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शराबबंदी कानून से मुक्त होगी ताड़ी, महागठबंधन ने घोषणापत्र में किया ऐलान, जानें क्यों महत्वपूर्ण मुद्दा

बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन ने मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी किया है। तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनी तो शराबबंदी कानून की समीक्षा होगी और ताड़ी-महुआ कारोबार मुक्त होगा।

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Mahagathban manifesto 2025

तेजस्वी यादव (Photo-ANI)

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने अपना घोषणापत्र जारी कर ताड़ी को 2016 के शराबबंदी कानून से मुक्त करने का ऐलान किया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पासी समुदाय की सभा में कहा कि यह पारंपरिक व्यवसाय को बचाने का कदम है।

पारंपरिक आजीविका का मुद्दा

तेजस्वी ने याद दिलाया कि महागठबंधन सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहते उन्होंने नीतीश कुमार को ताड़ी को शराब की श्रेणी से बाहर रखने के लिए मनाने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा, पासी समुदाय पीढ़ियों से ताड़ और खजूर के पेड़ों से ताड़ी निकालता रहा है, लेकिन सीएम नीतीश ने नहीं माना। अब यह वादा घोषणापत्र का हिस्सा बन गया है। बिहार जाति सर्वेक्षण के अनुसार, पासी जाति की आबादी करीब 13 लाख (कुल आबादी का 1% से कम) है, जो महादलित उप-श्रेणी में आती है। राजद इसे दलित वोटों को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। लालू प्रसाद ने भी मुख्यमंत्री रहते ताड़ी पर टैक्स माफ किया था।

शराबबंदी की पृष्ठभूमि और विवाद

अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार की जेडीयू-राजद-कांग्रेस सरकार ने शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया, जिसमें किण्वित ताड़ी (नीरा से बनी) भी शामिल हुई। तब राजद और भाजपा ने समर्थन किया, लेकिन पासी समुदाय की आजीविका पर असर की चेतावनी दी। नीतीश इसे महिलाओं के कल्याण से जोड़ते हैं, कहते हैं कि शराब की लत से पतियों के कारण महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। वे जब्ती के आंकड़े गिनाते हैं कि प्रतिबंध कारगर है।

हालांकि, अवैध शराब से मौतें जारी हैं और कालाबाजारी फल-फूल रही है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने पूर्ण शराबबंदी हटाने का वादा किया, तर्क दिया कि यह अप्रभावी है और हटाने से 28,000 करोड़ रुपये सालाना राजस्व मिलेगा। पीके ने कहा कि दुकानें बंद, होम डिलीवरी करनी होगी।

एनडीए में मतभेद, आरजेडी का हमला

एनडीए में भी राय बंटी है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने समीक्षा की मांग की, कहा कि गरीब निशाने पर हैं, अमीर बच निकलते हैं। तीन बार समीक्षा हुई, लेकिन प्रतिबंध बरकरार रहा। राजद ने इसे शासन की विफलता बताया, राजस्व हानि, भ्रष्टाचार और तस्करी का हवाला दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में ताड़ी अभी भी लोकप्रिय है। यह वादा चुनावी समीकरण बदल सकता है, जहां जाति और आजीविका प्रमुख मुद्दे हैं।