One Nation One Election : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति को 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिसों सहित अनेक रिटायर जजों का भरपूर समर्थन मिला था। समिति ने देश के चार पूर्व चीफ जस्टिस, एक पूर्व जस्टिस और हाईकोर्ट के एक दर्जन पूर्व चीफ जस्टिस से विचार विमर्श किया था। इनमें से हाईकोर्ट के तीन चीफ जस्टिस को छोड़कर सभी ने एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव का समर्थन किया।
देश के पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और एसए बोबडे ने समिति के समक्ष कहा कि एक साथ चुनाव कराना संविधान के 'मूल ढांचे के खिलाफ', 'संघवाद' या 'लोकतंत्र विरोधी' होने के दावे निराधार हैं। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने समर्थन करते हुए कहा था कि एक देश-एक चुनाव से कम खर्चा, प्रशासनिक सरलीकरण, मतदाताओं की बेहतर भागीदारी हो सकेगी वहीं धन एवं बाहुबल का प्रभाव कम किया जा सकता है। जस्टिस गोगोई ने इसके लिए संविधान संशोधन और सर्वसम्मति बनाने की जरूरत भी बताई थी।
एक अन्य CJI यू यू ललित ने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से आदर्श आचार संहिता के लागू होने के कारण निर्णय लेने और विकास में बाधा आती है। एक देश-एक चुनाव से प्रक्रिया में सुधार, लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कायम रखने और सार्वजनिक व्यय को कम करने में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस हेमंत गुप्ता ने एक देश-एक चुनाव की अवधारणा का समर्थन करते हुए इसे सफल बनाने के लिए जन समर्थन और जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता बताई थी।
कोविंद कमेटी के समक्ष दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व सीजे एपी शाह, कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व सीजे गिरीश चंद्र गुप्ता और मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व सीजे संजीव बनर्जी ने आपत्ति और चिंता जताई थी। जस्टिस शाह की राय थी कि इस तरह के चुनावों से लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति पर अंकुश लग सकता है। इससे राजनीतिक जवाबदेही कम हो सकती है क्योंकि अनुचित स्थिरता के कारण लोकतांत्रिक सिद्धांतों को चुनौती मिलती है।
जस्टिस गिरीश चंद्र गुप्ता ने इसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रतिकूल बताया था वहीं जस्टिस बनर्जी ने कहा था कि एक देश-एक चुनाव का कदम भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और क्षेत्रीय मुद्दों के लिए हानिकारक होगा। इसके बजाय चुनावों को सरकार द्वारा वित्तपोषित करना भ्रष्टाचार और अकुशलता को दूर करने के लिए अधिक प्रभावी सुधार हो सकता है।
कोविड कमेटी के साथ परामर्श में नौ हाईकोर्ट के पूर्व सीजे ने एक देश-एक चुनाव का समर्थन किया था। इनमें दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व सीजे जी.रोहिणी, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व सीजे दिलीप बाबासाहेब भोसले, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व सीजे राजेंद्र मेनन, राजस्थान और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व सीजे प्रदीप नंदराजोग, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व सीजे डीएन पटेल, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व सीजे संजय यादव, कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व सीजे प्रकाश श्रीवास्तव, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व सीजे एमएन भंडारी और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व सीजे आरडी धानुका शामिल हैं।
Updated on:
20 Sept 2024 12:23 pm
Published on:
19 Sept 2024 11:30 pm