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बिहार चुनाव 2025:क्या तीसरा मोर्चा बन रहा है ? AIMIM-RLJP का नया गठबंधन, जो बदल देगा सियासी समीकरण

Bihar Third Front: बिहार चुनाव 2025 से पहले AIMIM, RLJP, ASP और JJD तीसरा मोर्चा बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, जो वंचित वर्गों को एकजुट करेगा।

3 min read

भारत

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MI Zahir

Oct 14, 2025

Bihar Third Front: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एनडीए और इंडिया गठबंधन अपनी पुरानी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं, लेकिन अब एक नया तीसरा मोर्चा (Bihar Third Front) उभरने की खबरें जोर पकड़ रही हैं। ऑल इंडिया मजलिसे-इत्तेहादुल मुसलेमीन (AIMIM Alliance), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP Bihar), आजाद समाज पार्टी (ASP) और तेजप्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल (Tej Pratap JJD) के बीच गठबंधन की चर्चा तेज है। यह गठबंधन वंचित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों को एकजुट करने का प्रयास कर सकता है।

AIMIM और RLJP के बीच हुई महत्वपूर्ण बातचीत

जानकारी के अनुसार, AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान और RLJP के नेता पशुपति कुमार पारस के बीच हाल ही में फोन पर गहन चर्चा हुई है। इस बातचीत का मुख्य मुद्दा बिहार चुनावों में साझा रणनीति और गठबंधन की रूपरेखा है। दोनों पक्षों ने संभावित सीट बंटवारे और चुनावी मोर्चे पर विचार-विमर्श किया। AIMIM ने महागठबंधन से निराशा जताई है और अब तीसरे विकल्प की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह कदम बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव ला सकता है।

ASP और JJD को जोड़ने की चल रही कोशिशें

उधर इस संभावित गठबंधन में ASP के चंद्रशेखर आजाद रावण और तेजप्रताप यादव की JJD को शामिल करने की कवायद जोरों पर है। तेजप्रताप से शुरुआती बातचीत हो चुकी है और संकेत अच्छे मिल रहे हैं। अगर यह गठबंधन फाइनल होता है, तो यह दलित, यादव और मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने का काम करेगा। ASP दलितों के मुद्दों पर फोकस करती है, जबकि JJD युवा और पिछड़े वर्गों को लक्ष्य बनाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे सीमांचल और अन्य क्षेत्रों में वोटों का नया ध्रुवीकरण होगा।

तीसरा मोर्चा: बिहार राजनीति पर क्या असर ?

बिहार में मुस्लिम मतदाता 17% हैं, जिनका बड़ा हिस्सा राजद को जाता रहा है। AIMIM का सक्रिय होना वोट बंटवारे का कारण बन सकता है, जो एनडीए को फायदा पहुंचा सकता है। 2020 में AIMIM ने सीमांचल की 5 सीटें जीती थीं और अब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना है। RLJP पूर्वी चंपारण जैसे इलाकों में मजबूत है। अगर गठबंधन बनता है, तो यह एनडीए और इंडिया के बीच त्रिकोणीय मुकाबला पैदा कर देगा। हालांकि, आधिकारिक घोषणा बाकी है, लेकिन नेताओं के बीच बढ़ते संपर्क से सियासी माहौल गर्म हो गया है।

सीमांचल की 24 विधानसभा सीटें: बिहार चुनाव 2025 में क्यों हैं खास?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सीमांचल क्षेत्र की 24 सीटें चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। यह क्षेत्र, जिसमें अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जिले शामिल हैं, अपनी 47% मुस्लिम आबादी के कारण राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP), आजाद समाज पार्टी (ASP) और तेजप्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल (JJD) के संभावित तीसरे मोर्चे ने इन सीटों को और अहम बना दिया है। आइए, इन सीटों और उनके सियासी महत्व को आसान भाषा में समझें। सीमांचल की 24 विधानसभा सीटें चार जिलों में बंटी हैं। ये हैं:

  • किशनगंज (7 सीटें): किशनगंज, कोचाधामन, अमौर, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, टॉपचांची, दौलताबाद।
  • अररिया (6 सीटें): रानीगंज, सिकटी, जोकीहाट, अररिया, फारबिसगंज, नरपतगंज।
  • कटिहार (6 सीटें): कदवा, प्राणपुर, कटिहार, बलरामपुर, कोसीगंज बास्कोर, मणिहारी।
  • पूर्णिया (5 सीटें): बनमंखी, धमदाहा, बायसी, कसबायां, पूर्णिया।

इन सीटों पर मुस्लिम, दलित और पिछड़े वर्गों का वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाता है। ध्यान रहे कि 2020 में AIMIM ने सीमांचल में 5 सीटें जीती थीं, जिससे इस क्षेत्र का महत्व और बढ़ गया।

चुनावी रणनीति और संभावित चुनौतियां

AIMIM ने 'सीमांचल न्याय यात्रा' शुरू की है, जो पार्टी की सक्रियता दिखाती है। तेजप्रताप की JJD ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। लेकिन गठबंधन की राह में सीट शेयरिंग और विचारधारा के मतभेद चुनौतियां हो सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह मोर्चा अल्पसंख्यकों और पिछड़ों के लिए नया विकल्प बनेगा, लेकिन वोट ट्रांसफर में दिक्कत आ सकती है। बिहार चुनाव 6 और 11 नवंबर को होंगे, नतीजे 14 नवंबर को। यह गठबंधन परिणामों को अप्रत्याशित बना सकता है।

बिहार की सियासत में उथल-पुथल

यह खबर बिहार की सियासत में उथल-पुथल मचा रही है। सोशल मीडिया पर लोग इसे "वोट कटवा गठबंधन" बता रहे हैं, तो कुछ इसे "वंचितों की नई आवाज" कह कर सराह रहे हैं। एनडीए समर्थक खुश हैं कि इससे इंडिया गठबंधन कमजोर होगा, जबकि विपक्षी नेता इसे "BJP की साजिश" बता रहे हैं। कुल मिलाकर, बहस तेज हो गई है। अगले कुछ दिनों में AIMIM और RLJP की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस हो सकती है। तेजप्रताप यादव 15 अक्टूबर को पटना में रैली करेंगे, जहां गठबंधन पर संकेत मिल सकते हैं। हम लगातार अपडेट देंगे।

सीमांचल की 24 सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक

बहरहाल इस गठबंधन से सीमांचल की 24 सीटों पर असर पड़ेगा, जहां मुस्लिम वोट निर्णायक हैं। ASP का दलित आधार पूर्वी बिहार में मजबूत होगा, लेकिन JJD को युवा वोटरों से चुनौती मिलेगी। कुल 243 सीटों में यह मोर्चा 50-60 सीटों पर फोकस कर सकता है।