अफगान विदेश मंत्री मुत्तकी दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के अवसर पर। (फोटो: IANS)
Afghan FM Muttaqi India Visit: नई दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी (
Aamir Khan Muttaqi) ने रविवार को दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें महिला पत्रकारों को पहली बार अनुमति दी गई। शांतिपथ स्थित अफगान दूतावास (Afghan Embassy) में हुई इस वार्ता में मुत्तकी ने दूतावास पर पूर्ण नियंत्रण होने का दावा किया। उन्होंने कहा, "यह हमारा झंडा है। हमने इसके नीचे जिहाद लड़ा है। यहां काम करने वाले सभी हमारे साथ हैं।" पीछे और मेज पर तालिबान का झंडा ( Taliban flag) लहरा रहा था, जबकि आधिकारिक रूप से अशरफ गनी युग का झंडा ही फहराया जाता है। भारत ने अभी तालिबान को मान्यता नहीं दी है।
शुक्रवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई महिला पत्रकार नहीं बुलाई गई थी, जिसकी भारतीय और विदेशी मीडिया ने आलोचना की। रविवार को 50 से ज्यादा पत्रकार आए, जिनमें कई महिलाएं और विदेशी संवाददाता शामिल थे। यह बदलाव लैंगिक भेदभाव की शिकायतों पर सुधार का संकेत है। मुत्तकी का एक हफ्ते का दौरा 9 अक्टूबर को रूस से होते हुए शुरू हुआ, जहां यूएन प्रतिबंध में छूट मिली।
मुत्तकी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से "फलदायी" चर्चा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि व्यापार, स्वास्थ्य, हवाई संपर्क और विकास परियोजनाओं पर बात हुई। भारत ने व्यापार वीजा, छात्र विनिमय और रुकी परियोजनाओं को फिर शुरू करने का भरोसा दिया। जयशंकर ने काबुल में दूतावास अपग्रेड का ऐलान किया। मुत्तकी ने नई फ्लाइट रूट्स का खुलासा किया: दिल्ली-काबुल, मुंबई-कंधार, अमृतसर-अफगानिस्तान।
भारत-अफगान के बीच संयुक्त व्यापार समिति बनेगी। खनन सहयोग, कृषि परियोजनाएं और खेल कूटनीति पर विचार हुआ। मुत्तकी ने अटारी-वाघा सीमा अफगान सामान के लिए खोलने की मांग की। चाबहार पोर्ट पर यूएस वेफर (28 अक्टूबर तक) से व्यापार बढ़ेगा। मुत्तकी ने अफगान कैदियों की भारत से वापसी की बात भी उठाई।
महिलाओं के अधिकारों पर सवालों पर मुत्तकी ने कहा, "इस्लाम में सभी के हक सुरक्षित हैं। शिक्षा हराम नहीं।" उन्होंने दावा किया कि 1 करोड़ से ज्यादा छात्र, लड़कियां सहित, स्कूल जा रहे हैं। प्रतिबंध सिर्फ "खास हिस्सों" में हैं। लेकिन आलोचक इसे अपर्याप्त मानते हैं।
मुत्तकी का प्रतिनिधिमंडल देबंद गया, जहां दारुल उलूम के छात्रों से मिले। उन्होंने कहा, "हमारे उलेमा का भारत से ऐतिहासिक रिश्ता है। शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाएंगे।" ताजमहल विजिट भी हुआ। पाकिस्तान पर मुत्तकी सख्त थे: "हम शांति चाहते हैं, लेकिन अगर गलत व्यवहार हुआ तो सुरक्षा संभालना जानते हैं।" टीटीपी की मौजूदगी को नकारा।
बहरहाल अनाम अफगान स्टाफ ने झंडे फहराने पर चिंता जताई, क्योंकि भारत ने काबुल शासन को मान्यता नहीं दी। यह दौरा भारत-अफगान रिश्तों में नया अध्याय खोल सकता है, लेकिन सुरक्षा और मान्यता मुद्दे बाकी हैं।
Updated on:
12 Oct 2025 06:28 pm
Published on:
12 Oct 2025 06:27 pm
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