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सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में फिर ठनी, HC ने कहा- ‘जिला अदालतों से दूर रहे SC’

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कहा है कि वह राज्य न्यायिक अधिकारियों के सेवा नियमों में दखल न दें। सेवा नियमों का ढांचा तैयार करने का काम हाईकोर्ट का है। जानिए क्या है पूरा मामला...

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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)

राज्य न्यायिक अधिकारियों के सेवा नियमों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के बीच ठन गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले में उसे “हैंड्स-ऑफ अप्रोच” (हस्तक्षेप न करने का रुख) अपनाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि जिला न्यायपालिका पर अनुच्छेद 227(1) के तहत निगरानी का अधिकार हाईकोर्ट के पास है, इसलिए सेवा नियमों का ढांचा तैयार करने का काम भी हाईकोर्ट को ही करना चाहिए।”

हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में दखल न दे SC

हाईकोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि क्यों हाईकोर्ट को उसके संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों से वंचित किया जा रहा है? द्विवेदी ने पक्ष रखते हुए कहा कि हाईकोर्ट को कमजोर करने के बजाए मजबूत किया जाना चाहिए। अब बात बहुत आगे बढ़ चुकी है। सुप्रीम कोर्ट को जिला न्यायाधीशों की भर्ती, सेवानिवृत्ति आयु या प्रमोशन कोटा जैसे मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।

राकेश द्विवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को केवल उन मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए, जहां किसी हाईकोर्ट के अधीन न्यायिक व्यवस्था चरमरा जाए। सेवा नियम प्रत्येक राज्य की परिस्थितियों के अनुसार भिन्न होते हैं। इन्हें तय करने का अधिकार केवल संबंधित हाईकोर्ट को होना चाहिए।

सभी हाईकोर्ट ने किया SC का विरोध

इसी मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए सीनियर वकील मनींदर आचार्य ने कहा कि मौजूदा प्रणाली दोनों राज्यों में ठीक तरह से काम कर रही है और किसी नए कोटा की आवश्यकता नहीं है। केरल, बिहार और दिल्ली के प्रतिनिधि अधिवक्ताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव के विरोध में दलीलें दीं।

मामले की सुनवाई करते हुए SC ने क्या कहा

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस की अवधारणा अभी भी विचाराधीन है। बेंच ने कहा कि हमारा उद्देश्य हाईकोर्ट की शक्तियों को कम करना नहीं है, बल्कि यह देखना है कि जिला न्यायाधीशों की पदोन्नति के लिए कुछ सामान्य दिशा निर्देश बनाए जा सकते हैं या नहीं।

कैसे होता है जिला न्यायाधीश के पद पर प्रमोशन

जिला न्यायाधीश के पद पर प्रमोशन तीन तरीकों से होता है। पहला वरिष्ठता आधारित प्रमोशन, दूसरा प्रत्यक्ष भर्ती और तीसरा सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर। 2002 में इनका अनुपात 50:25:25 था, जिसे 2010 में 65:25:10 किया गया और फिर सुप्रीम कोर्ट ने इसे दोबारा 50:25:25 कर दिया।