Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट की सौगात, दिल्ली-NCR में शर्तों के साथ ग्रीन पटाखे फोड़ने की मिली मंजूरी

दिवाली के मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री व फोड़ने की अनुमति दे दी है। जो दिवाली के चार दिनों (18 से 21 अक्टूबर) तक सीमित रहेगी।

2 min read

भारत

image

Devika Chatraj

Oct 15, 2025

दिल्ली-NCR में पटाखों को मिली मंजूरी (File Photo)

दिवाली के उल्लास को थोड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में ग्रीन पटाखों (Green Firecracker) की बिक्री व फोड़ने की अनुमति दे दी है। हालांकि, यह छूट सख्त शर्तों के साथ दी गई है, ताकि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण बरकरार रहे। कोर्ट ने इसे एक ट्रायल बेसिस पर मंजूर किया है, जो दिवाली के चार दिनों (18 से 21 अक्टूबर) तक सीमित रहेगा।

ग्रीन पटाखों से कम पॉल्यूशन

चीफ जस्टिस बी.आर. गवई (B R Gavai) और जस्टिस के. विनोद चंद्रन (K. Vinod Chandran) की बेंच ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल NEERI (नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) द्वारा प्रमाणित 'ग्रीन पटाखे' ही इस्तेमाल किए जा सकेंगे, जो पारंपरिक पटाखों की तुलना में 20-30% कम प्रदूषण फैलाते हैं। पारंपरिक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध बना रहेगा।

क्या है शर्तें?

  • पटाखे फोड़ने का समय सुबह 6 बजे से 8 बजे और शाम 8 बजे से 10 बजे तक सीमित। दीवाली की पूर्व संध्या और मुख्य दिवस पर यह छूट लागू होगी।
  • बिक्री केवल 18 से 21 अक्टूबर तक होगी, और वह भी केवल लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं द्वारा।
  • फोड़ने की अनुमति केवल नामित स्थानों पर। एनसीआर के बाहर से लाए गए पटाखों पर सख्त पाबंदी।

उल्लंघन पर कार्रवाई

गैर-पंजीकृत पटाखों की बिक्री या फोड़ने पर तत्काल जब्ती और लाइसेंस रद्द। जिला प्रशासन और पुलिस को प्रदूषण स्तर की निगरानी और रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है। पिछले महीने, कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के उत्पादन की अनुमति दी थी, लेकिन बिक्री पर रोक लगाए रखी थी। दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्यों ने प्रदूषण बढ़ते स्तर को देखते हुए छूट की मांग की थी। यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों से पहले वायु गुणवत्ता सुधारने के प्रयासों का हिस्सा है, जहां पटाखों से एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अक्सर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।