परिवार परिशिष्ट (23 जुलाई 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 39 में भेजी गई कहानियों में यह कहानियां सराहनीय रही हैं।
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खतरा तक जीवों पर भरोसा न करें
शेर की दहाड़ सुनकर सभी छोटे जीव डर कर भागने लगे। शेर ने उनका रास्ता रोककर बोला दोस्तों मुझे डर कर भाग क्यों रहे हो। मैं तुम्हारा शिकार करने नहीं में तो तुम्हारे साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने आया हूं। तुम छोटे जीवों को मार कर पाप का भागीदार बनना नहीं चाहता। मैं तो बड़ा शिकार देखता हूं, जो 10-15 दिन बैठकर अपना पेट भर सकूं । तुम छोटे जीवों से मेरा पेट भरने वाला नहीं है। इसलिए मैं तुम सब से दोस्ती करके तुम्हारे साथ हिल मिलकर खेलना चाहता हूं । छोटे जीव सब शेर के झांसे में आकर खेलने कूदने लगे। शेर ने एक दिन मौका पाकर सभी को मारकर खा गया। सीख- कभी भी ऐसे खतरनाक जीवों पर बिना सोचे समझे भरोसा नहीं करना चाहिए, जो धोखा देकर जान के दुश्मन बन जाए।
युवराज रेवतानी,उम्र-10वर्ष
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शेरनी का टूटा घमंड
एक जंगल में एक घमंडी शेरनी रहती थी। वह अपने आप को बहुत ताकतवर वह खुद से छोटे जानवरों को कमजोर समझती थी। इस जंगल में तीन दोस्त मेंढक, रानी मधुमक्खी और मुर्गी रहते थे। एक दिन मेंढक और मुर्गी अपनी समस्या लेकर शेरनी के पास गए। लेकिन शेरनी ने अपने घमंड के कारण उन छोटे जानवरों की एक न सुनी और उन्हें मारनें की धमकी दी। छोटे जानवर डटे रहे और उन्होंने अपनी दोस्त रानी मधुमक्खी को मदद के लिए बुलाया। मधुमक्खी अपने साथ बहुत सारी मधुमक्खियां को भी लेकर आई। उन सभी मधुमक्खियों ने मिलकर शेरनी को घेर लिया। उसे काटने लगी। आखिरकार शेरनी को हार मननी ही पड़ी। और मुर्गी मेंढक व मधुमक्खी की जीत हुई। फिर शेरनी ने उनकी तकलीफ सुनी और वे सब अच्छे दोस्त बन गए। शिक्षा- अपने से छोटों को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए।
हितेषी जाखड़,उम्र-12वर्ष
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जंगल का अनोखा दोस्ताना
एक घने जंगल में टाइगर राजा रहता था। वह बहुत ताकतवर था, लेकिन उसका कोई दोस्त नहीं था। एक दिन वह जंगल में घूम रहा था, तभी उसे एक मुर्गा मिला जो कु कड़ू-कू करके हंसी ला रहा था। टाइगर मुस्कुराया और बोला, तुम मेरे दोस्त बनोगे? मुर्गा बोला, अगर तुम मुझे खाओगे नहीं तो जरूर! थोड़ी दूर जाकर उन्हें एक मेंढक मिला जो तालाब में टप-टप उछल रहा था। वह बहुत मजेदार था। फिर पेड़ की डाल से तीन मधुमक्खियां आईं और बोलीं, 'हम भी इस दोस्ती में शामिल होना चाहती हैं। अब जंगल में एक अजीब लेकिन प्यारा समूह बन गया- टाइगर, मुर्गा, मेंढक और तीन मधुमक्खियां। वे सब मिलकर खेलते, गाते और दूसरों की मदद करते। एक दिन जंगल में आग लग गई। मधुमक्खियों ने सबसे पहले आवाज फैलाई, मेंढक ने तालाब की राह दिखाई, मुर्गे ने सबको जगाया और टाइगर ने सबको बचा लिया। तब से सभी जानवर कहते हैं- 'सच्ची दोस्ती ताकत से नहीं, दिल से बनती है।
खुशी सारस्वत,उम्र-11वर्ष
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चीता और उसके नए दोस्त
एक जंगल में एक चीता रहता था। उसका नाम था टीपू। टीपू बहुत तेज भागता था और बहुत ताकतवर था, लेकिन उसका कोई दोस्त नहीं था। वो रोज उदास रहता था क्योंकि उसके साथ खेलने वाला कोई नहीं था। एक दिन टीपू जंगल में घूम रहा था, तभी उसने देखा कि एक छोटी मधुमक्खी रो रही थी। वो पेड़ से गिर गई थी। टीपू ने बहुत प्यार से उसे उठाया और उसके घर यानि छत्ते तक छोड़ दिया। मधुमक्खी बोली, 'तुम बहुत अच्छे हो, मैं अब तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूं।Ó फिर टीपू को एक मुर्गा मिला जो अपने पंख फडफ़ड़ा रहा था और गाना गा रहा था। उसका नाम था मोंटी। मोंटी पहले टीपू से डर गया, पर जब उसे पता चला कि टीपू अच्छा है, तो वह भी दोस्त बन गया। इसके बाद टीपू को एक मेंढक मिला गप्पू। गप्पू बहुत मजाक करता था और उछल-उछल कर सबको हंसाता था। वो भी टीपू का दोस्त बन गया। अब टीपू अकेला नहीं था। उसके पास तीन अच्छे दोस्त थे- मधुमक्खी, मुर्गा और मेंढक। वो सब मिलकर खेलते, खाते और हंसते थे। सीख- अगर आप अच्छे होते हो, तो सब आपके दोस्त बन जाते हैं।
सन्मय माहेश्वरी,उम्र-8वर्ष
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शेर और उसके दोस्त
एक घने जंगल में एक शक्तिशाली तेंदुआ रहता था। वह बहुत घमंडी था और सोचता था कि जंगल में उससे बड़ा कोई नहीं। लेकिन उसके पास कोई सच्चा दोस्त नहीं था। एक दिन तेंदुआ शिकार करने निकला, लेकिन बहुत थक गया और बैठकर आराम करने लगा। तभी उसके पास एक मधुमक्खी आई और बोली, क्या हुआ तेंदुआ भाई? तुम बहुत थके हुए लग रहे हो। तेंदुआ बोला, हां, आज शिकार नहीं मिल रहा। भूख भी लग रही है। थोड़ी देर में एक मुर्गा, एक मेंढक और कुछ तितलियां भी वहां आ गए। सबने मिलकर तेंदुआ की मदद की। मधुमक्खी ने पास के पेड़ से शहद लाकर दिया, मुर्गे ने अपनी चोंच से कुछ बीज खोद कर दिए और तितलियों ने उसे खुश करने के लिए उड़ते हुए नाच दिखाया। तेंदुआ यह देखकर बहुत हैरान हुआ। उसने कहा, मैं सोचता था कि मैं सबसे ताकतवर हूं, मुझे किसी की जरूरत नहीं। लेकिन आज मुझे समझ आया कि दोस्ती और मदद सबसे बड़ी ताकत है। उस दिन के बाद तेंदुआ अपने दोस्तों के साथ रहने लगा। उसने कभी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझा। सीख- सच्चे दोस्त कभी भी मुसीबत में साथ नहीं छोड़ते और एकता में ही असली ताकत होती है।
विवेक भाटी,उम्र-13वर्ष
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जंगल की सच्ची बहादुरी
एक घना जंगल था, जहां एक तेंदुआ बहुत डर पैदा करता था। सारे जानवर उससे डरते थे। एक दिन तेंदुआ शिकार की तलाश में निकला और मुर्गे की तरफ बढ़ा। मुर्गा डर गया लेकिन तभी वहां मधुमक्खियां आ गईं। वो छोटी थीं, पर एकजुट थीं। उन्होंने तेंदुए को घेर लिया और भनभनाने लगीं। तेंदुआ चौंका। इतने में मेंढक भी कूदता हुआ आया और बोला, तू ताकतवर है, पर हम मिलकर तुझसे भी ताकतवर हैं। तेंदुआ हंसा, तुम छोटे जीव मेरा क्या बिगाड़ोगे? तभी एक मधुमक्खी ने उसे डंक मार दिया। फिर दूसरी, तीसरी तेंदुआ दर्द से उछल पड़ा और भाग खड़ा हुआ। मुर्गा खुश हुआ और बोला, धन्यवाद दोस्तों! आज तुम सबने मिलकर मुझे बचाया। तेंदुआ जंगल छोड़कर चला गया। उस दिन के बाद सारे जानवरों ने सीखा कि एकता में बहुत बड़ी शक्ति होती है। अब वो जंगल शांतिपूर्ण हो गया और बिना किसी डर के सब जानवर मिलजुलकर रहते थे।
काश्वी लठ,उम्र-8वर्ष
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जंगल का अनोखा खेल
एक बार की बात है, घने जंगल में एक तेंदुआ, मुर्गा, मेंढक, मधुमक्खियां और एक छोटी सी गिलहरी बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हर रोज मिलकर खेलते और मस्ती करते। एक दिन तेंदुए ने कहा, चलो आज कुछ नया खेल खेलते हैं। सभी जानवर खुश हो गए। गिलहरी ने सुझाव दिया, चलो जंगल की दौड़ लगाते हैं, लेकिन हर कोई अपनी स्टाइल में दौड़ेगा। सभी ने हामी भरी। मुर्गा अपने पंख फैलाकर दौडऩे लगा, मेंढक उछल-उछलकर आगे बढ़ा, मधुमक्खियां हवा में उड़ती रहीं और तेंदुआ तेज दौडऩे लगा। लेकिन रास्ते में मेंढक एक कीचड़ में फिसल गया। मुर्गा डर के मारे रुक गया और मधुमक्खियां दिशा भटक गईं। गिलहरी सबसे समझदार निकली। वह फौरन मेंढक को कीचड़ से बाहर निकालने गई, मुर्गे को हिम्मत दी और मधुमक्खियों को सही रास्ता दिखाया। तेंदुआ यह सब देखकर मुस्कुराया और बोला, आज असली विजेता दौडऩे वाला नहीं, बल्कि मदद करने वाला है। सभी ने तालियां बजाईं और गिलहरी को जंगल की सबसे बुद्धिमान दोस्त का खिताब दिया। उस दिन से सभी ने सीखा कि जीत से ज्यादा जरूरी है दोस्ती और मदद।
वर्षा मुशा,उम्र-12वर्ष
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जंगल की अनोखी दोस्ती
एक हरा-भरा जंगल था। जहां सभी जानवर आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। वहां एक तेंदुआ, मुन्ना रहता था जो दिखने में डरावना था, लेकिन दिल से बहुत ही नेक और मददगार था। मुन्ना का सबसे अच्छा दोस्त था एक सफेद मुर्गा, जिसका नाम था चिक्की। दोनों हर रोज मिलकर खेलते थे। एक दिन मुन्ना और चिक्की जंगल में घूम रहे थे कि तभी उन्होंने देखा, एक मेंढक बड़ी चिंता में बैठा है। मुन्ना ने पूछा, क्या हुआ टप-टप? टप-टप बोला, 'मेरी आवाज चली गई है, अब मैं अपने दोस्तों को गाना नहीं सुना पा रहा। चिक्की ने कहा, हम सब मिलकर तुम्हारी मदद करेंगे! तभी वहां कु छ मधुमक्खियां आईं और बोलीं, हमारे पास शहद है, शायद उससे तुम्हारा गला ठीक हो जाए। मुन्ना ने प्यार से टप-टप को शहद दिया। थोड़ी देर बाद, टप-टप की आवाज लौट आई और वो ख़ुशी से गाने लगा टप-टप टप्पा, जंगल है अपना! सभी जानवर झूम उठे और सबने मिलकर डांस किया। उस दिन से मुन्ना, चिक्की, टप-टप और मधुमक्खियां जंगल की सबसे प्यारी टोली बन गई। सीख- सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं।
हिमांशी,उम्र-8वर्ष
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जंगल की अनोखी कहानी
एक हरे-भरे जंगल में टाइगर राजा, मुर्गा चौकीदार, मेंढक संगीतकार, तितली चित्रकार और मधुमक्खी बागवानी विशेषज्ञ के रूप में रहते थे। सभी अपने-अपने कामों में खुश थे। एक दिन टाइगर राजा ने घोषणा की कि जंगल में एक उत्सव मनाया जाएगा। जिसमें सभी को अपनी कला दिखानी होगी। मुर्गा रोज सुबह सबसे पहले उठकर जंगलवासियों को जगाता था। उसने अपनी आवाज में ढेर सारे स्वर जोड़े और एक नई सुबह की धुन बनाई। मेंढक ने तालाब के किनारे बैठकर अपनी मीठी 'टर्र-टर्रÓ से संगीत का माहौल बनाया। तितली ने रंग-बिरंगे फूलों से जंगल की सबसे सुंदर तस्वीर बनाई और मधुमक्खी ने जंगल के बीचोंबीच फूलों का एक सुंदर बगीचा सजाया। उत्सव के दिन सबने मिलकर अपनी प्रतिभाएं दिखाई। टाइगर राजा बहुत खुश हुआ और बोला, 'हम सब अलग हैं, पर मिलकर हम जंगल को स्वर्ग बना सकते हैं। उस दिन से जंगल में हर साल यह उत्सव मनाया जाने लगा, जहां सभी जीव अपनी कला और मित्रता का जश्न मनाते। इस तरह, जंगल में हमेशा मिलजुलकर रहने और एक-दूसरे की कदर करने की परंपरा शुरू हुई।
चेतन जगदीश मीणा,उम्र-7वर्ष
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जंगल का अनोखा दोस्ताना
जंगल के एक हरे-भरे कोने में एक तेंदुआ, एक मुर्गा, एक मेंढक और तीन मधुमक्खियां रहते थे। चारों की दोस्ती बहुत गहरी थी, लेकिन उनका स्वभाव और रुचियां एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थीं। एक दिन जंगल में शांति थी, तभी अचानक मधुमक्खियां घबराई हुई अपने दोस्तों के पास पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उनकी छत्ते में पानी भर गया है और अगर मदद न मिली तो उनका घर नष्ट हो जाएगा। मुर्गा सबसे पहले बोला, 'डरो मत, हम सब मिलकर तुम्हारी मदद करेंगे।Ó मेंढक ने अपनी उछल-कूद का फायदा उठाते हुए छत्ते की तरफ छलांग लगाई और देखा कि छत्ते के नीचे पानी जमा है। तेंदुआ अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए बड़े-बड़े पत्थर वहां से हटाने लगा, जिससे पानी बाहर निकलने लगा। मुर्गा ने अपनी तेज आवाज में जंगल के दूसरे छोटे जानवरों को भी मदद के लिए बुलाया। मधुमक्खियां भी काम में लग गईं। वे सबको दिशा दिखा रही थीं और साथ मिलकर छत्ता सूखा करने लगीं। थोड़ी ही देर में छत्ता फिर से सूखा और सुरक्षित हो गया। सभी दोस्त खुश हो गए। मधुमक्खियों ने तेंदुआ, मुर्गा और मेंढक को ताजे शहद का स्वादिष्ट उपहार दिया। इस दिन के बाद से इन चारों की दोस्ती पूरे जंगल में मिसाल बन गई। सबको यह सीख मिली कि अगर मिलकर मदद करें तो कोई भी परेशानी आसानी से दूर की जा सकती है। सीख- मिलकर काम करने से बड़ी-बड़ी मुश्किलें हल हो जाती हैं। दोस्ती में एक-दूसरे की मदद करना सबसे बड़ी ताकत है।
कृत्विक चौहान,उम्र-7वर्ष
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जंगल की शांति और चीते का संकल्प
जंगल के बीचों-बीच, एक घने पेड़ के नीचे, चीता राजा अपनी गहरी नींद में सो रहा था। उसकी चितकबरी खाल सूरज की रोशनी में चमक रही थी। पास ही एक छोटा सा मेहनती मधुमक्खी, फूलों से पराग इक्कटठा करने में व्यस्त था। गुनगुनाते हुए वह एक फू ल से दूसरे फूल पर जा रहा था। मधुमक्खी को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह कोई महत्त्वपूर्ण मिशन पर निकला हो। थोड़ी दूर पर एक घमंडी मुर्गा अपनी छाती फु लाए खड़ा था, कभी-कभी जोर से बांग देता। उसकी लाल कलगी और चमकदार पंख उसे जंगल में सबसे आकर्षक मुर्गा बनाते थे। मुर्गे को अपनी खूबसूरती पर बहुत गर्व था और वह अक्सर अपनी आवाज से पूरे जंगल को जगा देता था। एक शांत तालाब के किनारे, एक मेंढक अपनी गीली त्वचा के साथ बैठा था। धैर्यपूर्वक किसी कीट का इंतजार कर रहा था। उसकी आंखें बड़ी और चमकदार थीं, जो लगातार अपने शिकार को ढूंढ रही थीं। वह अपनी जगह पर इतना स्थिर था कि वह तालाब के पानी का ही एक हिस्सा लग रहा था। अचानक, चीता राजा की नींद खुली। उसने अंगड़ाई ली और अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से चारों ओर देखा। मधुमक्खी अभी भी काम में व्यस्त थी, मुर्गा अपनी बांग दे रहा था और मेंढक अपनी जगह पर शांत बैठा था। चीते ने एक गहरी सांस ली और मुस्कुराया। उसे अपने जंगल से बहुत प्यार था, जहां हर जीव अपनी-अपनी दुनिया में मस्त था। चीते ने सोचा, 'कितना सुंदर है यह जंगल! यहां हर कोई अपने तरीके से खुश है।Ó उसने उठकर एक छोटी सी चहलकदमी की। मधुमक्खी ने चीते को देखा और थोड़ा सहम गया, लेकिन चीते ने उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। मुर्गे ने एक और बांग दी, जैसे चीते का स्वागत कर रहा हो। मेंढक ने अपनी जगह से छलांग लगाई और तालाब में कू द गया, जिससे पानी में एक छोटी सी हलचल हुई। चीता राजा ने महसूस किया कि इस जंगल में शांति और सद्भाव बनाए रखना उसकी जिम्मेदारी है। उसने तय किया कि वह हमेशा इन छोटे जीवों की रक्षा करेगा, ताकि वे सब अपनी जिंदगी खुशी से जी सकें। और इस तरह जंगल में शांति बनी रही, जहां हर जीव एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी से रहता था। मोहिल सोनवानी,उम्र-10वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………सच्चा दाेस्त तेंदुआ और उसके दोस्त जंगल में एक तेंदुआ रहता था, जो ताकतवर था लेकिन अकेला था। एक दिन जंगल में आग लग गई। सभी जानवर डरकर भागने लगे। तेंदुआ मेंढक, मुर्गा और तितलियों की मदद करने आया। उसने मेंढक को पीठ पर बैठाया, मुर्गा को उठाया और तितलियों को सुरक्षित रास्ता दिखाया। सब मिलकर सुरक्षित जगह पहुंच गए। उस दिन से तेंदुआ सबका सच्चा दोस्त बन गया। अब कोई उससे नहीं डरता था। सीख- सच्चा दोस्त वही होता है जो मुश्किल वक्त में साथ दे और दूसरों की मदद करे। अच्छाई सबसे बड़ी ताकत होती है। प्रखर श्रीवास्तव,उम्र-9वर्ष ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………फ्रेडी और लेडीबग की राेचक कहानी
फ्रेडी और लेडीबग की कहानी पीले जंगली फूलों से भरे एक धूप वाले घास के मैदान में लियो नाम का एक राजसी तेंदुआ लंबा खड़ा था। एक छोटी मधुमक्खी उसके सिर पर भिनभिना रही थी। जिससे उसके राजसी रुख में सनक का स्पर्श जुड़ गया। लियो ने अपने जिज्ञासु दोस्तों की ओर देखा रिकी नाम का एक घमंडी मुर्गा, फ्रे डी नाम का एक हंसमुख मेंढक और एक छोटा लेडीबग। एक दिन लियो ने एक मैदानी पार्टी की मेजबानी करने का फैसला किया। कौन सूरज के नीचे नृत्य करना चाहता है? उसने पूछा रिकी ने अपने पंख फडफ़ड़ाए, फ्रे डी ने हां कहा और लेडीबग उत्साह में घूम गई। लियो के सिर पर मधुमक्खी सहमति में भिनभिना रही थी। जैसे ही हवा में संगीत गूंज उठा, दोस्तों ने फूलों के बीच नृत्य किया। लियो शानदार ढंग से झूम रहा था। रिकी स्वभाव से अकड़ रहा था। फ्रे डी ताल पर कूद रहा था और लेडीबग एक छोटी बैलेरीना की तरह घूम रही थी। मधुमक्खी मौज-मस्ती में शामिल होकर लूप्स में उड़ गई। साथ में, वे गोधूलि तक हंसते और खेलते रहे। जैसे ही तारे टिमटिमाने लगे, लियो ने कहा, यह घास का मैदान आप दोस्तों की वजह से जादुई है। रिकी ने सहमति में बांग दी फ्रे डी मुस्कुराया और लेडीबग लियो के पंजे पर आ गया। इस धूपदार घास के मैदान में दोस्ती सबसे बड़ा खजाना थी।
कुलदीप बाना कर्माखेड़ी,उम्र-12वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
जंगल की बुद्धिमानी
एक हरा-भरा जंगल था जहां कई जानवर और कीड़े-मकोड़े मिल-जुलकर रहते थे। एक दिन जंगल में एक बड़ा तेंदुआ आया, जो बहुत घमंडी और ताकतवर था। वह बाकी छोटे जानवरों को डराने लगा। तेंदुआ बोला, 'अब यह जंगल मेरा है, जो मेरी बात नहीं मानेगा, उसे मैं खा जाऊंगा!Ó सभी जानवर डर गए मुर्गा, मेंढक और मधुमक्खियां परेशान हो उठे। एक छोटी मधुमक्खी ने योजना बनाई। उसने अपने दोस्तों को इका किया और बोली, 'अगर हम सब मिल जाएं, तो इस तेंदुए को सबक सिखा सकते हैं।Óअगले दिन जब तेंदुआ आराम कर रहा था, तो मधुमक्खियों ने मिलकर उसे डंक मारना शुरू किया। तेंदुआ दर्द से चिल्लाने लगा। तभी मुर्गा तेज आवाज में बांग देने लगा और मेंढक उछलते हुए उसके सामने आ गया। तेंदुआ डर गया और भाग खड़ा हुआ। बाकी जानवर खुशी से झूम उठे। इस घटना के बाद, सबने समझा कि एकता में ही शक्ति है। चाहे कोई कितना भी बड़ा या ताकतवर क्यों न हो, अगर सब मिलकर काम करें तो कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है। सीख- मिलजुलकर रहने और बुद्धि से काम लेने से बड़ी से बड़ी समस्या हल हो सकती है।
आरजू आर्य,उम्र-11वर्ष
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खतरनाक शेर और चालाक मेंढक की योजना
एक घने जंगल में एक खतरनाक शेर रहता था। उसका नाम था भोला। वह बिल्कुल भी भोला नहींं था। हर जानवर उससे डरता था। एक दिन शेर ने ऐलान किया, कल से मैं रोज एक जानवर खाऊंगा! सब जानवर घबराए पर छोटे से मेंढक टिम्मी ने कहा, डरने से बेहतर है सोचना! टिम्मी अपने दोस्तों से मिला मुर्गी चुन्नी, जो तेज दौड़ सकती थी और मधुमक्खी बूजी, जो उड़कर कहीं भी पहुंच सकती थी। उन्होंने एक योजना बनाई। बूजी ने शेर के कान में जा कर भनभनाहट की जो शेर को चक्कर में डाल गई। चुन्नी ने शेर को तालाब की तरफ दौड़ाया और टिम्मी ने तालाब में एक जादुई सीप रख दी। जैसे ही शेर ने उसे चाटना चाहा, सीप ने आवाज की जो दूसरों को डराता है, वो खुद डर से हार गया! शेर डर के मारे जंगल छोड़ गया और सब जानवरों ने चैन की सांस ली। शिक्षा- ताकत से नहीं, दिमाग से जीत होती है। सच्ची टीम वही होती है, जो मिलकर सोचती और काम करती है।
आरोही अग्रवाल,उम्र-7वर्ष
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सच्चे दोस्त
एक समय की बात है। एक जंगल में पांच दोस्त रहते थे। एक मेंढक, तीन मधुमक्खियां और एक मुर्गा। वह एक रोज धूमधाम से पार्टी कर रहे थे और सब जोर-जोर से गाना गा रहे थे। इस शोर को सुनकर एक चीता आया। चीता ने मन में पहले मुर्गे को खाने का सोचा फिर सोचा मेंढक भी खा लिया जाए। उन्हें देखकर वह बोला मैं तुम सबको नहीं खाऊंगा, मैं बदल गया हूं और उसने पूछा क्या मैं तुम्हारी पार्टी में आ सकता हूं? पांचों दोस्त बड़े ही अच्छे मन के थे। उन्होंने बोला हां हां क्यों नहीं। थोड़ी देर बाद मौका मिलते ही चीते ने अपना मुंह खोल तो वे समझ गए कि वह किसी एक को खाने वाला है पर वह डरे नहीं क्योंकि वह जानते थे कि उनकी दोस्त मधुमक्खियां उसे काट कर भगा देंगी। सो जैसे ही चीते ने अपना मुंह खोला मधुमक्खियां ने उसे पर हमला कर दिया और उसे काट-काटकर भगा दिया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए और मुसीबत में दोस्त का साथ देना चाहिए।
शिवांश शारदा,उम्र-8वर्ष
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किसी को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए
एक बार की बात है एक घने जंगल में जहां हरे भरे पेड़ और रंग बिरंगे फू ल थे, वहां एक चीता रहता था। उसका नाम हीरा था। हीरा बहुत शांत स्वभाव का था और वह किसी को परेशान नहीं करता था। एक दिन वह जंगल में घूम रहा था, उसे एक मुर्गा मिला जिसका नाम कलगी था। कलगी अपनी मस्ती में दाना चुग था और पास में एक मेंढक टप्पू तालाब के किनारे बैठा था। कुछ मधुमक्खियां फूलों से रस इका कर रही थी। हीरा ने कलगी को देखा और सोचा की आज उसे भुख लगी है। क्यों ना कलगी को खाया जाए। जैसे ही वे कलगी की और बढ़ा कलगी ने उसे देख लिया और वह डर के मारे कुकडू-कू करके जोर से चिललाया और उसकी आवाज सुनकर टप्पू मेंढक भी डर गया और तुरंत तालाब में कू द गया। मधुमक्खियां भी गुस्से में हीरा के पास मंडराने लगी। हीरा ने सोचा कि मुर्गा तो बहुत शोर मचा रहा है और ये मधुमक्खियां भी मुझे काट सकती है। उसने अपना इरादा बदल दिया और चुपचाप वहां से चला गया। कलगी ने राहत की सांस ली, मेंढक भी तालाब से बहार आ गया। मधुमक्खियां भी शांत हो गई। उस दिन से हीरा ने सोचा की किसी को परेशान करने से अच्छा है शांति से रहा जाए।
प्रतिज्ञा जाटव,उम्र-12वर्ष ………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. एकता बहुत जरूरी है
एक जंगल में शेर, मेढक, मुर्गा और मधुमक्खी रहते थे। शेर जंगल का राजा था और अपनी ताकत के लिए जाना जाता था। मेढक जंगल की नदी के किनारे रहता था और अपनी आवाज से सबको आकर्षित करता था। मुर्गा जंगल के एक पेड़ पर रहता था और अपनी भोर की बांग से सबको जगाता था। मधुमक्खी जंगल के फूलों से शहद इका करती थी और अपनी मेहनत से सबको मीठा शहद देती थी। एक दिन, जंगल में सूखा पड़ गया और पानी की कमी हो गई। शेर ने सोचा कि कैसे जंगल के सभी जीवों को बचाया जाए। मेढक ने अपनी आवाज से सबको इक्कटठा किया और कहा कि हमें मिलकर पानी की तलाश करनी होगी। मुर्गा ने अपनी बांग से सबको प्रेरित किया कि वे जंगल के हर कोने में पानी ढूंढें। मधुमक्खी ने अपने शहद के बदले में अन्य जीवों से मदद ली और जंगल के एक छिपे हुए झरने को ढूंढ लिया। सबने मिलकर उस झरने से पानी इका किया और जंगल के सभी जीवों को बचाया। शेर ने सभी की मेहनत की सराहना की और कहा कि जंगल की एकता ही हमारी ताकत है। मेढक, मुर्गा और मधुमक्खी ने भी अपनी-अपनी भूमिका निभाई और जंगल को बचाया। इस तरह, जंगल के सभी जीवों ने मिलकर एक बड़ी समस्या का समाधान किया और जंगल फिर से हरा-भरा हो गया।
श्रिया दुबे,उम्र-12वर्ष
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एकता की शक्ति
एक बार की बात है, एक हरे-भरे जंगल में कई जानवर शांति से रहते थे। तेंदुआ, मुर्गा, मेंढक और मधुमक्खियां सभी अच्छे दोस्त थे। लेकिन एक दिन जंगल में पानी की भारी कमी हो गई। नदियां सूखने लगीं और तालाबों का पानी भी घटने लगा। सभी जानवर परेशान हो गए। तब तेंदुआ बोला, हमें मिलकर कोई हल निकालना होगा। मधुमक्खी रानी बोली, हमारे छत्ते के पास एक गुप्त झरना है, लेकिन वहां तक पहुंचना मुश्किल है। तभी मेंढक उछलते हुए बोला, मैं पानी की आवाज पहचान सकता हूं, मैं रास्ता दिखाऊंगा! मुर्गा बोला, मैं सबको सुबह जल्दी उठा दूंगा, ताकि हम समय पर निकल सकें। अगली सुबह सब जानवर साथ निकले। तेंदुआ सबसे आगे चला ताकि कोई रास्ता भटके नहीं। मेंढक अपने टर्र-टर्र से रास्ता बताता गया। मधुमक्खियां ऊपर से निगरानी रखती रहीं। कई घंटों की मेहनत के बाद वे झरने तक पहुंचे। सबने मिलकर वहां एक छोटा तालाब बनाया। जिससे पूरा जंगल फिर से हरा-भरा हो गया। उस दिन से हर जानवर ने समझा अगर हम साथ रहें, तो कोई मुश्किल बड़ी नहीं होती। सीख- एकता में शक्ति है।
सुयश व्यास,उम्र-9वर्ष
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जंगल की अनोखी मीटिंग
एक हरे-भरे जंगल में सभी जानवर खुशी-खुशी रहते थे। एक दिन तेंदुआ राजा ने घोषणा की, हम एक मीटिंग करेंगे जहां हर कोई अपनी बात रख सके। मीटिंग वाले दिन सब समय पर पहुंचे मुर्गा, मेंढक, गिलहरी, तितली और मधुमक्खियां। सबसे पहले मुर्गा बोला, हमें सुबह जल्दी उठाने का इनाम मिलना चाहिए! तेंदुआ मुस्कुराया, तुम्हारी आवाज से तो पूरा जंगल जागता है, यह सच है। फिर मेंढक बोला, बारिश में मैं सबका मनोरंजन करता हूं, लेकिन कोई मेरी कदर नहीं करता। गिलहरी ने तुरंत कहा, पर तुम तो हमें कू द-कूद कर परेशान भी करते हो। सभी हंस पड़े। तभी तितली धीरे से बोली, मैं तो सिर्फ रंग भरती हूं जंगल में लेकिन कोई मुझे नोटिस नहीं करता। मधुमक्खियों ने भनभनाते हुए कहा, हम मेहनत से शहद बनाते हैं, फिर भी सब हमारा छत्ता तोड़ देते हैं। तेंदुआ सबकी बातें ध्यान से सुन रहा था। फिर वह बोला, हर कोई खास है। हम सब मिलकर ही जंगल को सुंदर बनाते हैं। अब से हर किसी को बराबर सम्मान मिलेगा। उस दिन के बाद जंगल में न कोई छोटा था न बड़ा सब मिलजुलकर रहने लगे।
कनुज,उम्र-13वर्ष
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बहादुर राजू और जंगल के साथी
राजू एक बहादुर लड़का था। उसे जंगल बहुत पसंद था। एक दिन राजू जंगल में घूम रहा था। उसने देखा कि एक बड़े तेंदुए के पैरों में एक जाल फंसा हुआ था। तेंदुआ बहुत परेशान था और डर के मारे गुर्रा रहा था। उसके पास एक मुर्गा, एक मेंढक और कुछ मधुमक्खियां थीं। वे सब भी डरे हुए थे। राजू को समझ में आ गया कि तेंदुआ मुसीबत में है। उसे बहुत दया आई। वह जानता था कि तेंदुआ खतरनाक हो सकता है, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। राजू ने धीरे से पास जाकर देखा। बिल्ली का पैर बहुत बुरी तरह से फंसा था। राजू ने सोचा, मुझे इसकी मदद करनी होगी। मुर्गे ने राजु को देखकर जोर से आवाज दी, जैसे कह रहा हो कि सावधान रहो! मेंढक भी उछलकर पास आया। राजू ने धीरे-धीरे जाल को खोला। तेंदुआ शांत खड़ा रहा। जाल खुलते ही, तेंदुआ अपनी आजादी पाकर बहुत खुश हुआ। उसने अपनी आंखों से राजू को धन्यवाद दिया। राजू ने सीखा कि दयालुता सबसे बड़ी ताकत होती है और हमें मुसीबत में फंसे किसी भी जीव की मदद जरूर करनी चाहिए, चाहे वह कितना भी डरावना क्यों न हो।
समायरा,उम्र-7वर्ष
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मिलकर मचाया धमाल
एक जंगल था जिसमें कई सारे जानवर व पक्षी रहते थे। ऐसे तो सभी जानवर अच्छे दोस्त थे और हिल-मिल कर रहते थे। लेकिन जंगल का राजा शेर हर दिन किसी न किसी एक जानवर को मारकर खा जाता था। जिसके कारण यह सभी जंगल में छुपकर रहते थे। इसलिए सभी पशु पक्षियों ने मिलकर योजना बनाई की हमें शेर राजा से बात करनी चाहिए और कोई उपाय निकालना चाहिए। जिससे शेर राजा को भोजन भी मिल सके और हम भी जंगल में आराम से रह सके। इस पर मेंढक टर्र-टर्र कर बोला लेकिन शेर से बात करने कौन जाएगा। मुर्गा भी कुकडु कू कर बोला हां सही है शेर के सामने जो बात करने जाएगा शेर उसे ही राजा खा जाएगा। दूसरे जानवर भी आपस में बात करने लगे हां-हां हम तो नहीं जा सकते। इसलिए पक्षियों ने अपनी चतुराई दिखाई और तेंदुए को मनाया की तेंदुए भाई तुम ही हो जो शेर से बात कर हमें बचा सकते हो। तेंदुआ शेर से बात करने को तैयार हो गया और हिम्मत कर शेर की गुफा में गया। तेंदुए ने डरते हुए धीरे से आवाज लगाई शेर राजा मुझे आपसे कु छ बात करनी है। मैं जंगल के जानवरों की तरफ से आपसे मिलने आया हूं। शेर जोर से दहाड़ते हुए बोला कहो क्या कहना है सबका। शेर राजा जंगल के सभी जानवर चाहते है कि आप प्रतिदिन अपने भोजन के लिए शिकारियों द्वारा मारे गए जानवरों व बुजुर्ग जानवरों का ही शिकार कर उन्हें अपना भोजन बनाए। ऐसा करने से आपको भोजन भी मिलता रहेगा और हम सब जानवरों से जंगल भी सही से रहेगा। शेर राजा इतना सुनकर कहता है बात तो तुम्हारी सही है। अब से मैं ऐसा ही करूंगा। तेंदुआ आकर यह बात सबको बताता है तो सभी जानवर बहुत खुश हो जाते है और सभी मिलकर फिर जंगल में धमाल मचाते है।
तनवी सोलंकी,उम्र-13वर्ष
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Updated on:
31 Jul 2025 03:40 pm
Published on:
31 Jul 2025 02:49 pm