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किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 42 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (13 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 42 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

परिवार परिशिष्ट (13 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 42 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

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जयपुर

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Tasneem Khan

Aug 20, 2025

परिवार परिशिष्ट (13 अगस्त 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 42 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।

व्यापारी और भूतों का सौदा
बहुत समय पहले रामपुर गांव में हरिराम नाम का एक व्यापारी रहता था। वह बहुत चालाक और लालची था। एक रात वह शहर से सोने के सिक्कों की थैली लेकर लौट रहा था। रास्ता जंगल से होकर जाता था। जैसे ही वह जंगल के बीच पहुंचा, अचानक धुंध छा गई और तीन डरावने भूत उसके सामने आ गए। व्यापारी का चेहरा पीला पड़ गया, लेकिन उसने जल्दी ही खुद को सम्भाल लिया। सबसे बड़ा भूत गरज कर बोला, यह जंगल हमारा है, यहां से गुजरने के लिए हमें तुम्हारी थैली देनी होगी! हरिराम ने सोच लिया कि अपनी थैली तो वह किसी कीमत पर नहीं देगा। उसने दिमाग लगाया और बोला, ठीक है, लेकिन तुम भी मेरे साथ एक सौदा करो। अगर तुम लोग मेरी दुकान में काम करोगे, तो मैं हर दिन तुम्हें मीठे लड्डू खिलाऊंगा। भूतों को मीठा बहुत पसंद था, इसलिए उन्होंने तुरंत मान लिया। अगले ही दिन से तीनों भूत व्यापारी की दुकान पर काम करने लगे। एक माल उठाता, दूसरा ग्राहकों को डराकर जल्दी पैसे दिलवाता और तीसरा रात में दुकान की रखवाली करता। कुछ ही हफ्तों में हरिराम की दुकान गांव में सबसे मशहूर हो गई। भूतों को भी लड्डू रोज मिलने लगे और वे खुश रहने लगे।
अथर्व सिंह चौहान,उम्र-8वर्ष

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कुबड़े कालू और भूतों का रहस्य
बहुत साल पहले एक गांव में कुबड़ा कालू रहता था। उसकी पीठ झुकी हुई थी, लेकिन दिमाग तेज था। एक रात वह जंगल के रास्ते से गुजर रहा था, तभी तीन भूत उसके सामने आ गए। सबसे बड़ा भूत पंजे फैलाकर गुर्राया, कालू! तुझे खा जाएंगे! कालू डरने की बजाय हंस पड़ा और बोला, अरे, मेरी पीठ में तो पहले ही बोझ है, अगर हिम्मत है तो इसे सीधा कर दो! भूत चौंक गए। उन्होंने कभी किसी इंसान को यूं जवाब देते नहीं सुना था। छोटे भूत ने कहा, हम डराने नहीं, मदद मांगने आए हैं। हमारा खजाना किसी ने छुपा लिया है। कालू ने अपनी चालाकी से खजाना ढूंढ निकाला और भूतों को लौटा दिया। खुश होकर भूतों ने उसका कुबड़ापन दूर कर दिया और ढेर सारे सोने के सिक्के दिए। गांव लौटकर कालू सीधा खड़ा हुआ और अमीर बन गया। लोग कहते हैं- अक्ल और हिम्मत, सबसे बड़ा खजाना है।
कृष्णा कोष्टा,उम्र-13वर्ष

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बहादुर रामलाल
एक समय की बात है, एक गांव में हर रात लोगों को अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती थीं। कहते थे कि पुराने किले के पास भूत रहते हैं। गांव वाले डर के मारे शाम ढलते ही घरों में बंद हो जाते थे। लेकिन रामलाल नाम का एक बहादुर किसान इन बातों पर विश्वास नहीं करता था। एक रात वह सच जानने के लिए लाठी लेकर किले की ओर चल पड़ा। जैसे ही वह वहां पहुंचा, तीन डरावने भूत उसके सामने आ गए। पहला भूत पंजे फैलाकर गुर्राने लगा। दूसरा अजीब आवाजें निकालने लगा और तीसरा हवा में तैरने लगा। रामलाल पहले तो चौंका, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने लाठी हवा में घुमाई और जोर से बोला, अगर सच में ताकतवर हो, तो मेरे सामने अपनी असली शक्ति दिखाओ! उसकी निर्भीक आवाज सुनकर भूत चौंक गए। असल में वे गांव के कुछ शरारती युवक थे, जो चादर ओढ़कर डराने का काम करते थे। रामलाल ने उनकी पोल खोल दी। अगली सुबह उसने गांव वालों को सब बताया। गांव में फिर कभी कोई भूत दिखाई नहीं दिया और रामलाल सबके लिए साहस का उदाहरण बन गया।
आरोही कर्मा,उम्र-11वर्ष

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बुद्धिमत्ता और निडरता की कहानी
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। जिसका नाम रामू था। रामू बहुत बहादुर था और भूतों या आत्माओं में विश्वास नहीं करता था। एक दिन जब वह जंगल से गुजर रहा था, तो उसे तीन भूत दिखाई दिए। एक भूत बहुत बड़ा और डरावना लग रहा था, जबकि बाकी दो छोटे थे और थोड़े कम डरावने थे। रामू ने भूतों को देखकर डरने के बजाय, उनसे बात करने की सोची। उसने भूतों से पूछा, तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो? भूत रामू की निडरता देखकर हैरान रह गए। बड़े भूत ने कहा, हम इस जंगल के भूत हैं और हम लोगों को डराते हैं। रामू मुस्कुराया और बोला, लेकिन मुझे तो तुम डरावने नहीं लगते। तुम तो बस हवा में तैर रहे हो। भूतों को रामू की बात सुनकर थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई। रामू ने उन्हें समझाया कि डर केवल मन का एक भ्रम है और अगर हम डर का सामना करें तो वह गायब हो जाता है। भूतों ने रामू की बात समझी और उन्होंने फैसला किया कि वे अब लोगों को डराना बंद कर देंगे। रामू की बुद्धिमत्ता और निडरता ने भूतों को एक नया रास्ता दिखाया। उस दिन से जंगल में कोई भूत नहीं दिखा और रामू की कहानी गांव में सुनाई जाने लगी।
ध्रुव पाटीदार,उम्र-11वर्ष

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साहसी मोतीलाल
एक गांव में मोतीलाल नाम का व्यक्ति रहता था, जो अपनी बहादुरी के लिए मशहूर था। लेकिन गांव के लोग मानते थे कि रात होत ही गांव के बाहर पुरानी हवेली में भूत घूमते हैं। कई लोग वहां जाने की हिम्मत नहीं करते थे। एक दिन मोतीलाल ने तय किया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा। रात में वह अपनी लाठी लेकर हवेली की ओर चल पड़ा। रास्ता सुनसान था और ठंडी हवा बह रही थी। अचानक उसके सामने तीन डरावने भूत प्रकट हो गए। एक भूत डरावनी आंखों से घूर रहा था। दूसरा पंजे फैलाकर झपटने को तैयार था और तीसरा हवा में तैर रहा था। मोतीलाल ने बिना घबराए जोर से कहा, मैं तुमसे नहीं डरता! अगर कुछ करना है तो करो! उसकी आवाज में इतना आत्मविश्वास था कि भूत घबरा गए। तभी तेज हवा चली और उनकी चादरें उड़ गईं। सामने गांव के तीन नटखट लड़के थे, जो लोगों को डराकर मजाक करते थे। मोतीलाल ने उन्हें पकड़कर गांव लाया और सबके सामने सच्चाई बता दी। इसके बाद गांव में किसी ने भूतों का नाम तक नहीं लिया और मोतीलाल की बहादुरी की मिसाल सब देने लगे।
उन्नति कर्मा,उम्र-7वर्ष

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मेहनत और ईमानदारी से जीना चाहिए
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक कंजूस सेठ रहता था। जिसका नाम था किशनलाल। किशनलाल बहुत लालची था और हमेशा दूसरों को धोखा देकर पैसे कमाने की फिराक में रहता था। एक रात जब वह अपने घर लौट रहा था, तो उसे एक सुनसान रास्ते से गुजरना पड़ा। तभी अचानक, उसके सामने तीन भयानक भूत प्रकट हुए। किशनलाल डर के मारे कांपने लगा। उसने पहले कभी भूत नहीं देखे थे। भूतों में से एक बड़ा और डरावना भूत था, जो गुस्से में दिख रहा था और दो छोटे भूत उसके पीछे खड़े थे। जिनकी आंखें खाली थीं। किशनलाल ने घबराकर भूतों की ओर उंगली उठाई, जैसे वह उन्हें दूर भगाना चाहता हो। बड़ा भूत गरजा, किशनलाल, तुमने कई लोगों को ठगा है और उनके पैसे हड़पे हैं। अब तुम्हें इसका फल भुगतना होगा! किशनलाल ने डरते-डरते कहा, माफ कर दो, भूत महाराज! मैं अपनी गलती मानता हूं। मैं अब से कभी किसी को धोखा नहीं दूंगा। छोटे भूत भी हंसने लगे और किशनलाल को और डराने लगे। किशनलाल ने कसम खाई कि वह अपनी सारी गलतियां सुधारेगा और ईमानदारी से जीवन जियेगा। भूतों ने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने अपनी कसम तोड़ी, तो वे वापस आ जाएंगे। किशनलाल ने राहत की सांस ली और उस दिन के बाद से वह एक नेक इंसान बन गया। उसने गरीबों की मदद की और ईमानदारी से व्यापार किया। भूतों के डर ने उसे एक बेहतर इंसान बना दिया।
युग शर्मा,उम्र-7वर्ष

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भूतिया सामना
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में हरिया नाम का साहसी व्यक्ति रहता था। हरिया को गांव में सब डर-न-मानव कहते थे क्योंकि उसने कभी किसी चीज से डर नहीं दिखाया था। एक रात गांव में अफवाह फैली कि पुराने पीपल के पेड़ के पास भूतों का झुंड दिखा है। हरिया ने ठान लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा। रस्सी और लालटेन लेकर वह अंधेरी रात में निकल पड़ा। जैसे ही वह पेड़ के पास पहुंचा ठंडी हवा का एक झोंका आया और सामने तीन भयानक भूत प्रकट हो गए। एक बड़ा जिसका चेहरा गुस्से से भरा था और दो छोटे जिनकी आंखें कोयले की तरह चमक रही थीं। भूतों ने डराने की कोशिश की लेकिन हरिया पीछे नहीं हटा। उसने उंगली दिखाकर कहा तुम चाहे जितना डराओ मैं भागने वाला नहीं हूं। सच बताओ तुम यहां क्यों आए हो? भूतों ने एक-दूसरे की ओर देखा और फिर बोले हम इस जगह के रक्षक हैं। हमें केवल उन लोगों से डराना पड़ता है जो बुरे इरादे से आते हैं। हरिया ने हंसते हुए कहा तो तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है। इसके बाद भूत और हरिया अच्छे दोस्त बन गए। उस दिन के बाद गांव में कोई भी बुरी ताकत आने की हिम्मत नहीं कर पाई। यह कहानी सिखाती है कि साहस और सच्चाई से सबसे डरावनी चीज को भी जीता जा सकता है।
अभिषेक जांगिड़,उम्र-13वर्ष

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दुकानदार को पाठ पढ़ाया
एक बार एक दुकानदार था। वह समान तोलने में अक्सर बेईमानी करता था। उसकी दुकान के पास रह रहे तीन बच्चों ने यह सब देख लिया था। उन बच्चों ने उस दुकानदार को सबक सिखाने के लिए आपस में योजना बनाई। जब शाम के वक्त वह घर जा रहा था। तो उसे भूत बनकर डराया और जिस प्रकार बेईमानी करता है। वह सब बता दिया दुकानदार डर गया कि सच में ही यह भूत है क्योंकि यह बात किसी को नहीं पता थीं। दुकानदार ने डर के मारे उन बच्चों के सामने कसम खाई कि वह कभी भी बेईमानी नहीं करेगा। आज उसे छोड़ दो। अगले दिन से दुकानदार ईमानदार बन गया। फिर उसने कभी भी बेईमानी नहीं करी।
निक्शिता महरिया,उम्र-7वर्ष

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सच्ची हिम्मत वही है, जो अक्ल के साथ हो
एक धुंधली रात थी। छोटे से गांव का किसान रघुनाथ अनाज बेचकर बाजार से घर लौट रहा था। चांद बादलों में छिपा था और चारों तरफसन्नाटा पसरा था। बस पत्तों की सरसराहट सुनाई दे रही थी। अचानक ठंडी हवा का झोंका आया और किसी ने फु सफु साकर कहा, रघुनाथ वह ठिठक गया। तभी कोहरे से तीन अजीब आकृतियां निकलीं- दो छोटे, सफे द, तैरते भूत और एक बड़ा, डरावना भूत, जिसकी आंखें काली और पंजे नुकीले थे। रघुनाथ का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा पर वह आसानी से डरने वाला नहीं था। अपनी सिक्कों की थैली कसकर पकड़ते हुए उसने कहा, तुम मुझसे क्या चाहते हो? मेरे पास बस मेहनत की कमाई है। बड़ा भूत गुर्राया, हमें तेरे पैसे नहीं, तेरी हिम्मत चाहिए! कोई इस रास्ते पर रात को चलने की हिम्मत नहीं करता। रघुनाथ ने तुरंत सोचा और बोला, अगर हिम्मत चाहिए तो मेरे साथ गांव चलो। वहां बहुत बहादुर लोग रहते हैं, जितनी हिम्मत चाहिए ले लेना। भूत मान गए और उसके पीछे-पीछे गांव में आ गए। जैसे ही वे मंदिर के पास पहुंचे, आरती की घंटियां बजने लगीं। घंटियों की आवाज सहना उनके लिए मुश्किल था और वे चीखते हुए हवा में गायब हो गए। रघुनाथ मुस्कुराया, सच्ची हिम्मत वही है, जो अक्ल के साथ हो। उस दिन से वह गांव का सबसे चतुर और बहादुर आदमी कहलाने लगा।
हनी डांगी,उम्र-9वर्ष

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भूतों का दोस्ताना
एक ठंडी और सुनसान रात थी। गांव का नौजवान रमेश अपने खेत से घर लौट रहा था। चांदनी पूरे गांव पर फैली थी और दूर पुराने किले की टूटी-फूटी दीवारें अंधेरे में और भी डरावनी लग रही थीं। लोग कहते थे कि वहां भूतों का डेरा है, लेकिन रमेश इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था। रास्ता किले के पास से होकर गुजरता था। जैसे ही रमेश वहां पहुंचा, अचानक उसे अपने कान के पास ठंडी-सी फूंक महसूस हुई। उसने जल्दी से पीछे मुड़कर देखा तो उसकी सांस रुक गई। हवा में तीन सफे द आकृतियां तैर रही थीं- लंबे, बिना पांव के, उनकी आंखें कोयले जैसी काली और मुंह से अजीब-सी आवाज निकल रही थी। रमेश डर के मारे पीछे हटने लगा, लेकिन अंधेरे में उसका पैर एक पत्थर से टकराया और वह जमीन पर गिर पड़ा। भूत धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़े। रमेश ने सोचा- बस, अब मेरा अंत आ गया। तभी एक भूत बोला, अरे भाई, डर क्यों रहा है? हम तुम्हें खाने नहीं आए हैं। रमेश ने हैरानी से उनकी ओर देखा। दूसरा भूत बोला, हम तो बस रास्ता पूछने आए हैं। हम अभी-अभी इस गांव में आए हैं और किले तक का रास्ता भटक गए हैं। रमेश को यकीन नहीं हुआ कि भूत इतने विनम्र भी हो सकते हैं। उसने कांपते हुए हाथ से दिशा बताई। तीनों भूत मुस्कुराए और हवा में तैरते-तैरते गायब हो गए। उस रात के बाद रमेश ने सीखा कि हर डरावना दिखने वाला दुश्मन नहीं होता और कभी-कभी भूत भी दोस्ताना हो सकते हैं।
पूर्वी उपाध्याय,उम्र-10वर्ष

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हमें किसी से डरना नहीं चाहिए
एक रामलाल नाम का आदमी अपने गांव से शहर की और अपना व्यापार करने के लिए जा रहा था, रात का समय था और जंगल वाला रास्ता था तभी रास्ते में उसको तीन भूत दिखायी देते हैं। जो उसे डराने की कोशिश करते हैं, लेकिन रामलाल अपनी पोटली से हनुमान चालीसा निकाल कर पढऩे लगता है। जिसकी वजह से भूत डर जाते है और कहते हैं तुम ऐसा मत करो अब से हम किसी को भी नहीं डराएंगे। हम ये जगह छोड़ कर कहीं और चले जाएंगे और तीनों भूत वहां से चले जाते हैं। रामलाल हनुमान जी को धन्यवाद देता है और वहां से चला जाता है। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी से डरना नहीं चाहिए और बहादुर बनना चाहिए।
शताक्षी सोनी,उम्र-7वर्ष

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भूतों का दोस्त
एक छोटे से गांव में मोती नाम का गरीब किसान रहता था। एक रात वह अपने खेत से घर लौट रहा था कि रास्ते में उसे तीन भूत दिखाई दिए। दो भूत चुप थे, लेकिन एक बहुत गुस्से में गरज रहा था, यह हमारी जगह है, यहां से भाग जाओ! मोती डर तो गया, लेकिन भागा नहीं। उसने हिम्मत करके कहा, अगर यह तुम्हारी जगह है, तो मैं इसे तुम्हारे साथ बांट सकता हूं। मैं यहां फसल उगाऊंगा और तुम भी उसमें से अपना हिस्सा ले लेना। भूतों को हैरानी हुई। उन्होंने कभी किसी इंसान को इस तरह बात करते नहीं सुना था। गुस्सैल भूत ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा, तुम बहादुर और नेक दिल हो। हम तुम्हारे खेत की रखवाली करेंगे। उस दिन के बाद मोती के खेत में कभी चोरी नहीं हुई और उसकी फसल हमेशा लहलहाती रही। गांव वालों ने जब वजह पूछी, तो मोती बस मुस्कुरा कर कह देता- मेरे खेत के पहरेदार खास हैं। सीख- डर से नहीं, बल्कि समझ और दयालुता से बड़े से बड़ा खतरा भी दोस्त बन सकता है।
अभीश्री रायकवार,उम्र-7वर्ष

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कोशिश करने से बड़े से बड़े डर को हरा सकते है
एक बहादुर सिंह नाम का व्यक्ति था। एक रात वह अपने दोस्त से मिलने पास के गांव जा रहा था। तभी रास्ते में एक सुनसान सड़क के पास उसे कुछ भयानक आवाजें सुनाई दी। जैसे ही उसने अपना मुख आसमान की ओर किया अचानक उसके सामने तीन भूत आ गए। एक बड़ा और दो छोटे जो उसके पीछे पीछे उड़ रहे थे। बड़े भूत ने भयानक स्वर में कहा यह हमारी जगह है तुम यहा क्या कर रहे हो? यहां से तुरंत भाग जाओ। बहादुर सिंह डरने के बजाए भूत से बोला तुम तीनों का नाम क्या है? क्या तुम भूत हो? तुम करते क्या हो? भूत चौक गए। भूत एक साधारण व्यक्ति के ऐसे व्यवहार से अचंभित थे। बहादुर सिंह के बार बार सवाल सुन वह उसकी निडरता देख डर से तीनों भूत भाग खड़े हुए। इसके पश्चात बहादुर सिंह अपने गांव सुरक्षित लौट आया और सभी गांव वालों को अपनी कहानी बताई और तब से गांव वाले उससे भूत भगाने वाला कहने लगे। सभी को यह समझ आ गया बड़े से बड़े डर पर भी जीत पा सकते है।
अथर्व कुमार,उम्र-10वर्ष

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भूतों से मुठभेड़
बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में रामू नाम का एक साहसी किसान रहता था। वह मेहनती था और दिन-रात अपने खेतों में काम करता था। एक दिन रात को वह अपने खेत से घर लौट रहा था। आकाश में बादल छाए थे, चारों ओर सन्नाटा था और हवा ठंडी-ठंडी चल रही थी। अचानक, रास्ते में उसे अजीब-सी सरसराहट सुनाई दी। उसने इधर-उधर देखा, तो तीन डरावने भूत उसके सामने खड़े थे। एक भूत के लंबे-लंबे पंजे थे, दूसरा हवा में उड़ रहा था और तीसरे के शरीर से अजीब रोशनी निकल रही थी। वे भूत डरावनी आवाजें निकालकर रामू को डराने लगे। लेकिन रामू डरने वालों में से नहीं था। उसने हिम्मत जुटाई और सीधा उनकी आंखों में देखा। भाग जाओ यहां से, नहीं तो अच्छा नहीं होगा! रामू ने ऊंची आवाज में कहा। वह हाथ में पकड़ा हुआ पत्थर जोर से हवा में घुमाने लगा। रामू की बहादुरी देखकर भूत घबरा गए। उन्होंने सोचा, यह आदमी डर नहीं रहा, कहीं हमें ही नुकसान न पहुंचा दे! देखते ही देखते तीनों धुएं में बदलकर गायब हो गए। रामू गर्व से घर पहुंचा और परिवार को पूरी घटना सुनाई। अगले दिन गांव में उसकी बहादुरी की चर्चा होने लगी। लोग उसे भूत भगाने वाला रामू कहने लगे। उस दिन से गांव के लोग रात में रास्ते पर जाते समय उसके नाम का जिक्र करके निडर महसूस करने लगे।
कामाक्षी दवे,उम्र-12वर्ष

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भूतिया रात
एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में रामू नाम का किसान रहता था। रामू मेहनती और ईमानदार था, लेकिन वह बहुत डरपोक भी था। एक रात वह अपने खेत से घर लौट रहा था, तभी अचानक उसे सामने एक डरावना भूत दिखाई दिया। भूत के साथ ही दो छोटे-छोटे भूत भी हवा में तैर रहे थे। रामू का डर के मारे दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। फिर भी, उसने साहस जुटाया और कांपती आवाज में पूछा, तुम कौन हो और मुझे क्यों डरा रहे हो? सबसे बड़ा भूत हाथ हिलाते हुए बोला, हम इस गांव में नए आए हैं और दोस्त बना रहे हैं। रामू को यकीन नहीं हुआ और वह पीछे हटने लगा। इसी बीच, वह सोचने लगा कि शायद ये भूत असली ना हों। उसने ध्यान से देखा तो पता चला कि दो छोटे भूत सिर्फ सफेद चादरें ओढ़े हुए बच्चे थे। यह देख कर रामू हंस पड़ा, लेकिन बड़ा भूत अभी भी डरावना था। रामू ने हिम्मत दिखाई और सबसे बड़े भूत के पास जाकर उसकी पूंछ पकड़ ली। तभी वह भूत एक बड़ा सा गुब्बारा निकला, जिसमें किसी ने हवा भर दी थी! अब रामू की हंसी नहीं रुकी और सभी गांव वाले इकट्ठा होकर हंसने लगे। उस दिन के बाद रामू को समझ आ गया कि हर डर का सामना साहस से करना चाहिए, क्योंकि कई बार डर बस हमारे मन का वहम होता है। गांव में सभी ने मिलकर खूब मजाक किया और वो रात सबके लिए यादगार बन गई।
अर्जुन कुमार,उम्र-10वर्ष

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नकली भूत
एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में मोहन नाम का साहसी किसान रहता था। लोग कहते थे कि गांव के बाहर पुराने पीपल के पेड़ के पास भूतों का डेरा है। रात होते ही अजीब आवाजें आतीं और लोग वहां जाने से डरते थे। लेकिन मोहन को इन बातों पर यकीन नहीं था। एक दिन, मोहन की गाय उस पीपल के पेड़ के पास चली गई। उसे लाने के लिए मोहन ने रात में ही वहां जाने का निश्चय किया। जैसे ही वह पेड़ के पास पहुंचा, अचानक धुंध से तीन डरावने भूत उसके सामने आ खड़े हुए। एक भूत ने डरावनी आवाज में कहा, भाग जा यहां से, वरना तेरी खैर नहीं! मोहन बिना घबराए बोला, मैं तुम्हारे डर से नहीं भागूंगा। अगर सच में भूत हो, तो मेरा कुछ बिगाड़ कर दिखाओ। भूत उसके साहस से चौंक गए। असल में, वे गांव के शरारती लड़के थे, जो सफे द चादर ओढ़कर लोगों को डराते थे। मोहन ने उनका भेद खोल दिया और गांव में सबको बता दिया। उसके बाद से कोई भी उस पेड़ के पास जाने से नहीं डरता था। मोहन की बहादुरी की चर्चा पूरे गांव में फैल गई।
विनायक,उम्र-12वर्ष

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भूतों की मस्ती और रामू की जीत
गांव के बाहर एक पुरानी हवेली थी, जहां जाने से लोग डरते थे और कहते थे। वहां भूत रहते हैं, जो रात को नाचते-गाते हैं। बच्चों को तो वहां की ओर देखने तक की मनाही थी। एक दिन निडर और जिज्ञासु रामू ने ठान लिया कि वह सच्चाई पता करेगा। वह रात को चुपके से हवेली की ओर निकल पड़ा। लालटेन की रोशनी में हवेली का टूटा दरवाजा चरमराता हुआ खुला। अंदर घुसते ही अजीब-सी ठंडी हवा चली और तीन सफेद चादरों में लिपटी आकृ तियां सामने आ गईं। एक बड़ी, दो छोटी-तीनों अजीब आवाजें निकालते हुए रामू की तरफ बढऩे लगीं। रामू का दिल धक-धक करने लगा, लेकिन उसने डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। वह जोर से हंसा और बोला, अरे भूतों! तुम तो टेढ़े-मेढ़े चल रहे हो, कहीं ठोकर खा कर गिर न जाना! भूत पहले चौंके, फिर हंसी नहीं रोक पाए। उन्होंने अपनी चादर उतारी तो पता चला, ये तो गांव के ही शरारती बच्चे थे। वे लोगों को डराकर हवेली में रखे मिठाई और खिलौनों का मजा लेते थे। रामू ने समझाया, डर फैलाना बुरी बात है। चलो, ये मिठाई और खिलौने सब बच्चों में बांट देते हैं। सबने हामी भरी और अगली सुबह हवेली में खेलकूद और मस्ती का आयोजन किया गया। उस दिन से हवेली भूत बंगला नहीं, बल्कि मस्ती बंगला कहलाने लगी। अब वहां डर नहीं, हंसी-खुशी गूंजती थी और यह सब हुआ रामू की हिम्मत और हाजरिजवाबी से।
सार्थक शर्मा,उम्र-12वर्ष

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भूतों की कहानी
यह कहानी एक छोटे से गांव के एक लड़के, मोहन की है। मोहन का दिल बहुत साहसी था और वह किसी भी डर से नहीं घबराता था। एक दिन, गांव में एक अजीब घटना घटी। कुछ लोग कहते थे कि तीन भूतियां आत्माएं गांव के पास के जंगल में भटक रही हैं। लोग डर के मारे रात को बाहर नहीं निकलते थे। मोहन ने यह सब सुना और सोचा कि वह इन भूतों का सामना करेगा। वह एक दिन जंगल में अकेला चला गया। जैसे ही वह जंगल में घुसा उसने तीन सफेद डरावनी आकृ तियां देखीं, जो धीरे-धीरे उसकी ओर आ रही थीं। मोहन थोड़ी देर के लिए डर गया, लेकिन फिर उसने हिम्मत जुटाई और भूतों से पूछा, तुम कौन हो? और क्यों डराते हो? भूतों में से एक ने कहा, हम दुखी आत्माएं हैं, जो शांति के लिए भटक रही हैं। हम नहीं चाहते कि कोई भी डरें, लेकिन हमारी मदद करनी होगी। मोहन ने तुरंत सोचा कि अगर ये भूत सच में मदद चाहते हैं, तो उसे कुछ करना होगा। उसने गांव के पुरानी कथाएं सुनी थीं और उन पर विश्वास किया। मोहन ने उन आत्माओं को शांति देने का तरीका बताया और फिर उन्हें शांत किया। इसके बाद, गांव में फिर कभी कोई भूत नहीं दिखा। मोहन की समझदारी और साहस ने सबको चौंका दिया।
भव्य शर्मा,उम्र-10वर्ष

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