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751 मुकदमे और मुझे सिर्फ एक में बनाया आरोपी…SC में उमर खालिद की दिल्ली दंगे पर दलील

Supreme Court: फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रही।

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Delhi riots main accused Umar Khalid's bail plea to be heard in Supreme Court

दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

Supreme Court: फरवरी-2020 में हुए दिल्ली दंगे के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में आरोपी उमर खालिद ने जमानत की मांग करते हुए अपने पक्ष में दलीले दीं। सुप्रीम कोर्ट में उमर खालिद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ के समक्ष अपनी दलीलें रखीं। इस दौरान कपिल सिब्बल ने उमर खालिद का पक्ष रखते हुए कहा "मीलॉर्ड दिल्ली दंगे मामले में पुलिस ने 751 मुकदमे दर्ज किए, लेकिन मुझ पर सिर्फ एक मुकदमे में आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा मुझे हिंसा से जोड़ने वाले हथियार और धन अभी तक पुलिस को नहीं मिला है।"

दिल्‍ली दंगों से संबंधित सभी आरोपों को किया खारिज

उमर खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उमर खालिद पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा "मीलॉर्ड जिन तारीखों में दिल्ली के अंदर दंगे हुए, उन तारीखों पर उमर खालिद दिल्ली में मौजूद ही नहीं था। इसके अलावा गवाहों के बयानों में भी उमर खालिद के खिलाफ हिंसा साबित नहीं होती है। ऐसे में उमर खालिद समानता के आधार पर जमानत के अधिकारी हैं।" कपिल सिब्बल ने कहा कि दिल्ली दंगे के अन्य आरोपियों में से नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जून 2021 में जमानत दी जा चुकी है।

उमर खालिद के भाषण पर दिया स्पष्टीकरण

सुप्रीम कोर्ट में मामले की पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 फरवरी, 2020 को अमरावती में दिए गए उमर खालिद के उस भाषण को 'भड़काऊ' करार देकर जमानत देने से इनकार कर दिया, जो अभी भी यूट्यूब पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं और इसमें खालिद ने गांधीवादी सिद्धांतों के बारे में बात की थी।

गुलफिशा फातिमा और शरजील इमाम की ओर से दलीलें

गुलफिशा फातिमा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि फातिमा अप्रैल 2020 से जेल में हैं। यानी उन्हें पांच साल पांच महीने से अधिक समय हो गया है। सिंघवी ने कहा कि मुख्य आरोपपत्र 16 सितंबर, 2020 को दायर किया गया था, लेकिन अभियोजन पक्ष ने हर साल पूरक आरोपपत्र दाखिल करना शुरू कर दिया। उन्होंने जमानत याचिका पर विचार करने में 90 से ज्यादा बार सूचीबद्ध होने के कारण हुई अत्यधिक देरी पर ज़ोर दिया। सिंघवी ने तर्क दिया कि उन पर मुख्य आरोप केवल समर्थन जुटाने या समन्वय स्थापित करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का है।

हिंसा भड़काने या वैमनस्यता फैलाने का इरादा नहीं

उन्होंने कहा कि कानून की वास्तविक परीक्षा यह है कि क्या हिंसा भड़काने या वैमनस्य पैदा करने का कोई इरादा था। शरजील इमाम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने तर्क दिया कि पुलिस को अपनी जांच पूरी करने में तीन साल लग गए, जिसके कारण शरजील ने हिरासत में अपने पांच साल में से तीन साल सिर्फ इसलिए जेल में बिताए क्योंकि जांच जारी थी। दवे ने कहा कि शरजील ने दंगों से लगभग दो महीने पहले ये भाषण दिए थे और ऐसा कोई सीधा या निकट संबंध नहीं है जिससे यह पता चले कि उन्होंने हिंसा भड़काई हो।

दिल्ली पुलिस का विरोध और मामले का विवरण

दरअसल, दिल्ली में फरवरी 2020 को हुए दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। यह हिंसा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध के दौरान भड़क उठी थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर पर दंगों के कथित मास्टरमाइंड होने के आरोप में यूएपीए और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने इन सभी जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने शांतिपूर्ण विरोध की आड़ में एक 'शासन बदलने' का अभियान चलाकर देश की संप्रभुता और अखंडता पर प्रहार करने की साजिश रची थी। मामले में अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी।