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CJI गवई ने जस्टिस सूर्यकांत को अगला CJI बनाने की सिफारिश की, जानें किन प्रमुख मामलों की सुनवाई में रहे हैं शामिल

Next CJI: भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत हो सकते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने अगले CJI के रूप में केंद्र सरकार को उनके नाम की सिफारिश की है। जानिए किन प्रमुख मामलों की सुनवाई कर चुके हैं जस्टिस सूर्यकांत...

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Justice Surya Kant

जस्टिस सूर्यकांत (फोटो- सोशल मीडिया)

Next CJI: भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI Bhushan Ramakrishna Gawai) का रिटायरमेंट नजदीक है। इस कारण अगले सीजेआई के चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। CJI गवई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) का नाम आगे बढ़ाया है। गवई अगले महीने 23 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे।

CJI गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस कांत के बारे में सिफारिश करते हुए लिखा कि वह और कांत एक ही सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं। जस्टिस कांत में लगन और संघर्ष की झलक मिलती है। जस्टिस कांत अभी वरिष्ठता में CJI गवई के बाद दूसरे नंबर पर आते हैं। वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस कांत भारत के 53वें सीजेआई बन जाएंगे। सरकार जल्द ही इसके संबंध में अधिसूचना जारी कर सकती है। जस्टिस कांत करीब 14 महीने तक इस पद पर रहेंगे और 9 फरवरी 2027 में रिटायर होंगे।

हरियाणा के रहने वाले हैं जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 मई 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1981 में हरियाणा के हिसार स्थित सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय से अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अगले वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में कामकाज शुरू किया। साल 2000 में वह हरियाणा के महाधिवक्ता बने और साल 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। वह उसी साल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसके बाद वह साल 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।

ऐतिहासिक मामलों की कर चुके हैं सुनवाई

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अनुच्छेद-370, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता जैसे महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करने वाली पीठों में हिस्सा लिया है और कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। वे उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून को निलंबित किया और सरकार द्वारा इस कानून की समीक्षा पूर्ण होने तक इसके तहत नई प्राथमिकी दर्ज न करने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया।


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