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Tripura CM Security Breach: मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सेंध: फर्जी अफसर ने हिला दी सुरक्षा व्यवस्था की नींव

Tripura CM Manik Saha Security Breach:   लखनऊ में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई है। दिल्ली का रहने वाला एक युवक खुद को एडीजी और आईआरएस अफसर बताकर मुख्यमंत्री के कमरे तक पहुंच गया। बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री को शक हुआ तो फर्जी अधिकारी की पोल खुल गई। आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 03, 2025

लखनऊ में सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल, दिल्ली का कोचिंग संचालक निकला आरोपी (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

लखनऊ में सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल, दिल्ली का कोचिंग संचालक निकला आरोपी (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

Tripura CM Security: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को उस समय हड़कंप मच गया जब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा की सुरक्षा में सेंध लग गई। सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों और कड़े प्रोटोकॉल के बावजूद एक व्यक्ति खुद को एडीजी (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) और आईआरएस अधिकारी बताकर मुख्यमंत्री के कमरे तक पहुंच गया। हैरानी की बात यह रही कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी और खुफिया इकाइयाँ उस फर्जी अफसर को रोक नहीं सकीं। मामला तब खुला जब मुख्यमंत्री को बातचीत के दौरान उस व्यक्ति पर शक हुआ। तत्काल कार्रवाई करते हुए सुरक्षा टीम ने उसे पकड़ लिया। पूछताछ में सामने आया कि वह व्यक्ति दिल्ली का रहने वाला प्रशांत मोहन है, जो UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की कोचिंग चलाता है और खुद भी कई बार परीक्षा दे चुका है।

होटल से मुख्यमंत्री के कमरे तक बिना रोकटोक पहुंचा बहरूपिया

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा दो दिवसीय लखनऊ दौरे पर थे और विभूतिखंड स्थित एक पांच सितारा होटल में ठहरे हुए थे। होटल परिसर में लखनऊ पुलिस, एलआईयू (स्थानीय खुफिया इकाई) और त्रिपुरा पुलिस के सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा था। हर आगंतुक की जांच की जा रही थी, लेकिन इस सबके बावजूद फर्जी अधिकारी होटल में आसानी से दाखिल हो गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रविवार सुबह एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होटल में पहुंचा। गार्डों ने जब पहचान पूछी, तो उसने बेहद सहजता से कहा कि वह एडीजी (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) है और सीएम साहा से मुलाकात करने आया है। उच्च पद का नाम सुनते ही मौके पर तैनात जवानों ने उसे सैल्यूट किया और बिना कोई पूछताछ किए आगे बढ़ने दिया। बहरूपिया बिना किसी रोक टोक के मुख्यमंत्री के कमरे तक पहुंच गया और उनसे मुलाकात भी कर ली।

मुख्यमंत्री को हुई भनक, तुरंत बुलाया सुरक्षा दल

बताया जा रहा है कि बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री साहा को व्यक्ति की बातों और व्यवहार पर संदेह हुआ। उन्होंने कुछ प्रशासनिक और सरकारी मुद्दों पर सवाल किए, जिनका जवाब वह व्यक्ति नहीं दे सका। तब मुख्यमंत्री ने तुरंत अपने सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर व्यक्ति की जांच कराने के निर्देश दिए। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि वह व्यक्ति न तो पुलिस विभाग में है और न ही किसी केंद्रीय सेवा में। जैसे ही फर्जीवाड़े का राज खुला, होटल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मुख्यमंत्री की सुरक्षा टीम ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर विभूतिखंड पुलिस के हवाले कर दिया।

कोचिंग चलाता था आरोपी, कई बार UPSC परीक्षा दी लेकिन सफल नहीं हुआ

पुलिस पूछताछ में आरोपी की पहचान प्रशांत मोहन (निवासी दिल्ली) के रूप में हुई। वह दिल्ली में एक UPSC कोचिंग संस्थान चलाता है और खुद भी कई बार इस परीक्षा में शामिल हो चुका है, लेकिन हर बार असफल रहा। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने होटल स्टाफ से खुद को आईआरएस अधिकारी बताया था और विशेष मुलाकात के लिए मुख्यमंत्री के कमरे तक जाने की अनुमति मांगी थी। उसने अपनी पहचान पक्की दिखाने के लिए नकली आईडी कार्ड भी तैयार कर रखे थे। हालांकि मौके पर उसके पास से कोई वैध सरकारी पहचान पत्र नहीं मिला।

सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की सुरक्षा ‘जेड प्लस’ श्रेणी की है, ऐसे में यह घटना सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही को उजागर करती है। मुख्यमंत्री के होटल तक फर्जी अधिकारी का पहुंच जाना न केवल पुलिस की सतर्कता पर सवाल खड़ा करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि वीआईपी सुरक्षा में मानवीय भूल कितनी खतरनाक साबित हो सकती है। जानकारों का कहना है कि किसी भी वीआईपी की सुरक्षा में होटल, स्थानीय पुलिस और इंटेलिजेंस टीमों के बीच सटीक समन्वय आवश्यक होता है। इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि पहचान सत्यापन प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया।

पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा, आरोपी जेल भेजा गया

विभूतिखंड थाने के प्रभारी निरीक्षक अमर सिंह ने बताया कि आरोपी प्रशांत मोहन के खिलाफ धोखाधड़ी, पहचान की जालसाजी और सरकारी कर्मचारी का रूप धारण करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्राथमिक जांच के बाद उसे जेल भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या आरोपी किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था या केवल मानसिक विकार या असफलता के चलते यह कदम उठा बैठा। उसकी पृष्ठभूमि, मोबाइल कॉल डिटेल और सोशल मीडिया गतिविधियों की भी जांच की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट, सुरक्षा एजेंसियों में मंथन शुरू

घटना की जानकारी त्रिपुरा सरकार और उत्तर प्रदेश के गृह विभाग तक पहुंचते ही हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने लखनऊ पुलिस और स्थानीय प्रशासन से घटना की पूरी रिपोर्ट मांगी है। इधर उत्तर प्रदेश के पुलिस मुख्यालय (डीजीपी कार्यालय) ने भी लखनऊ पुलिस से रिपोर्ट तलब की है कि आखिर फर्जी अधिकारी होटल में कैसे घुस गया और सुरक्षा घेरा क्यों नहीं सक्रिय हुआ। एलआईयू और होटल स्टाफ के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।