Post-Diwali Detox: दिवाली के बाद की थकान दूर करें इन आयुर्वेदिक डिटॉक्स टिप्स से (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Post-Diwali Detox: दीपावली का त्योहार रौशनी, खुशियों और ढेर सारी मिठाइयों का नाम है। मगर इन सभी के बाद एक सवाल हर किसी के मन में आता है। शरीर का क्या करें? लगातार मीठा खाने, भारी भोजन और पटाखों के धुएं से हमारा शरीर और पाचन तंत्र (Digestive System) थका हुआ और बोझिल महसूस करने लगता है।
आयुर्वेद इसे शरीर में आम (Toxins) के जमा होने से जोड़ता है। जब हम त्यौहारों के आनंद में अपनी पाचन अग्नि (Agni) को जरूरत से ज्यादा काम देते हैं, तो वह मंद पड़ जाती है, और बिना पचा हुआ भोजन आम बन जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए हमारे प्राचीन ग्रंथों में बहुत ही सरल और प्रभावी उपाय बताए गए हैं, जो आपके लिए किसी 'डिटॉक्स बूस्टर' से कम नहीं हैं।
चरक संहिता और अष्टांग हृदयम जैसे महान ग्रंथ इस बात पर जोर देते हैं कि त्यौहारों के बाद हमें अपनी पाचनशक्ति को तुरंत सहारा देना चाहिए। सुश्रुत संहिता में तो साफ-साफ कहा गया है कि अतिभोजन (Overeating) से जो दोष उत्पन्न होते हैं, उनसे निपटने का तरीका है लघु और सुपाच्य आहार!
सीधा-साधा फंडा: जब पेट की आग धीमी हो जाए, तो उस पर भारी लकड़ी नहीं, बल्कि हल्की घास डालनी चाहिए।
क्या खाएं? भारी पकवानों को बाय-बाय कहें। अब समय है खिचड़ी, दाल-चावल, दलिया या फिर सब्जियों के हल्के सूप का। यहां तक कि मांड (चावल का पानी) भी इस समय अमृत जैसा काम करता है, जो पेट को ठंडक देता है और आराम पहुंचाता है।
दिवाली के बाद सिर्फ पेट ही नहीं, बल्कि तनाव (Stress), थकान और धूल-धुएं से फेफड़े भी प्रभावित होते हैं। आयुर्वेद के पास इसके लिए दो बेहतरीन समाधान हैं:
अभ्यंग (Abhyanga): वात दोष का अंत त्यौहारों की भागदौड़ वात दोष को बढ़ाती है, जिससे थकान, बेचैनी और शरीर में दर्द होता है। रोजाना हल्के तिल के तेल या आयुर्वेदिक तेल से पूरे शरीर की मालिश (अभ्यंग) करें। यह रक्त संचार बढ़ाता है, मांसपेशियों को आराम देता है, और सबसे बड़ी बात यह मानसिक थकान को चुटकियों में दूर करता है! यह शरीर को सिर्फ आराम नहीं देता, बल्कि दिमाग को भी रीसेट करता है।
पाचन का पावर-पैक: त्रिकटु और हिंगवाष्टक अगर पेट फूला हुआ है, गैस बन रही है या खट्टी डकारें आ रही हैं, तो चरक संहिता में बताई गई ये जड़ी-बूटियां आपकी मदद करेंगी:
त्रिकटु: यह सौंठ (अदरक), काली मिर्च और पिप्पली का मिश्रण है। यह पाचन अग्नि को तेजी से बढ़ाता है और आम को पचाने में मदद करता है।
हिंगवाष्टक चूर्ण: हींग, जीरा और सेंधा नमक जैसे तत्वों से बना यह चूर्ण गैस और पेट की अम्लता (Acidity) को तुरंत शांत करता है। खाने से पहले थोड़ा सा लेना आपके पाचन तंत्र को सामान्य स्थिति में लौटा देता है।
दिवाली की तेज रोशनी, शोर और लगातार सामाजिक मेल-जोल हमारे मन में चिड़चिड़ापन और बेचैनी पैदा कर सकता है। मन को शांत करना भी उतना ही जरूरी है जितना कि पेट को साफ करना।
प्राणायाम: रोजाना केवल 10 मिनट अनुलोम-विलोम (Alternate Nostril Breathing) और भ्रामरी (Humming Bee Breath) करें। ये फेफड़ों से धुएं का असर कम करते हैं और मन को तुरंत शांत करते हैं।
मौन (Mouna): दिन में कम से कम 5 से 10 मिनट के लिए पूरी तरह मौन होकर बैठें। किसी भी विचार या आवाज पर ध्यान न दें। यह आपके शरीर और दिमाग के लिए सबसे प्राकृतिक और शक्तिशाली साइलेंट डिटॉक्स है।
दिवाली खत्म हो गई है, पर खुशियों का सिलसिला जारी रहना चाहिए। अपनी सेहत को नजरअंदाज न करें। इन सरल, पुराने और असरदार आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर आप न सिर्फ अपने शरीर को शुद्ध करेंगे, बल्कि अगले त्योहार के लिए तैयार भी हो जाएंगे।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
Published on:
21 Oct 2025 09:48 am
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