Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Guru Nanak Jayanti 2025: सिख धर्म की नींव रखने वाले गुरु की जयंती पर जानें इनसे जुड़ी 10 रोचक बातें

Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक जयंती या गुरुपुरब के रूप में मनाया जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन धूमधाम से मनाई जाती है। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि सभी के लिए एकता, प्रेम और मानवता का संदेश लेकर आता है।

3 min read
Google source verification

भारत

image

MEGHA ROY

Oct 30, 2025

guru Nanak Jayanti,Guru Nanak,Guru Nanak Birthday,Kartik Purnima,

Interesting Facts about Guru Nanak Dev Ji|फोटो सोर्स – Freepik

Guru Nanak Dev Ji Jayanti 2025: गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, जिनकी शिक्षाएं और जीवन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी जयंती, जिसे गुरु नानक जयंती या गुरुपुरब के रूप में मनाया जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन धूमधाम से मनाई जाती है। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि सभी के लिए एकता, प्रेम और मानवता का संदेश लेकर आता है। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन और उपदेशों के माध्यम से समाज में समानता, भक्ति और सच्चाई का मार्ग दिखाया। आइए, इस गुरु नानक जयंती पर उनके जीवन से जुड़ी 10 रोचक और प्रेरणादायक बातों को जानते हैं।

गुरु नानक देव जी से जुड़ी 10 प्रेरक बातें

जन्म और स्थान


गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिनमें हुआ था। उनका जन्म रावी नदी के किनारे बसे तलवंडी नामक गांव में हुआ, जो बाद में उनके सम्मान में ननकाना साहिब कहलाया।

परिवार का परिचय


उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद और माता का नाम माता तृप्ता देवी था। उनकी एक बड़ी बहन थीं बेबी नानकी, जो बचपन से ही नानक जी की अनन्य सखी और समर्थक रहीं।

बाल्यकाल और स्वभाव


गुरु नानक बचपन से ही साधारण जीवन और सांसारिक बातों से दूर रहते थे। वे अक्सर चिंतन, ध्यान और सत्संग में मग्न रहते थे। आध्यात्मिकता उनके स्वभाव का स्वाभाविक हिस्सा थी।

चमत्कारी प्रसंग


उनके बाल्यकाल में कई अद्भुत घटनाएं घटीं जैसे एक बार बालक नानक ध्यान में लीन रहे और सूर्य की तपिश से बचाने के लिए एक पेड़ की छाया स्वतः उनके ऊपर स्थिर रही। ऐसी घटनाओं से लोग उन्हें दिव्य आत्मा मानने लगे।

रूढ़िवादिता के विरोधी


नानक जी ने बहुत कम उम्र से ही धार्मिक पाखंड और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने तीर्थस्थलों की यात्राएं कर लोगों को सच्चे धर्म, समानता और एकता का संदेश दिया।

गृहस्थ जीवन


सन 1487 में गुरु नानक जी का विवाह माता सुलखनी देवी* से हुआ। उनके दो पुत्र हुए श्रीचंद और लखमीचंद।

उनका उपदेश


गुरु नानक जी कहते थे कि परमात्मा एक है और सबका है चाहे हिंदू हो या मुसलमान। वे मूर्तिपूजा और बाह्य आडंबरों को निरर्थक मानते थे। उनके उपदेशों ने दोनों समुदायों को समान रूप से प्रभावित किया।

‘सच्चे सौदे’ की कहानी


एक बार उनके पिता ने उन्हें 20 रुपये देकर व्यापार के लिए भेजा और कहा कि “सच्चा सौदा करके आना।” नानक जी ने रास्ते में भूखे साधुओं को भोजन कराया और बोले “यही सच्चा सौदा है।” यह प्रसंग आज भी सेवा और करुणा का प्रतीक माना जाता है।

आंतरिक पवित्रता का संदेश


उनका कहना था कि ईश्वर बाहर नहीं, मनुष्य के हृदय में निवास करता है। लेकिन जिस मन में नफरत, क्रोध या ईर्ष्या है, वहां ईश्वर नहीं बस सकता। इसलिए पहले मन को निर्मल बनाना आवश्यक है।

अंतिम समय और उत्तराधिकारी


जीवन के अंतिम वर्षों में गुरु नानक देव जी ने करतारपुर में निवास किया। वहीं उन्होंने 25 सितंबर 1539 को देह त्याग दी। जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना जी को गुरु पद सौंपा, जो आगे चलकर गुरु अंगद देव जी कहलाए।

गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएं

  • समानता और न्याय का संदेश: गुरु नानक देव जी ने समाज में भेदभाव खत्म करने और सभी को समान नजर से देखने की सीख दी। उनके अनुसार, हर इंसान समान है और किसी को भी जाति, धर्म या लिंग के आधार पर ऊंचा-नीचा नहीं समझना चाहिए।
  • एक ईश्वर में आस्था: उन्होंने सिखाया कि परमात्मा एक ही है और वह हर जगह मौजूद है। यही विचार लोगों को आपसी एकता और भाईचारे से जोड़ता है।
  • सेवा और समर्पण का महत्व: गुरु नानक देव जी ने निस्वार्थ सेवा और भक्ति को जीवन का आधार बताया। उन्होंने कहा कि दूसरों की भलाई करना ही सच्ची पूजा है और इसी से ईश्वर से सच्चा संबंध बनता है।

संबंधित खबरें