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Income Tax Slab: 12 लाख से थोड़ा भी ज्यादा कमाने वालों को देना होगा इतना टैक्स, समझें मार्जिनल रिलीफ का कैलकुलेशन

Income Tax Slab New: न्यू टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स छूट की सीमा को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है। नई टैक्स व्यवस्था का उद्देश्य मिडिल क्लास को राहत देते हुए Tax को कम करना है।

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भारत

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Akash Sharma

Feb 05, 2025

Calculation of Marginal Relief

Calculation of Marginal Relief

Income Tax Slab New: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई आयकर व्यवस्था के तहत केंद्रीय बजट 2025 में 12 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले व्यक्तियों के लिए टैक्स की घोषणा की। सैलरी से इनकम वालों के लिए मानक कटौती का साथ नई व्यवस्था के तहत यह सीमा 12.75 लाख रुपये है। लेकिन 12 लाख रुपये से थोड़ा अधिक कमाकर टैक्स में आने वाले व्यक्तियों का क्या? क्या उन्हें 12 लाख रुपये से अधिक की अपनी अतिरिक्त आय की तुलना में अधिक इनकम टैक्स देना होगा? आइए जानते हैं-

मार्जिनल रिलीफ की गणना निम्नलिखित तरीके से की जाती है:

नई टैक्स व्यवस्था का उद्देश्य मिडिल क्लास को राहत देते हुए Tax को कम करना है। न्यू टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स छूट की सीमा को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है। मार्जिनल रिलीफ की गणना इस उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए 12,10,000/- रुपये की आय वाले व्यक्ति के लिए मार्जिनल रिलीफ (सीमांत राहत) के बिना में टैक्स 61,500/- रुपये (4 लाख रुपये का 5% + 4 लाख का 10% और 10,000 रुपये का 15%) बनता है। हालांकि, मार्जिनल रिलीफ के कारण वास्तव में भुगतान की जाने वाली कर राशि 10,000/- रुपये है। मार्जिनल रिलीफ के बिना और साथ में टैक्स का कैलकुलेन समझें-

इनकममार्जिनल रिलीफ के बिना टैक्ससीमांत छूट के साथ Tax
12,100006150010000
12500006750050000
12700007050070000
12750007125071250 (No Marginal Relifef)

ध्यान देने योग्य बात

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की कर योग्य इनकम वाले व्यक्तियों को छूट दी जाती है। यह उन करदाताओं के लिए सीमांत राहत से अलग है जिनकी आय 12 लाख रुपये से थोड़ी अधिक है। सीमांत राहत प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी कर देयता उस राशि से अधिक न हो जिससे उनकी आय 12 लाख रुपये से अधिक हो। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेक्शन 87a के तहत मिलने वाला रिबेट लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर लागू नहीं होता है। Income Tax के सेक्शन 111a का प्रावधान शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर लागू होता है।

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