Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एनसीआर में 1,10,512 वर्ग गज जमीन का आवंटन निरस्त, बिल्डर को प्राधिकरण का झटका

Noida Development Authority: दिल्ली से सटे नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्‍शन प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी चलाने वाले बिल्डर को नोएडा अथॉरिटी से झटका लगा है। अथॉरिटी ने कंपनी के नाम पर आवंटित 1,10,512 वर्ग गज जमीन का पट्टा निरस्त कर दिया है।

2 min read
Google source verification
Noida Development Authority cancels allotment 1,10,512 Lakh square yards land on builder

नोएडा अथॉरिटी का बिल्डर पर एक्‍शन। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Noida Development Authority: दिल्ली से सटे नोएडा में एक ओर जहां अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ नोएडा अथॉरिटी का एक्‍शन जारी है, वहीं जमीन आवंटन में तय राशि जमा नहीं कराने पर बिल्डर्स भी एक्‍शन शुरू हो गया है। इसी के तहत नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी नोएडा प्राधिकरण ने एक बिल्डर पर एक्‍शन लेते हुए उसकी कंपनी पर आवंटित जमीन का पट्टा निरस्त कर दिया है। इससे दूसरे बिल्डरों में भी हड़कंप मचा है।

नोएडा के सेक्टर 150 में आवंटित की गई थी जमीन

नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों का कहना है कि लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी चलाने वाले बिल्डर को सेक्टर 150 के भूखंड संख्या SC-02 स्पोर्ट्स सिटी में 1,10,512 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी। बिल्डर को इस जमीन के बदले 19400 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से अथॉरिटी में जमा कराना था, लेकिन बिल्डर यह रकम नहीं करवा रहा था। इसके लिए कई बार नोटिस भी जारी किए गए।

प्राधिकरण ने क्या बताया?

नोएडा विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सतीश पाल ने HT को बताया कि बिल्डर पर प्राधिकरण का करीब 4100 रुपये बकाया है। प्राधिकरण बार-बार बिल्डर को नोटिस भेज रहा था, लेकिन बिल्डर रकम जमा नहीं करवा रहा था। ऐसे में सोमवार को उसका आवंटन निरस्त करने का निर्णय लिया गया। अब नोएडा विकास प्राधिकरण उक्त जमीन पर कब्जा लेने की तैयारी कर रहा है। यह जमीन स्पोट्स सिटी परियोजना के तहत सेक्टर 150 के भूखंड संख्या SC-02 में बिल्डर को आवंटित की गई थी।

अब जानिए बिल्डरों को कैसे आवंटित होती है जमीन?

विकास प्राधिकरण (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना अथॉरिटी) में बिल्डरों को जमीन आवंटन की प्रक्रिया एक तय नियमावली के तहत होती है। प्राधिकरण पहले मास्टर प्लान के अनुसार आवासीय, वाणिज्यिक या ग्रुप हाउसिंग के लिए भूमि का उपयोग निर्धारित करता है। इसके बाद भूमि के टुकड़ों को चिन्हित कर उनकी स्कीम जारी की जाती है। इन स्कीमों में इच्छुक बिल्डरों या डेवलपर्स को आवेदन करना होता है। पात्रता मानदंडों में कंपनी का पंजीकरण, पिछले प्रोजेक्ट्स का अनुभव, वित्तीय क्षमता (नेट वर्थ, टर्नओवर आदि), और आरक्षित मूल्य (Reserve Price) पर बोली लगाने की क्षमता शामिल होती है। जमीन का आवंटन आमतौर पर ई-टेंडरिंग या खुली नीलामी प्रक्रिया से किया जाता है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

प्राधिकरण के पास क्या अधिकार?

जमीन आवंटन के बाद बिल्डर को निश्चित समयसीमा में प्राधिकरण के साथ लीज डीड करनी होती है और तय शर्तों के अनुसार किश्तों में जमीन की कीमत अदा करनी होती है। निर्माण की समयसीमा, भूमि उपयोग का पालन, भवन मानचित्र की स्वीकृति और परियोजना पूरा करने की जिम्मेदारी बिल्डर की होती है। यदि बिल्डर नियमों का पालन नहीं करता या भुगतान में चूक करता है तो प्राधिकरण जमीन का आवंटन रद्द करने और कब्जा वापस लेने का अधिकार रखता है। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जमीन का उपयोग नियोजित तरीके से हो और खरीदारों को समय पर वैध और सुरक्षित आवास उपलब्ध कराया जा सके।