प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। फोटो- (IANS)
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई के बाद अब गुजरात के एक अदालत में जज पर जूते से हमला हुआ है। मंगलवार को अहमदाबाद में कोर्ट के एक कक्ष में क्रोधित शख्स ने अपनी अपील खारिज होने के बाद न्यायाधीश पर जूता फेंक दिया। जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई।
हालांकि, न्यायाधीश ने संयम बरता और इस घटना को लेकर कर्मचारियों को शख्स के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया। इस हमले की गुजरात न्यायिक सेवा संघ ने कड़ी निंदा की है। इसे न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है और तत्काल सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अपीलकर्ता अपने हित में फैसला न आने से नाराज हो गया था, जिसके बाद उसने कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश पर अचानक जूता फेंक दिया। इस घटना ने कोर्ट में उपस्थित सभी लोगों को स्तब्ध कर दिया।
हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि जूता जज तक पहुंचा या नहीं। इस मामले में पुलिस ने बताया कि अपील खारिज होने के कुछ ही क्षण बाद उस व्यक्ति का गुस्सा फूट पड़ा।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि जज पर जूता फेंकने के बाद कोर्ट के कर्मचारियों ने उसे पकड़ लिया, लेकिन न्यायाधीश ने उसे जाने दिया और निर्देश दिया कि कोई कार्रवाई न की जाए।
अब अहमदाबाद के गुजरात न्यायिक सेवा संघ ने कड़े शब्दों में एक पत्र लिखकर इस कृत्य की निंदा की है। साथ ही इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता, गरिमा, सुरक्षा और कार्यप्रणाली पर सीधा हमला बताया है।
संघ ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के कृत्य संवैधानिक शासन की मूल भावना को खतरे में डालते हैं और न्यायिक व्यवस्था में जनता के विश्वास को कम करते हैं।
पत्र में कहा गया है कि कानून का शासन और जनता का विश्वास यह मांग करता है कि अदालतें भय, धमकी या हिंसा से मुक्त होकर काम करें। न्यायिक अधिकारियों या अदालत परिसर पर कोई भी हमला लोकतंत्र और न्याय की बुनियाद को कमजोर करता है।
संघ ने राज्य सरकार, गृह विभाग, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों से न्यायाधीशों और अदालती कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि हाल ही में वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंका क्योंकि वह उनकी भगवान विष्णु पर की गई टिप्पणी से नाराज थे।
किशोर ने दावा किया कि सीजेआई गवई ने सनातन धर्म का अपमान किया था, जिससे वह आहत हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है और वह जेल जाने को भी तैयार हैं।
इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर को निलंबित कर दिया और उन्हें किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक दिया गया है। साथ ही, बेंगलुरु पुलिस ने भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
Updated on:
15 Oct 2025 11:09 am
Published on:
15 Oct 2025 11:08 am
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