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AI Application अब बताएगा Biological Age, 12वीं की छात्रा बनी राइज ग्लोबल विनर

AI Application Biological Age: छत्तीसगढ़ की छात्रा ने एक ऐसा AI बेस्ड एप तैयार किया है। जिससे किसी भी शख्स की उम्र चंद सेकेंड में मापी जा सकती है।

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ताबीर हुसैन: AI Application: आमतौर पर हम किसी की क्रोनोलॉजिकल उम्र ही जानते हैं, लेकिन एक होती है बॉयोलॉजिकल एज। यह किसी इंसान की भीतरी उम्र होती है। जिससे पता चलता है कि वह कितना सेहतमंद है। शैलेंद्र नगर निवासी 12वीं की छात्रा वंशिका डिगानिया ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग बेस्ड आरोग्यनेक्स मॉडल बनाया है जिससे व्यक्ति की बॉयोलॉजिकल एज पता की जा सकेगी।

उनके इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और राइज ग्लोबर विनर घोषित किया गया। उन्हें पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिलेगी। वंशिका ने बताया कि इस एआई एप्लीकेशन बेस्ड मॉडल बनाने के लिए मुझे बहुत सारे रिसर्च पेपर पढऩे पड़े। साइंटिफिक आइडियाज को पढ़ा। निजी स्कूल की इस छात्रा के मार्गदर्शक सुशील पांडेय हैं। वंशिका के पिता स्व. विक्रम डिगानिया और मां श्रेया डिगानिया हैं।

क्या फायदा होगा?

इस मॉडल से हमें लोगों की वह उम्र जान पाएंगे जिनके बारे में किसी को जागरूकता नहीं रहती। अगर समय रहते किसी को पता चल जाए कि शरीर की उम्र क्या है तो इलाज में लाभ होगा। कैंसर या इसी तरह की अन्य बीमारियों में डॉक्टर दवा की डोज शरीर की उम्र के हिसाब से देते हैं। हो सकता है किसी बीमारी की वजह से व्यक्ति की उम्र 40 वाले के बराबर हो लेकिन जन्म के हिसाब से वह 30 साल का हो। इस मॉडल से जन्मतिथि की बजाय शरीर की वास्तविक उम्र पता की जा सकेगी।

14000 छात्रों ने किया था आवेदन

इस छात्रवृत्ति स्पर्धा के लिए दुनियाभर से 14000 छात्रों ने आवेदन किया था। जिसमें से 300 का चयन फाइनललिस्ट के तौर पर हुआ था। इसमें से 100 विजेता घोषित किए गए। भारत से 4 छात्र शामिल हैं, जिनमें से एक रायपुर की वंशिका है। राइज नाम की अंतरराष्ट्रीय संस्था का उद्देेश्य युवाओं की वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना है।

स्कॉलरशिप के फायदे

वंशिका को इस स्कॉलरशिप से कई फायदे मिलेंगे। इसमें दुनियाभर में किसी भी कॉलेज में 4 साल तक की पढ़ाई मुफ्त रहेगी। इसके अलावा अक्टूबर में लंदन में प्रस्तावित रेसिडेंसियल समिट में नि:शुल्क प्रवेश शामिल है। उन्हें एक ऐसी कम्युनिटी भी मिलेगी जहां वे बड़े और नामी लीडर्स के साथ कोलेबे्रशन कर पाएंगी और अपनी वैज्ञानिक सोच पर काम करने के लिए फंडिंग हासिल कर पाएंगी।