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चंद्रयान-3 को लेकर ISRO ने दी खुशखबरी, 5 महीने बाद लैंडर करने लगा यह काम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 मिशन को लेकर एक और खुशखबरी दी है।

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चंद्रयान-3 को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने खुशखबरी देते हुए बताया कि लैंडर के उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लोकेशन मार्कर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर पर लगा लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे ने लैंडिंग के पांच महीने बाद काम करना शुरू कर दिया है। अपने बयान में इसरो ने कहा, 'एलआरओ पर लूनर ऑर्बिटर लेजर अल्टीमीटर (लोला) का इस्तेमाल किया गया। यह जानकारी चंद्रमा की रात के समय हासिल की गई, जब एलआरओ चंद्रयान-3 के पूर्व में बढ़ रहा था।'

इससे क्या लाभ होगा

इसरो ने कहा, 'चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर नासा का लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (एलआरए) दीर्घकालिक जियोडेटिक स्टेशन और चंद्र सतह पर लैंड मार्कर के रूप में काम करना जारी रखेगा। इससे वर्तमान और भविष्य के चंद्र मिशन को लाभ होगा। इस माप से अंतरिक्ष यान की कक्षीय स्थिति के तय करने में सहायता मिलेगी। साथ ही चंद्रमा की गतिशीलता, आंतरिक संरचना और गुरुत्वाकर्षण विसंगतियों से जुड़ी जानकारी मिलेगी।'

कई दशकों तक चलेगा मात्र 20 ग्राम वजनी ऑप्टिकल उपकरण

नासा के एलआरए (LRA) को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर से जोड़ा गया था, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत हुआ। इसमें एक अर्धगोलाकार ढांचे पर 8 कोने वाले-घन रेट्रोरिफ्लेक्टर शामिल हैं, जिसका उपयोग उपयुक्त उपकरणों के साथ चंद्रमा की सतह पर परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान को विभिन्न दिशाओं से लेजर की सुविधा प्रदान करने के लिए किया जाता है। इस ऑप्टिकल उपकरण का वजन लगभग 20 ग्राम है और यह चंद्रमा की सतह पर दशकों तक कार्रवाई करने के लिए डिजाइन किया गया है।

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