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69000 Teacher Protest: जब तक न्याय की लौ नहीं जलेगी, हमारे घरों में दीप नहीं जलेंगे- 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों की करुण पुकार

UP 69000 Teacher Aspirants to Boycott Diwali: उत्तर प्रदेश की 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थियों ने सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में लचर पैरवी का आरोप लगाया है। अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि 28 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में याची लाभ नहीं दिया गया, तो वे आंदोलन करेंगे। न्याय की प्रतीक्षा में अभ्यर्थियों ने दिवाली न मनाने का निर्णय लिया है।

3 min read

लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 17, 2025

69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का सरकार पर लचर पैरवी का आरोप (फोटो सोर्स : Whatsapp Group File photo)

69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का सरकार पर लचर पैरवी का आरोप (फोटो सोर्स : Whatsapp Group File photo)

69000 Teacher Protest Court Case :उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित 69000 शिक्षक भर्ती एक बार फिर सुर्खियों में है। भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण गड़बड़ी से प्रभावित अभ्यर्थियों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर मामले को सुप्रीम कोर्ट में लटका रही है। अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि आगामी 28 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में याची लाभ का प्रस्ताव नहीं दिया गया, तो वे प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन छेड़ देंगे। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के बैनर तले एकजुट अभ्यर्थियों ने कहा कि उनकी जिंदगी न्याय की प्रतीक्षा में ठहर गई है। पांच साल से दीपावली जैसे त्यौहार भी अंधेरे में गुजर रहे हैं, क्योंकि सरकार की “संवेदनहीनता” ने उनके सपनों को तोड़ दिया है।

पांच साल से अधूरी दिवाली, अब थक चुके हैं अभ्यर्थी

संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप और प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने कहा पिछले पांच सालों से दीपावली का त्योहार हमारे लिए जश्न नहीं, बल्कि पीड़ा का प्रतीक बन गया है। आरक्षण में हुई गड़बड़ी के चलते हम शिक्षक बनने का हक खो बैठे। हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच से जीतने के बावजूद सरकार ने हमें न्याय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि न्याय की उम्मीद में महीनों तक अदालतों के चक्कर लगाने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण की गड़बड़ी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे हजारों अभ्यर्थी अब भी बेरोजगार हैं, जबकि उनके साथी नियुक्त हो चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 14 महीने से अटकी सुनवाई

अभ्यर्थियों के अनुसार, पिछले 14 महीनों में 23 से अधिक बार सुप्रीम कोर्ट में तारीख लग चुकी है, लेकिन सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई। उनका आरोप है कि सरकार की ओर से वकीलों ने प्रभावी पैरवी नहीं की, जिससे मामला लगातार लंबित है।

मोर्चा के प्रवक्ता राजन जायसवाल और जगबीर सिंह चौधरी ने कहा कि सरकार यदि वास्तव में न्याय दिलाना चाहती है तो 28 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में याची लाभ का हलफनामा दाखिल करे। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो प्रदेशभर में आंदोलन होगा और विधानसभा का घेराव किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बार-बार की देरी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है। सरकार को चाहिए कि भर्ती प्रक्रिया की त्रुटियों को स्वीकार करें और आरक्षण प्रभावित उम्मीदवारों को तत्काल लाभ दे।

न्याय की लड़ाई में आर्थिक और मानसिक रूप से टूट रहे हैं अभ्यर्थी

भर्ती में आरक्षण विसंगति से प्रभावित अभ्यर्थी न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक रूप से भी टूट चुके हैं। कई उम्मीदवारों ने कहा कि उनकी उम्र निकल चुकी है, और अब दोबारा प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठना संभव नहीं है। एक अभ्यर्थी राजेश कुमार, जिन्होंने प्रयागराज से लखनऊ तक कई बार प्रदर्शन में हिस्सा लिया, ने कहा कि हमने अपनी जवानी अदालतों के चक्कर लगाने में बिता दी। उम्मीद थी कि योगी सरकार हमें न्याय देगी, लेकिन अब लग रहा है कि सरकार हमारी आवाज़ दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि दीपावली रोशनी का पर्व है, लेकिन उनके घरों में अब भी अंधकार है- क्योंकि नौकरियों का सपना अधूरा है।

सरकार पर हीलाहवाली और सौतेले व्यवहार का आरोप

संयुक्त मोर्चा के नेताओं का कहना है कि सरकार ने बार-बार केवल आश्वासन दिए, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया। भास्कर सिंह ने कहा कि हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि आखिर हम किस अपराध की सजा भुगत रहे हैं? एक तरफ न्यायालय हमारे पक्ष में फैसला दे चुका है, दूसरी ओर सरकार सुनवाई को टालती जा रही है। यह संवेदनहीनता नहीं तो और क्या है?उन्होंने कहा कि सरकार के रवैये से यह साफ झलकता है कि आरक्षण प्रभावित वर्ग के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

जनजागरण अभियान’ की घोषणा

अभ्यर्थियों ने निर्णय लिया है कि यदि 28 अक्टूबर की सुनवाई में सरकार ने याची लाभ का प्रस्ताव दाखिल नहीं किया, तो वे राजधानी लखनऊ में विधानसभा का घेराव करेंगे। साथ ही पूरे प्रदेश में जन जागरण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत अभ्यर्थी गांव-गांव जाकर लोगों को बताएंगे कि सरकार किस तरह आरक्षण पीड़ित उम्मीदवारों की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि हम अब चुप नहीं बैठेंगे। हमारा संघर्ष न सिर्फ हमारी नौकरी के लिए, बल्कि न्याय के लिए है।”

भर्ती विवाद 

उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में आरक्षण नियमों की गड़बड़ी को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि आरक्षण की गणना में गलतियाँ की गईं, जिससे ओबीसी और एससी वर्ग के उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ। हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच ने कई बार सरकार को पुनर्विचार के निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने भर्ती को बरकरार रखा। मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

अभ्यर्थियों की उम्मीद अब सुप्रीम कोर्ट से

अब सभी की निगाहें 28 अक्टूबर की सुनवाई पर टिकी हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर इस बार भी सरकार ने सकारात्मक रुख नहीं अपनाया, तो वे राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि दीपावली का पर्व उनके लिए अब प्रतीक बन गया है कि  जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक हमारे घरों में दीप नहीं जलेंगे।