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Joint Pain Relief Yoga: सर्दियों में जोड़ों के दर्द को मिटाने के लिए ये 3 योगासन हो सकते हैं हर उम्र के लिए असरदार

Joint Pain Relief Yoga: अगर आपको भी ठंड के मौसम में जोड़ों में दर्द होता है, तो आपके लिए आयुष मंत्रालय ने तीन प्रभावशाली योगासन बताए हैं, जिन्हें करना फायदेमंद हो सकता है। ये योगासन आसान हैं और हर उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त हैं।

2 min read

भारत

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MEGHA ROY

Oct 15, 2025

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Effective yoga for joint stiffness|फोटो सोर्स – Freepik

Joint Pain Relief Yoga: सर्दियों का मौसम धीरे-धीरे दस्तक देने लगा है। ऐसे मौसम में बदलाव होने से अक्सर जोड़ों में अकड़न और दर्द की समस्या शुरू हो जाती है, खासकर उन लोगों के लिए जो बुजुर्ग हैं या जिनकी लाइफस्टाइल सक्रिय नहीं है। ऐसे में रोजमर्रा का कामकाज भी मुश्किल हो जाता है। अगर आपको भी ठंड के मौसम में जोड़ों में दर्द होता है, तो आपके लिए आयुष मंत्रालय ने तीन प्रभावशाली योगासन बताए हैं, जिन्हें करना फायदेमंद हो सकता है। ये योगासन आसान हैं और हर उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त हैं। आइए जानते हैं आयुष मंत्रालय के अनुसार वे कौन से 3 योगासन हैं, जिन्हें करना बेहद असरदार होता है।

भुजंगासन


भुजंगासन को रीढ़ की हड्डी के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसे करने के लिए व्यक्ति पेट के बल लेटता है और हाथों की हथेलियाँ छाती के पास रखकर धीरे-धीरे ऊपर की ओर छाती उठाता है। यह आसन कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और रीढ़ को लचीला बनाता है। जिन लोगों को कमर दर्द, गर्दन या कंधों में अकड़न होती है, उनके लिए यह योगासन बहुत ही फायदेमंद होता है। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द में भी राहत मिलती है।

त्रिकोणासन


त्रिकोणासन विशेष रूप से जोड़ों के लिए बेहद उपयोगी होता है, खासकर कूल्हे, घुटने और टखनों की कठोरता कम करने में। इस आसन में व्यक्ति सीधे खड़ा होकर दोनों पैरों को थोड़ा अलग रखता है, फिर एक पैर को बाहर की तरफ मोड़कर शरीर को उसी दिशा में झुकाता है ताकि हाथ जमीन को छू सके और दूसरा हाथ ऊपर की ओर उठता है। गर्दन को ऊपर की ओर घुमाकर देखने से यह आसन कई जोड़ों को फैलाने और उनमें लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है। इसे नियमित करने से जोड़ों का दर्द कम होता है।

गोमुखासन


गोमुखासन विशेष रूप से कंधों और कूल्हों की जकड़न दूर करने के लिए जाना जाता है। यह बैठकर किया जाने वाला एक प्रभावी योगासन है, जिसमें एक पैर को मोड़कर दूसरे पैर के नीचे रखा जाता है और दोनों हाथों को पीठ के पीछे से पकड़ने की कोशिश की जाती है। इस आसन से कंधों और कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनकी गतिशीलता बढ़ती है। जिन लोगों को कंधों और कूल्हों में अकड़न होती है, उनके लिए यह आसन बहुत लाभकारी साबित होता है। इसके अलावा, यह रीढ़ को मजबूत और सीधा बनाए रखने में भी सहायक होता है।