Benefits of quitting smoking in middle age|फोटो सोर्स – Patrika.com
Quitting Smoking: धूम्रपान छोड़ना एक मुश्किल फैसला हो सकता है, खासकर जब यह आदत कई सालों से बनी हो। बहुत से लोग सोचते हैं कि 40 या 50 की उम्र के बाद छोड़ने से कोई फायदा नहीं होगा, इसलिए वे इसे टाल देते हैं। लेकिन The Lancet में हाल ही में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है। इस स्टडी के अनुसार, 40 से 50 की उम्र में भी अगर कोई व्यक्ति धूम्रपान छोड़ता है, तो उसकी जिंदगी लंबी हो सकती है और कई गंभीर बीमारियों का जोखिम काफी कम हो जाता है।
यह रिसर्च 12 देशों के हजारों लोगों पर कई वर्षों तक की गई। वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की कि स्मोकिंग का असर याददाश्त, सोचने-समझने की क्षमता और दिमाग की कुल सेहत पर कैसे होता है। प्रतिभागियों को चार समूहों में बांटा गया था, जो कभी स्मोकिंग नहीं करते थे, जो अभी भी स्मोकिंग कर रहे थे, जिन्होंने 40 या 50 की उम्र में स्मोकिंग छोड़ी, और जिन्होंने 60 या उसके बाद यह आदत छोड़ी। हर व्यक्ति की मेमोरी, बोलने की क्षमता और सोचने की गति को समय-समय पर मापा गया और ट्रैक किया गया।
दिमागी कार्यों धीमी होती है, रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग स्मोकिंग छोड़ते हैं, उनके दिमागी कार्यों में गिरावट की रफ्तार कम हो जाती है।40-50 की उम्र में छोड़ना सबसे ज्यादा फायदेमंद, इस उम्र में स्मोकिंग छोड़ने वाले लोगों की मेमोरी और दिमागी क्षमता उन लोगों की तुलना में काफी बेहतर रहती है जिन्होंने स्मोकिंग जारी रखी।60 या 70 की उम्र में भी छोड़ना लाभदायक, भले ही इस उम्र में दिमागी कार्यों में सुधार थोड़ा सीमित हो, लेकिन स्मोकिंग छोड़ने से फर्क जरूर पड़ता है,जो कभी स्मोकिंग नहीं करते, उनकी दिमागी सेहत सबसे अच्छी होती है। यह दिखाता है कि स्मोकिंग से दूर रहना सबसे बेहतर है।किसी भी उम्र में छोड़ना फायदेमंद होगा।
आज भी कई लोग मानते हैं कि लंबे समय तक स्मोकिंग करने के बाद उसे छोड़ने से कुछ खास फायदा नहीं होगा। लेकिन यह रिसर्च साफ कहती है "देर से ही सही, छोड़ना जरूरी है।"ब्रेन हेल्थ केवल डिमेंशिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए नहीं होती, बल्कि इससे हमारी याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और स्वतंत्र रूप से जीवन जीने की योग्यता भी जुड़ी होती है।
अगर आप 40, 50 या 70 की उम्र में भी स्मोकिंग छोड़ते हैं तो आपकी याददाश्त बेहतर रहेगी , सोचने और समझने की क्षमता धीमी नहीं होगी साथ ही डिमेंशिया का खतरा कम हो जाएगा और दिमाग ज्यादा सक्रिय और स्वस्थ रहेगा।
Updated on:
14 Oct 2025 12:35 pm
Published on:
14 Oct 2025 12:18 pm
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