CM Rekha Gupta: दिल्ली सरकार ने आम आदमी पार्टी (आप) को एक और बड़ा झटका देते हुए 22 सरकारी संस्थाओं में की गई 194 नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है। भाजपा सरकार का यह निर्णय आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी कीर सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों, समितियों और अकादमियों में 194 नियुक्तियां की थीं। इनमें से ज्यादातर जगहों पर राजनीतिक नियुक्तियां की गई थीं। इनमें दिल्ली जल बोर्ड, पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली हज समिति, तीर्थयात्रा विकास समिति, उर्स समिति, हिंदी अकादमी, उर्दू अकादमी, साहित्य कला परिषद, पंजाबी अकादमी, संस्कृत अकादमी सहित 22 संस्थान शामिल हैं। अब भाजपा सरकार ने इन सभी नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रद कर दिया है।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा इन सभी 22 सरकारी संस्थानों में की गई ज्यादातर नियुक्तियां राजनीतिक रूप से प्रेरित थीं। सरकार बदलने के साथ ही ऐसे पदों की नियुक्तियों को पलटने की परंपरा रही है। इन संस्थाओं में नियुक्त लोग सरकार के दृष्टिकोण और नीतियों को लागू करने में मदद करते हैं। इन संस्थानों में कुछ नियुक्तियां राजनीतिक होती हैं तो कुछ नियुक्तियों पर विषय विशेषज्ञ तैनात किए जाते हैं।
आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे के अनुसार इन संस्थाओं में नियुक्तियां की थीं। इसमें पशु कल्याण बोर्ड, वृक्ष प्राधिकरण जैसे संस्थानों में कुछ पद विशिष्ट विषयों के विशेषज्ञों के लिए होते हैं, लेकिन यहां भी कई पदों पर राजनेताओं की नियुक्तियां होती हैं। दिल्ली सरकार के अधिकारी ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड, हिंदी अकादमी, पंजाबी अकादमी, उर्दू अकादमी और पशु कल्याण बोर्ड में कुछ पद विषय विशेषज्ञों के लिए थे। जबकि दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के उपाध्यक्ष और दिल्ली आगरा मथुरा बोर्ड (DAMB) के अध्यक्ष विधायक थे। हालांकि जब कोई सरकार सत्ता से बाहर होती है तो ऐसे पदों की वैधता भी खत्म हो जाती है। इसी के चलते भाजपा ने इन पदों की नियुक्तियों को रद कर दिया है।
इन बर्खास्त नियुक्तियों में वर्तमान और पूर्व विधायक भी शामिल हैं। आदेश में यह भी कहा गया है कि संबंधित विभागों को इन संस्थाओं के पुनर्गठन के लिए नए प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। दिल्ली की नवनिर्वाचित भाजपा सरकार के इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीति से जुड़े लोग दिल्ली की रेखा सरकार के इस निर्णय को एक ओर जहां पारदर्शिता और सही प्रशासन की दिशा में एक अहम कदम मान रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह कदम दिल्ली सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सरकार का प्रशासनिक ढांचा ज्यादा व्यवस्थित होगा। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के लिए यह एक और बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इन नियुक्तियों के रद होने से आम आदमी पार्टी के पदासीन कार्यकर्ताओं को झटका लगेगा और वह निराश हो सकते हैं। ऐसे में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के टूटने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इससे दिल्ली में आम आदमी पार्टी का कुनबा और कमजोर हो सकता है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान 22 संस्थानों में की गईं नियुक्तियों को रद करने का आदेश चार अप्रैल को जारी किया गया था। दिल्ली उप सचिव (सेवाएं) भैरव दत्त ने 4 अप्रैल को जारी आदेश में स्पष्ट कहा है "सक्षम प्राधिकारी नामित गैर-सरकारी पदाधिकारियों और गैर-सांविधिक तथा सांविधिक निकायों, प्राधिकरणों, बोर्डों, समितियों और अकादमियों के सदस्यों के कार्यकाल को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, जीएनसीटीडी के सभी विभागों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अन्य निकायों या संस्थाओं के संबंध में इसी तरह की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।"
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Updated on:
10 Apr 2025 02:15 pm
Published on:
10 Apr 2025 02:13 pm