Lok Sabha Elections Results 2024 : उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण का मतदान खत्म होते ही आए एग्जिट पोल ने थकान से चूर भाजपा के कार्यकर्ताओं को एक बार फिर उत्साह से भर दिया। सभी एग्जिट पोल का निचोड़ यह रहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा 60 से अधिक सीट जीत रही है। 70 सीट भी पार कर जाए तो बड़ी बात नहीं है। विपक्ष के लिए यह बड़ी बात जरूर है, क्योंकि रुहेलखंड से पूर्वांचल तक और सहारनपुर से सोनभद्र तक यदि एग्जिट पोल के रुझान नतीजों में बदलते हैं तो फिर भाजपा को अगले पांच वर्षों तक सत्ता बनाए रखने से कोई नहीं रोक सकेगा और विपक्षी पार्टियां सपा, कांग्रेस और बसपा अपनी बची हुई हैसियत भी खो देंगी। इसका एक मतलब यह भी होगा कि आमजन को विपक्ष अपने उन तर्कों से संतुष्ट नहीं कर पाया जो उसने चुनाव लड़ने के लिए पेश किए।
एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा एक बार फिर से लोकसभा में 60 सीटों का आंकड़ा पार कर रही है। इसके आगे जीत की हर सीट पार्टी का जनता पर भरोसा और कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाएंगी। ऐसे में एक बार फिर से मजबूती के साथ तमाम फैसले होंगे। उत्तर प्रदेश की राजनीति स्थिति में बदलाव की बात करें तो जिस तरह से स्वामी प्रसाद मौर्या की राजनीति सफाई हुई है और सुभाषपा के ओमप्रकाश राजभर फिर से गुलाटी मारकर भाजपा में आए हैं। निषाद पार्टी पहले से ही भाजपा के साथ है। इससे साफ है कि अगले चुनावों में क्षेत्रीय दलों को साध भाजपा अपनी जीत का दायरा बड़ा करेगी। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कई सीटों को छोटे दलों ने अपने समीकरण से बिगाड़ दिया था और 1200 से भी कम वोट से भाजपा के कई प्रत्याशियों को शिकस्त मिली थी।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव हो जाए तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन अगले पांच सालों तक सपा विपक्ष में दूसरे नंबर की हैसियत में रहने वाली है। समाजवादी पार्टी मुस्लिम और यादव का माई समीकरण बनाकर एक वर्ग में अपना वर्चस्व स्थापित करती है तो भाजपा ने महिला और यूथ का माई समीकरण बनाकर 2014 से ऐसी बढ़त बनाई है कि पूरा विपक्ष तिहाई सीट में ही सिमट जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने अगर लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की तरह रूख किए रखा तो फिर जीत का दावा कितना भी मजबूत हो जीत फिसलती रहेगी।जब तक पार्टी मुस्लिम और यादव की गोद से उठ अन्य जातियों से हाथ न मिलाएगी जीत फिसलती ही जाएगी।
उत्तर प्रदेश से अमरबेल बनने के चक्कर में परजीवी बनती दिखाई दे रही है। 2019 लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट और 2022 के चुनाव में सिर्फ 2 सीट पूरे प्रदेश में पार्टी की हैसियत बता रही है। इस बार भी चुनाव में गठबंधन के बाद कांग्रेस को अपनी जमीन खोनी ही पड़ रही है लाभ मिलता कम दिखाई पड़ रहा है। ऐसा लगा रहा है कि जैसे सपा के लिए कांग्रेस जमीन तैयार कर रही है। आलम यह है कि कई बूथों पर कांग्रेस का बस्ता ले जाने के लिए भी कैडर नहीं बचा है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सिर्फ अपनी लाज बचाते हुए नजर आ रही है। रायबरेली सीट पर सिमटी है तो इलाहाबाद में सपा की सिपाही की बदौलत झंडा बुलंद कर रही है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाथी के चाल ने भी अच्छे अच्छों का हलकान कर दिया था। राजनीति हो या राजनेता सभी नीले आसमान के साथ नीले झंडे के नीचे आतुर आने को दिखते थे। बसपा का टिकट लेने के लिए लंबी कतार, इंटरव्यू, पार्टी फंड सब चलता था। बसपा का नारा ही था कि सबके मतदान की गणना शून्य से शुरू होती है और हमारी 14 फीसदी से होती है। अबकी बार यह पार्टी उत्तर प्रदेश से साफ होती नजर आ रही है। 2022 की विधानसभा में सिर्फ एक सीट पाने वाली बसपा को इस बार लोकसभा में एक भी सीट मिलती न दिख रही है। 2019 में बसपा को 10 सीटें मिली थी।
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Published on:
04 Jun 2024 09:23 am