
चलती ट्रेन में वैज्ञानिक की पत्नी के 15 लाख के जेवर चोरी, फर्स्ट एसी में भी असुरक्षित सफर (फोटो सोर्स : AI)
Railway Alert: दीपावली की खुशियां मनाकर घर लौट रहे एक वैज्ञानिक के परिवार के लिए यह यात्रा किसी डरावने अनुभव से कम नहीं रही। महाराष्ट्र के हिंगणाघाट से लखनऊ लौट रही राप्तीसागर एक्सप्रेस (12512) ट्रेन में अज्ञात चोरों ने वैज्ञानिक की पत्नी का पर्स उड़ा लिया, जिसमें करीब 15 लाख रुपये मूल्य के सोने के आभूषण और नकदी रखी थी। घटना फर्स्ट एसी कोच में हुई, जो सुरक्षा के लिहाज से सबसे सुरक्षित श्रेणी मानी जाती है। जीआरपी (Government Railway Police) के तमाम सुरक्षा दावों के बावजूद यह घटना न केवल यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अब रेलवे की प्रीमियम क्लास भी चोरों के निशाने पर है।
निराला नगर स्थित सीएसआईआर कॉलोनी में रहने वाले डॉ. मनीष भोयर, राष्ट्रीय पशु रोग सूचना संस्थान (NIVEDI) के प्रधान वैज्ञानिक हैं। वे अपने परिवार के साथ दीपावली की छुट्टियाँ बिताने महाराष्ट्र गए थे। 27 अक्टूबर को वे अपनी पत्नी भाग्यश्री भोयर और दो बच्चों के साथ हिंगणाघाट से लखनऊ बादशाहनगर के लिए राप्तीसागर एक्सप्रेस (12512) में सवार हुए। परिवार ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फर्स्ट एसी कोच (H-1) के ई-कूपे (सीट 13/14) में यात्रा की व्यवस्था की थी। उनका टिकट कंफर्म था और कूपे बंद केबिन वाला था, जिससे उन्हें यात्रा के दौरान गोपनीयता और सुरक्षा का भरोसा था।
वैज्ञानिक ने बताया कि यात्रा सामान्य रूप से चल रही थी। परिवार रात में आराम कर रहा था। 28 अक्टूबर की तड़के लगभग 4:30 बजे, जब उनकी आंख खुली, तो देखा कि केबिन का दरवाजा खुला हुआ है और उनकी पत्नी का लेडीज पर्स गायब है। पहले तो उन्हें लगा कि शायद पर्स कहीं इधर-उधर गिर गया होगा, लेकिन तलाश करने पर भी वह नहीं मिला। ट्रेन के झांसी क्षेत्र में पहुंचने तक पर्स का कोई सुराग नहीं मिला।
वैज्ञानिक ने बताया कि पर्स में उनकी पत्नी के कई कीमती सोने के आभूषण थे, जिनमें शामिल थे -
ट्रेन के लखनऊ स्टेशन पहुंचने पर वैज्ञानिक ने तुरंत जीआरपी चारबाग में जाकर घटना की सूचना दी। जीआरपी ने प्राथमिक जांच के बाद एफआईआर दर्ज कर मामला जीआरपी झांसी को स्थानांतरित कर दिया, क्योंकि चोरी की वारदात उसी क्षेत्राधिकार में हुई थी। जीआरपी अधिकारियों ने बताया कि जांच के लिए ट्रेन स्टाफ, टीटीई और कोच अटेंडेंट्स से पूछताछ की जा रही है। कोच के सीसीटीवी कैमरों (यदि सक्रिय थे) की फुटेज भी मांगी गई है।
राप्तीसागर एक्सप्रेस एक लंबी दूरी की सुपरफास्ट ट्रेन है, जो तिरुवनंतपुरम से गोरखपुर तक जाती है। फर्स्ट एसी कोच आमतौर पर सबसे सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इसमें सीमित यात्रियों के लिए बंद केबिन होते हैं और रेलवे अटेंडेंट्स तैनात रहते हैं। इसके बावजूद इस तरह की घटना होना यह दर्शाता है कि रेलवे सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक है। स्थानीय यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि अगर फर्स्ट एसी में भी चोरी हो रही है, तो बाकी कोचों में यात्रियों की सुरक्षा का क्या हाल होगा।
डॉ. मनीष भोयर ने जीआरपी से शिकायत में कहा कि उन्होंने हमेशा यह विश्वास किया था कि फर्स्ट एसी में सुरक्षा बेहतर होती है। हमने कंफर्म टिकट लेकर सफर किया, दरवाजा अंदर से बंद किया था। अगर फिर भी कोई अंदर घुस सकता है, तो यह सुरक्षा की बहुत बड़ी चूक है। उन्होंने रेलवे से अनुरोध किया है कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए रात में कोच अटेंडेंट्स की गश्त बढ़ाई जाए और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी सुनिश्चित की जाए।
जीआरपी झांसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है। ट्रेन की रोलिंग चार्ट, कोच अटेंडेंट्स और टीटीई के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। रेलवे के पास उपलब्ध कोच-लॉग्स की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि रात में केबिन का लॉक कैसे खुला। संभावना यह भी जताई जा रही है कि चोरों ने नींद की दवा (स्प्रे) या स्लीपर एजेंट्स का इस्तेमाल किया हो, जिससे यात्रियों को भनक न लगी हो।
इस घटना के बाद चारबाग जीआरपी प्रभारी ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ट्रेनों में रात्रिकालीन गश्त और निगरानी को बढ़ाया जाएगा। यात्रियों से भी अपील है कि अपने सामान को सुरक्षित रखें और किसी संदिग्ध व्यक्ति को तुरंत सूचित करें।
Published on:
03 Nov 2025 10:05 am
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