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ED-CBI अफसर बनकर बुजुर्ग को किया ‘डिजिटल अरेस्ट’, ट्रांसफर करवाए 58 करोड़ रुपये

Mumbai Digital Arrest Crime: जालसाजों ने मुंबई के 72 वर्षीय व्यापारी से 58 करोड़ रुपये की ठगी की। मुंबई पुलिस मामले की जांच कर रही है।

2 min read

मुंबई

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Dinesh Dubey

Oct 16, 2025

Mumbai digital arrest scam

Mumbai Digital Arrest Case (Patrika Photo)

मुंबई में एक 72 वर्षीय व्यापारी और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट के झांसे में फंसाकर 58 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी करने का मामला सामने आया है। यह चौंकाने वाला मामला 19 अगस्त को शुरू हुआ, जब पीड़ित व्यापारी को एक अनजान फोन कॉल आया। फोन करने वालों ने खुद को सुव्रतयम और करण शर्मा बताया। इसके बाद उन्होंने कई मोबाइल नंबरों से कॉल और वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ित से संपर्क किया गया। व्हाट्सएप पर भेजे गए फर्जी दस्तावेजों में यह दावा किया गया कि व्यापारी का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में सामने आया है।

इसके बाद व्यापारी और उनकी पत्नी को 'डिजिटल अरेस्ट' की धमकी दी गई। खुद को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (CBI) अधिकारी बताने वाले इन जालसाजों ने व्यापारी को यह यकीन दिला दिया कि जांच से बचने के लिए पैसे ट्रांसफर करना जरूरी है।

क़ानूनी कार्रवाई और बदनामी के डर में व्यापारी ने इन फर्जी अधिकारियों पर भरोसा कर लिया और 19 अगस्त से 8 अक्टूबर 2025 के बीच उनके बताये विभिन्न बैंक खातों में कुल 58.1 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब तक उन्हें यह समझ में आया कि वे ठगी का शिकार हुए हैं, तब तक सारा पैसा ठगों के हाथ लग चुका था।

तीन आरोपी गिरफ्तार

पीड़ित व्यापारी ने मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई, जिसके बाद महाराष्ट्र के नोडल साइबर पुलिस टीम ने कार्रवाई शुरू की और अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान मुंबई के मलाड निवासी अब्दुल नसीर खुल्ली (47 वर्ष), अर्जुन कडवासरा (55 वर्ष) और उसका भाई जेठाराम कडवासरा (35 वर्ष) के तौर पर हुई है।

पुलिस जांच में सामने आया कि इन तीनों के बैंक खातों में 25-25 लाख रुपये जमा हुए थे। ठगी के पैसे 18 अलग-अलग बैंक खातों में भेजे गए है। अब तक की छानबीन में पता चला कि एक मुख्य खाता एयरकूल एंटरप्राइजेज नाम से एक निजी बैंक में था, जो आफरीन के नाम पर रजिस्टर्ड था। आफरीन आरोपी अब्दुल की पत्नी है।

पुलिस के मुताबिक, यह अब तक का डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड का सबसे बड़ा मामला है, जिसमें किसी व्यक्ति से इतनी बड़ी रकम ठगी गई है। ठगों ने बड़ी ही चालाकी से पीड़ित को बार-बार अलग-अलग खातों में पैसे भेजने को मजबूर किया ताकि ट्रेसिंग न हो सके।