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आदिवासियों के बीच घट रहा भाजपा का प्रभुत्व

पश्चिम बंगाल की आदिवासी बाहुल्य सीट मदारीहाट में भाजपा की हार ने सबको चौंका दिया है। झारखंड में भी भाजपा बहुमत से काफी दूर रही है। पश्चिम बंगाल और झारखंड के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में भाजपा की हार यह इशारा कर रही है कि आदिवासियों के बीच भाजपा का प्रभुत्व अब घट रहा है।

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BJP's dominance is decreasing among the tribals

BJP's dominance is decreasing among the tribals

मदारीहाट उपचुनाव और झारखंड के नतीजे कर रहे इशारा

नहीं दिखा पार्टी नेताओं में जोश और उत्साह

केडी पार्थ

कोलकाता. पश्चिम बंगाल की आदिवासी बाहुल्य सीट मदारीहाट में भाजपा की हार ने सबको चौंका दिया है। झारखंड में भी भाजपा बहुमत से काफी दूर रही है। पश्चिम बंगाल और झारखंड के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में भाजपा की हार यह इशारा कर रही है कि आदिवासियों के बीच भाजपा का प्रभुत्व अब घट रहा है। चाय बागानों से घिरा मदारीहाट निर्वाचन क्षेत्र 1977 से 2016 तक वामपंथी आरएसपी के कब्जे में था। 2016 और 2021 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया। भाजपा के मनोज तिग्गा ने यहां से दो बार जीत हासिल की। इस बार मनोज को भाजपा ने लोकसभा में उम्मीदवार बनाया था। वे अलीपुरदुआर सीट से सांसद बने। इसलिए मदारीहाट में उपचुनाव कराया गया। यहां से पहली बार तृणमूल का खाता खुला है। इस उपचुनाव में तृणमूल के जयप्रकाश टोप्पो को जीत मिली है। चुनाव से पहले यह माना जा रहा था कि भाजपा अपनी इस सीट को बचाए रखेगी लेकिन, भाजपा नेताओं को जो जोश और उत्साह दिखाना चाहिए था, वो इस उपचुनाव में नहीं दिखा।

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धीरे-धीरे वोटों के अंतर को किया कम

2021 के विधानसभा चुनाव में मदारीहाट में तृणमूल 29,000 वोटों से हारी थी लेकिन, पिछली लोकसभा में तृणमूल ने अपनी हार की अंतर में कुछ कमी लाई। मदारीहाट से भाजपा को 11 हजार वोटों से 'बढ़त' मिली। यानी तीन साल के अंदर करीब 18 हजार वोटों का अंतर कम हो गया। यहीं से तृणमूल को आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर अपना प्रभुत्व जमाने की प्रेरणा मिली। सत्ताधारी दल के नेता चुनाव से पहले निजी चर्चा में कह रहे थे कि मदारीहाट के आदिवासी मोहल्ले में ईसाई वोट से बना भाजपा का 'वर्चस्व' इस बार टूट जाएगा। निजी चर्चा में भाजपा के शीर्ष नेता उपचुनाव में ईसाई वोटों में पूर्व भाजपा सांसद जॉन बारला की भूमिका पर भी संदेह व्यक्त कर रहे थे। बारला की भूमिका को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। उपचुनाव के दौरान बारला ने तृणमूल नेताओं को बैठक के लिए अपने घर बुलाया था। मदारीहाट के तृणमूल नेता और राज्यसभा में तृणमूल के सांसद प्रकाश चिक बड़ाईक ने कहा कि लोगों ने भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को हरा दिया है। ममता बनर्जी के विकास के पक्ष में लोगों ने मतदान किया।

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भाजपा ने किया आत्मसमर्पण: दिलीप घोष

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने चुनाव परिणाम आने के बाद अपनी टिप्पणी में कहा कि यह परिणाम उम्मीद के मुताबिक ही है। मदारीहाट में कोई लड़ाई नहीं हुई। भाजपा ने वस्तुत: सत्तारूढ़ खेमे के सामने 'आत्मसमर्पण' कर दिया। राज्यसभा में भाजपा के सांसद शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि हर चुनावी जीत और हार से राजनीतिक सबक लेना पड़ता है लेकिन, हम इसे आपदा नहीं मानते। शमीक ने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी की मौत के बाद भाजपा ने देशभर में केवल दो सीटें जीतीं थी। उस समय कई लोगों ने कहा था कि भाजपा अब और आगे नहीं बढ़ पाएगी लेकिन, आज की तारीख में भाजपा केंद्र की सत्ता में है। कई प्रदेशों में भाजपा का राज है।

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घट रहा भाजपा का महत्व

प्रदेश माकपा के सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि यह सच है कि आदिवासियों और कमजोर वर्गों के बीच भाजपा का महत्व घट रहा है। मदारीहाट ने इसे सच कर दिखाया। झारखंड के नतीजे भी बता रहे कि आदिवासियों के बीच भाजपा का प्रभुत्व खत्म हो रहा है। बंगाल में दो दलों की राजनीति तभी टूटेगी जब भाजपा कमजोर होगी। हम इसे बनाए रखेंगे और अपनी संगठनात्मक कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। वैसे मदारीहाट वामपंथियों की ही सीट थी। भटक कर यह भाजपा के पास चली गई थी।