दिल्ली में दिवाली के बाद चार के पार पहुंचा एक्यूआई। (प्रतीकात्मक फोटो)
Delhi Pollution Increased: दिवाली के बाद हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली गैस चैंबर जैसी स्थिति में है। हवा में मौजूद महीन धूलकण और जहरीले तत्व सांसों में उतरकर स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पराली जलाने, वाहनों के उत्सर्जन और पटाखों के प्रयोग पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। दिवाली के अगले ही दिन यानी मंगलवार को दिल्ली एक बार फिर घनी धुंध की चादर में लिपटी नजर आई। आसमान में सफेद परत सी छाई हुई है और सांस लेना मुश्किल हो गया है। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के तमाम प्रयासों के बावजूद राजधानी की हवा जहरीली हो चुकी है। कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 से ऊपर पहुंच गया है, जबकि कुछ जगहों पर यह 500 का आंकड़ा पार कर गया।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP-2) के बावजूद दिल्ली की हवा में सुधार नहीं हुआ है। दिवाली से पहले ही लागू इस प्लान में कोयले और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर रोक, डीजल जनरेटर सेट बंद करने जैसे कदम उठाए गए थे। इसके बावजूद दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई।
दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ना दिल्ली के लिए कोई नया अनुभव नहीं है। 1 नवंबर 2024 को SAFAR के रियल-टाइम डेटा के अनुसार, दिवाली के अगले दिन सुबह 6:30 बजे दिल्ली का AQI 359 दर्ज हुआ था। इसके पहले 13 नवंबर 2023 को दिवाली की रात प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाए गए, जिसके बाद सुबह AQI 438 तक यानी ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया। 25 अक्टूबर 2022 को दिवाली के बाद सुबह AQI 315 रहा, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में था। इसके पहले 5 नवंबर 2021 को प्रतिबंध के बावजूद पटाखों के उपयोग से AQI 454 तक पहुंच गया था।
इस साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘ग्रीन पटाखों’ की अनुमति दिए जाने के बावजूद हवा की गुणवत्ता में खास सुधार नहीं दिखा। आनंद विहार में AQI 360 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। पिछले साल के मुकाबले यह आंकड़ा थोड़ा बेहतर जरूर है, जब AQI 396 दर्ज किया गया था, लेकिन यह सुधार मामूली है। दिवाली की रात दिल्ली फायर सर्विस को 269 इमरजेंसी कॉल प्राप्त हुईं, हालांकि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। वहीं, SAFAR और CPCB के आंकड़ों से साफ है कि ‘ग्रीन पटाखे’ और सख्त प्रतिबंध भी दिल्ली की हवा को स्वच्छ नहीं बना पाए हैं।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने ‘ग्रीन पटाखों’ की अनुमति पर सवाल उठाए हैं। पर्यावरणविद भवरीन कंधारी ने HT से कहा “वायु प्रदूषण सिर्फ पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, यह जनस्वास्थ्य का संकट है। ‘कम जहरीले पटाखे’ कहना गलत है, क्या हम अपने बच्चों को कम जहर देना चाहते हैं?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि पिछले तीन दशकों से स्वच्छ हवा के लिए संघर्ष जारी है, लेकिन नीतिगत स्तर पर कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आता।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली प्रभारी सौरभ भारद्वाज ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि दिवाली के बाद प्रदूषण से राहत दिलाने के नाम पर केंद्र सरकार ने ‘कृत्रिम बारिश’ का वादा किया था, लेकिन वह बारिश आज तक नहीं हुई। भारद्वाज ने आरोप लगाया कि सरकार चाहती है कि दिल्ली के लोग बीमार पड़ें, ताकि निजी अस्पतालों को फायदा मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के इस गंभीर हालात के बावजूद केंद्र सरकार सिर्फ बयानबाजी कर रही है, जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिवाली के बाद दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच चुका है और लोग फिर से मास्क पहनने को मजबूर हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “सरकार ने दावा किया था कि कृत्रिम बारिश से प्रदूषण कम होगा, लेकिन क्या बारिश हुई? नहीं। अगर बारिश कराई जा सकती थी, तो सरकार ने क्यों नहीं कराई? क्या सरकार चाहती है कि लोग बीमार पड़ें?” भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और बीजेपी सरकार की नाकामी से राजधानी दम घोंटू धुंध में लिपटी हुई है।
Published on:
21 Oct 2025 01:17 pm
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