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बिजली निजीकरण के खिलाफ लखनऊ में सड़कों पर उतरे हजारों कर्मचारी, सरकार को दी चेतावनी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सड़कों पर मंगलवार को बिजली कर्मचारियों का गुस्सा फूट पड़ा। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव को लेकर प्रदेशभर से आए हजारों बिजलीकर्मी सड़कों पर उतर आए।

लखनऊ

Prateek Pandey

Jul 02, 2025

electricians strike
PC: 'X'

बिजली कर्मचारियों ने सरकार को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ी तो अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा।

निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शनरत हैं कर्मचारी

राजधानी में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के तहत एकजुट हुए बिजलीकर्मियों ने निजीकरण को आम जनता के हितों पर हमला करार दिया। प्रदर्शन कर रहे कर्मियों का कहना था कि अगर यह कदम उठाया गया तो न सिर्फ उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति भी प्रभावित होगी। बिजली कर्मियों के इस आंदोलन को क्रांतिकारी किसान यूनियन का भी साथ मिला।

अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सरकार को घेरा

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने पूरे देश के बिजलीकर्मियों से जिले स्तर पर विरोध जताने का आह्वान किया है। वहीं, उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने दावा किया कि राज्य के सभी कर्मचारी इस आंदोलन का हिस्सा हैं। इस बीच, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 131(2) का उल्लंघन किया है। उनके अनुसार, परिसंपत्तियों का उचित मूल्यांकन किए बिना निजीकरण की तैयारी की जा रही है ताकि कंपनियों को सस्ते में बेचा जा सके।

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42 जिलों की आपूर्ति को निजी हाथों में देने का आरोप

परिषद ने स्पष्ट किया है कि इस अनियमितता के खिलाफ नियामक आयोग में शिकायत दर्ज की जाएगी। बिजली कर्मियों का कहना है कि सरकार 42 जिलों की आपूर्ति को निजी हाथों में देने की कोशिश कर रही है, जबकि अधिनियम की संबंधित धाराओं का पहले ही उपयोग हो चुका है और उन्हें दोबारा लागू नहीं किया जा सकता। जैसे-जैसे यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है, प्रदेश में बिजली व्यवस्था पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।