दिल्ली में दिवाली के बाद प्रदूषण को लेकर भड़की सियासत।
Delhi Air Pollution: दिवाली के अगले ही दिन दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। आसमान में छाई घनी धुंध, सड़कों पर घटती दृश्यता और बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ने राजधानी की सांसें थाम दी हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक मंगलवार सुबह दिल्ली का औसत AQI 359 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। बवाना, वजीरपुर, जहांगीरपुरी और बुराड़ी में तो यह आंकड़ा 400 के पार पहुंच गया। इसके साथ ही ग्रैप-2 (GRAP-2) के तहत कई प्रतिबंध भी लागू कर दिए गए हैं।
लेकिन इस दमघोंटू हवा के बीच दिल्ली की राजनीति भी गर्मा गई है। प्रदूषण के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के लिए बीजेपी जिम्मेदार है, जबकि बीजेपी इसे पंजाब की पराली और आम आदमी पार्टी की नाकामी से जोड़ रही है।
दिवाली के बाद दिल्ली सरकार के मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में ग्रीन पटाखों के अलावा भी बड़े पैमाने पर अवैध पटाखे फोड़े गए। उन्होंने कहा, "यह साफ दिखाता है कि दिल्ली की बीजेपी इकाई पर पटाखा बनाने वाली लॉबी का दबाव था। अरबों रुपए के पटाखे बिकवाने के लिए दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में नियम तोड़े गए। यह कहीं न कहीं सांठ-गांठ को दिखाता है।" AAP का कहना है कि अगर दिल्ली पुलिस सख्ती से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराती, तो स्थिति इतनी खराब नहीं होती। पार्टी का तर्क है कि प्रदूषण का बड़ा हिस्सा दिवाली के दौरान चले पटाखों से आया है और केंद्र सरकार इसके लिए जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।
वहीं बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के आरोपों को राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "दिवाली और पटाखों को दोष देना बंद कीजिए। जब तक केजरीवाल पंजाब में हार नहीं मानते और किसानों को नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित नहीं करते, दिल्ली हर सर्दी में यूं ही दम तोड़ती रहेगी।" बीजेपी का कहना है कि दिल्ली की हवा बिगड़ने की जड़ें पंजाब की पराली में हैं, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है। बीजेपी नेताओं के मुताबिक, भगवंत मान सरकार न तो किसानों को पराली प्रबंधन की नई तकनीकें दे रही है और न ही वैकल्पिक फसल चक्र को बढ़ावा। नतीजतन, हर साल वही हालात बनते हैं।
राजधानी की हवा पर यह सियासी धुआं कोई नया नहीं है। हर साल दिवाली के बाद यही तस्वीर और यही बहस दोहराई जाती है। एक ओर दिल्ली सरकार केंद्र और पुलिस पर उंगली उठाती है, तो दूसरी ओर केंद्र शासित तंत्र पराली और प्रशासनिक विफलता की बात करता है। लेकिन नतीजा हर बार वही—दिल्ली की हवा जहरीली, बच्चे बीमार, और सियासी बयानबाज़ी जारी।
पर्यावरणविद् भावरीन कंधारी ने कहा कि दिल्ली के लगभग हर मॉनिटरिंग स्टेशन का एक्यूआई ‘रेड जोन’ में पहुंचना शहर के लिए गंभीर चेतावनी है। उन्होंने कहा "यह सिर्फ धुंध नहीं है, यह हमारे बच्चों के फेफड़ों पर हमला है।" कंधारी के मुताबिक, भारत में पहले से ही 70% संक्रमण श्वसन रोगों से जुड़े हैं और दिल्ली की यह स्थिति देश के लिए चिंता का संकेत है। सवाल अब यह है कि क्या दिल्ली कभी इस राजनीतिक धुंध से निकलकर वास्तव में स्वच्छ हवा में सांस ले पाएगी?
Published on:
21 Oct 2025 02:39 pm
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