
बिहार में 18 से 19 साल की उम्र के 14.01 लाख नए मतदाता। (फोटो- AI)
बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। प्रदेश में 243 सीटों पर इस बार दो चरणों में चुनाव होंगे। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के मुताबिक, पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा। जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 9 नवंबर को होनी है। नतीजे 14 नवंबर को आएंगे।
इस बीच, चुनाव आयोग ने यह भी जानकारी दी है कि बिहार में इस बार 18 से 19 साल की उम्र के 14.01 लाख नए मतदाता वोटिंग करेंगे। इस साल बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में से हर एक में लगभग 5,765 नए मतदाताओं को शामिल किया गया है।
अगर 2020 के चुनाव की बात करें तो उस वक्त नए वोटरों की कुल संख्या 11.17 लाख थी। जिसमें प्रत्येक सीट पर लगभग 4,597 नए वोटर्स उभरकर सामने आए थे। हालांकि, 2015 की तुलना में दोनों आंकड़ें काफी कम हैं।
चुनाव आयोग की आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2015 में 24 लाख से अधिक नए वोटरों को जोड़ा गया था। बिहार की हर सीट पर लगभग 9,930 नए मतदाता थे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के परिणामों में एनडीए ने 125 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया, जबकि महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं। भाजपा ने 74 सीटें, जदयू ने 43 सीटें, राजद ने 75 सीटें, कांग्रेस ने 19 सीटें और वाम दलों ने 16 सीटें जीतीं। अन्य दलों में एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीतीं
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि 2020 के चुनाव में, 56 सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर काफी कम था। वहीं 46 सीटें ऐसी भी थीं, जहां उस साल पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं की औसत संख्या जीत के अंतर से ज्यादा थी। बता दें कि उस समय राज्य भर में जीत का औसत अंतर 16,825 वोट था।
साल 2020 में, 49 सीटों में से जेडी(यू) और आरजेडी ने 13-13 सीटें जीतीं, उसके बाद कांग्रेस ने नौ, बीजेपी ने आठ और अन्य दलों ने छह सीटें जीतीं। वहीं, 2015 के चुनाव में
2015 में, राज्य भर में जीत का औसत अंतर 18,108 वोट था। यह उस वर्ष प्रत्येक सीट पर पहली बार मतदान करने वाले वोटर्स के औसत से लगभग दोगुना था।
इसमें 73 सीटें ऐसी थीं, जिसपर नए वोटर्स की बदौलत भाजपा ने 30, जदयू ने 16, राजद ने 13, कांग्रेस ने नौ और अन्य दलों ने शेष पांच सीटें जीतीं।
बता दें कि उस वक्त, तरारी सीट पर भाकपा(माले) के उम्मीदवार ने लोजपा के कैंडिडेट को मात्र 272 वोटों से हराया था। जबकि उस समय इस क्षेत्र में लगभग 9,900 से अधिक नए वोटरों के नाम जोड़े गए थे।
नए वोटर्स ने पिछली बार बिहार चुनाव में जान डाल दी थी। युवाओं ने रोजगार, शिक्षा और पलायन जैसे मुद्दों पर जोर दिया। उस समय राजद और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी का नारा बुलंद कर युवाओं को लामबंद किया, जबकि एनडीए ने सुशासन का दावा किया।
यही वजह रही कि उस समय महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर रही। मात्र 15 सीटों की बढ़त से नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए ने बिहार में सरकार बना ली थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार नए वोटर्स को कौन से मुद्दे ज्यादा पसंद आते हैं।
Published on:
07 Oct 2025 11:46 am
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