो मत काटो। हमारे जंगल पर राज मत करो। जब जंगल काटने वाले ने यह बात सुनी तो वह मन ही मन बहुत दुखी हुआ। उसने कहा मुझे लकड़ी तो कहीं भी मिल जाएंगी परंतु इन पशु पक्षियों का क्या यह सोच कर उसने जंगल को नहीं काटा और सारे पक्षियों से माफी भी मांगी। उनसे इसी जंगल में रहने का आग्रह किया। यह बात सुनकर सभी पक्षी खुश हो गए और इस खुशी में मोर ने तो नाचना ही शुरू कर दिया। अब उनको किसी का भय नहीं था।
दिविशा गांधी,उम्र-7वर्ष
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दोस्ती की ताकत
एक बार की बात है, चार दोस्त रहते थे- मोर, कौआ, चिड़िया और बबूला। मोर और कौआ अच्छे दोस्त थे, जबकि चिड़िया और बबूला की जोड़ी बनी रहती थी। इस वजह से वे चारों अलग-अलग समय बिताते थे। एक दिन शिकारी ने मोर को पकड़ने की कोशिश की। मोर बुरी तरह फंस गया। कौआ अपने दोस्त को बचाना चाहता था लेकिन अकेले असहाय था। वह तुरंत चिड़िया और बबूला के पास गया और बोला- मेरे दोस्त की जान खतरे में है, कृपया मदद करो। अगर हम सब साथ हुए तो शिकारी को भगा देंगे। चिडिय़ा और बबूला राजी हो गए। तीनों ने मिलकर जोर से शोर मचाया और शिकारी डरकर भाग गया। मोर की जान बच गई। उस दिन चारों ने वादा किया कि वे हमेशा साथ मिलेंगे और खुशी-खुशी रहेंगे।
देवांश पूनिया,उम्र-9वर्ष

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बादलों की सैर में जंगल के पक्षी
काले-काले बादलों को देखकर जंगल में मोर नाच रहा था। तब पेड़ के तने में बने घोसलें से नीचे उतर कर तोते ने मोर के साथ बहस करनी शुरू करती और बोला तुम क्यों नाच रहे हो? नृत्य में मगन हो चुके मोर ने तोते की बात पर कोई जवाब नहीं दिया। तोते को ऊंचे सुर में बोलते सुनकर कौआ और सारस भी आ गए। इन दोनों ने कौवे से पूछा भाई तुम इतना तेज क्यों चिल्ला रहे हो? तो तोता बोला कौआ भाई, सारस भाई यह मोर बरसात आने की खुशी में नाच रहा है जबकि तुम जानते ही हो कि अगर बरसात होगी तो मेरे पेड़ की डाली में बने घोंसले में पानी चला जाएगा। मुझे परेशानी का सामना करना पड़ेगा। मुझे परेशान करने के लिए मोर बरसात के लिए नाच रहा है। सारस और कौवे ने मोर से पूछा कि भाई तुम क्यों नाच रहे हो? नृत्य करते हुए मोर बोला कि देखो काले-काले बादल आसमान में कितने सुंदर लग रहे हैं। बरसात होगी तो सबको अच्छा लगेगा। सारस भाई आप तालाब में डुबकी लगाना। कौवे भाई आप काले-काले बादलों की सैर करना और तोता भाई तुम्हारे लिए तो सब कुछ हरा ही हरा हो जाएगा। मोर की बात सुनकर सभी खुशी से नाचने लग गए।
अभिनव राज,उम्र-10वर्ष

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घमंडी मोर और सच्ची सुंदरता
एक बार की बात है कि एक हरे-भरे जंगल में चार पक्षी रहते थे- मोर, कौआ, तोता और सारस। मोर अपनी रंग-बिरंगे पंखों पर बहुत घमंड करता था। वह हमेशा अपने पंख फैलाकर इतराता और बाकी पक्षियों को नीचा दिखाने की कोशिश करता था। एक दिन मोर ने सबको बुलाया और कहा- देखो मेरे पंख कितने सुंदर है। तुम सब मेरे सामने कुछ भी नहीं हो। तुम सबकी शक्ल-सूरत तो बहुत साधारण है। कौआ बोला- सच है कि तुम सुंदर हो, परंतु सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती। तोते ने भी कहा, मैं तो लोगों को हंसाता हूं और बातें करता हूं, इससे मुझे खुशी मिलती है। सारस ने शांत स्वर में कहा, मैं दूर-दूर तक उड़ता हूं और तालाबों से मछलियां पकड़ता हूं। मैं तो अपने काम में खुश हूं। लेकिन मोर सबकी बातों को नजरअंदाज करके फिर से नाचने लगा। अचानक बारिश शुरू हो गई। सब पक्षी उड़कर पेड़ पर चले गए लेकिन मोर भारी पंखों के कारण उड़ नहीं पाया। वह भीग गया और कांपने लगा। तब सारस नीचे आया और बोला, सिर्फ सुंदरता से कोई महान नहीं बनता, समझदारी और विनम्रता भी जरूरी होती है। मोर को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सबसे माफी मांगी और कहा, अब मैं किसी को कम नहीं समझूंगा। उस दिन से चारों पक्षी अच्छे दोस्त बन गए और मिलजुलकर रहने लगे।
योगिता चौधरी,उम्र-9वर्ष
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हमारे पास जो है उसमें खुश रहना चाहिए
एक कौवा था जो खुद को बहुत कुरूप मानता था और हमेशा उदास रहता था। उसने जंगल में एक हंस को देखा और उसके सफेद और सुंदर रंग से बहुत प्रभावित हुआ। कौवे ने सोचा कि हंस बहुत खुश होगा तो कौवा हंस के पास गया और उससे पूछा कि क्या वह अपनी सुंदरता के कारण बहुत खुश है। हंस ने जवाब दिया कि वह भी उतना खुश नहीं है और उसे लगता है कि एक तोता शायद और भी सुंदर और खुश है तो कौवा और हंस तोते के पास गये और उससे पूछा कि क्या वह अपनी सुंदरता से खुश है। तोते ने कहा कि वह भी दूसरों की तरह नहीं है और उसने कौवे को बताया कि दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी मोर है। कौवा, हंस और तोता जब मोर के पास गये, तो उन्होंने मोर से पूछा कि क्या वह दुनिया का सबसे सुन्दर और खुश पक्षी है। मोर ने कौवे को बताया कि वह अपनी सुंदरता से कभी-कभी दुखी भी होता है। उसने कौवे को बताया कि वह अपनी सुंदरता के कारण ही चिडिय़ाघर में कैद रहता है। तब सभी पक्षियों ने निर्णय लिया कि हमें कभी भी अपनी तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए। हमें अपनी खूबियों पर ध्यान देना चाहिए और जो हमारे पास है, उसमें खुश रहना चाहिए।
हिमांशी चबरवाल,उम्र-10वर्ष

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