
पदयात्रा पर निकले प्रेमानंद महाराज फोटो सोर्स भजन मार्ग
मथुरा के वृंदावन में रविवार रात भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। करीब एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए पहुंचे। हालात ऐसे थे कि दो किलोमीटर लंबी सड़क पर कदम रखने तक की जगह नहीं थी।
रात ढाई बजे जैसे ही प्रेमानंद महाराज श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से पदयात्रा के लिए निकले, चारों ओर “राधे-राधे” के जयकारे गूंज उठे। भीड़ इतनी घनी थी कि भक्तों को आगे बढ़ने में मुश्किल हो रही थी। संत के दर्शन के लिए लोग दीवारों और छतों पर चढ़कर झलक पाने की कोशिश करते दिखे। महाराज पर फूलों की वर्षा की गई। और उनके गुजरने के बाद श्रद्धालु उन फूलों को चरण-रज मानकर अपने साथ ले गए।
पदयात्रा मार्ग पर चाय बेचने वाले अमित ने बताया, “इतनी बड़ी भीड़ मैंने पहले कभी नहीं देखी। सड़क पूरी तरह लोगों से भर गई थी। वहीं किराना दुकानदार सचिन अग्रवाल ने कहा, “शनिवार शाम से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। रात 10 बजे तक दुकान के बाहर खड़े होने की भी जगह नहीं बची थी। लोग पूरी रात सड़क किनारे बैठकर महाराज के दर्शन का इंतजार करते रहे।
पठानकोट से आए भक्त आशीष गुप्ता ने बताया, “काफी समय से उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता थी, पर जब उन्हें स्वस्थ अवस्था में देखा तो मन शांत हो गया। मैंने आज जैसी भीड़ कभी नहीं देखी—न महाराज के जन्मदिन पर, न किसी पर्व पर।”
सीओ सदर संदीप सिंह ने बताया कि पिछले 10 दिनों से प्रेमानंद महाराज सिर्फ 150–200 मीटर तक ही चलते थे। शनिवार को उन्होंने लगभग दो किलोमीटर की पूर्ण पदयात्रा की।
संत प्रेमानंद महाराज पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज से जूझ रहे हैं। वर्ष 2006 में पेट दर्द के दौरान जांच में यह बीमारी सामने आई। डॉक्टरों ने बताया था कि दोनों किडनियां क्षतिग्रस्त हैं और जीवन सीमित है। इसके बाद वे काशी से वृंदावन आ गए और यहां “राधा नाम जप” को ही जीवन का उद्देश्य बना लिया। महाराज ने अपनी किडनियों को “राधा” और “कृष्ण” नाम दिया है। आज उनकी सेवा में देश-विदेश के कई डॉक्टर जुड़ चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के एक हृदय रोग विशेषज्ञ और उनकी प्रोफेसर पत्नी ने अपनी नौकरी छोड़ दी और वृंदावन में बस गए। दोनों रोजाना आश्रम जाकर महाराज की सेवा और उपचार करते हैं।
Updated on:
26 Oct 2025 03:45 pm
Published on:
26 Oct 2025 03:44 pm
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