Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एमपी में बिना नींव खड़ा है 1252 साल पुराना कुबेर मंदिर, 90 डिग्री तक है झुका

Dhanteras 2025: धन के देवता भगवान कुबेर की विशेष पूजा आज धनतेरस पर की जाएगी। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मंदसौर में भगवान कुबेर का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह 1252 वर्ष पुराना बताया जाता है।

2 min read
Dhanteras 2025 Kubera temple in Mandsaur

Dhanteras 2025 Kubera temple in Mandsaur (फोटो सोर्स : सोशल मीडिया)

Dhanteras 2025: धन के देवता भगवान कुबेर की विशेष पूजा आज धनतेरस पर की जाएगी। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मंदसौर में भगवान कुबेर(Kuber Temple) का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह 1252 वर्ष पुराना बताया जाता है। देशभर में कुबेर के मंदिरों में यह दूसरा प्रमुख मंदिर है, पहला केदारनाथ में स्थित है, जहां भगवान कुबेर शिव परिवार के साथ गर्भगृह में विराजमान हैं। धनतेरस पर यहां दिनभर भक्त भगवान कुबेर के दर्शन कर समृद्धि की कामना करेंगे।

90 डिग्री झुका मंदिर, नहीं लगता ताला

मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि खिलजी शासनकाल के समय खिलचीपुरा क्षेत्र बसाया गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भगृह के दरवाजे पर आज तक कभी ताला नहीं लगाया गया। धनतेरस पर यहां विशेष सजावट और व्यवस्थाएं की जाती हैं। यह मंदिर लगभग 90 डिग्री तक झुका हुआ है और इसकी नींव नहीं है। इसी कारण इसका पुनर्निर्माण नहीं किया जा सका है। धनतेरस की सुबह 4 बजे तंत्र पूजा के बाद भक्तों के लिए मंदिर के द्वार खुलते हैं।

मंदिर और प्रतिमा का इतिहास

इतिहासकार कैलाश पांडे के अनुसार धौलागढ़ महादेव मंदिर का निर्माण लगभग 1252 वर्ष पूर्व मराठाकाल में हुआ था। मंदिर के गर्भगृह में उत्तर गुप्तकालीन (सातवीं शताब्दी) प्रतिमा स्थापित है। वर्ष 1978 में इस प्रतिमा की पहचान भगवान कुबेर के रूप में की गई थी। प्रतिमा में भगवान को बड़े पेट वाले, चतुर्भुज रूप में दर्शाया गया है। एक हाथ में धन की थैली, दूसरे में प्याला तथा अन्य दो हाथों में शस्त्र हैं।

देश में दूसरी ऐसी प्रतिमा

भगवान कुबेर की इस प्रकार की चतुर्भुज प्रतिमा देश में केवल गुजरात और मंदसौर में ही देखने को मिलती है। यहां की तीन फीट ऊंची प्रतिमा तंत्र साधना और धन प्राप्ति के लिए शुभ मानी जाती है। वर्षभर यहां भक्तों का आगमन बना रहता है, परंतु धनतेरस के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ विशेष रूप से उमड़ती है।

भगवान शिव और गणेश

मंदिर के गर्भगृह में भगवान कुबेर के साथ धौलागिरी महादेव और भगवान गणेश की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। गर्भगृह का प्रवेशद्वार मात्र तीन फीट ऊंचा है, जहां भक्तों को झुककर या बैठकर प्रवेश करना पड़ता है। गर्भगृह से बाहर निकलते समय भक्त पीठ दिखाए बिना ही बाहर आते हैं।