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बंगाल में इस बार चौंकाने वाले होंगे परिणाम, सर्वत्र खिलेंगे कमल: शिशिर

कोलकाता. शिशिर अधिकारी और शुभेंदु अधिकारी पिता-पुत्र बंगाल में कमल की सत्ता स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए दोनों लोकसभा चुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। भाजपा नेता शुभेंदु जहां स्टार प्रचारक के तौर पर पूरे बंगाल में लगातार सभाएं कर पार्टी उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए पसीने बहा रहे हैं, तो वहीं उनके पिता शिशिर अधिकारी अपने आवास कांथी में बैठकर एक मात्र मिशन में दिन-रात फोन घुमा रहे हैं।

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lotus will bloom everywhere: Shishir

This time the results will be shocking in Bengal, lotus will bloom everywhere: Shishir

पत्रिका साक्षात्कार: अधिक सीटें जीतकर पीएम मोदी को देना है उपहार

पुत्र शुभेंदु और पिता शिशिर अपने-अपने तरीके से संभाल रहे मोर्चा

केडी पार्थ
कोलकाता. शिशिर अधिकारी और शुभेंदु अधिकारी पिता-पुत्र बंगाल में कमल की सत्ता स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए दोनों लोकसभा चुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। भाजपा नेता शुभेंदु जहां स्टार प्रचारक के तौर पर पूरे बंगाल में लगातार सभाएं कर पार्टी उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए पसीने बहा रहे हैं, तो वहीं उनके पिता शिशिर अधिकारी अपने आवास कांथी में बैठकर एक मात्र मिशन में दिन-रात फोन घुमा रहे हैं। दोनों का एक ही लक्ष्य है कि बंगाल से अधिक सीटें जीतकर पीएम नरेंद्र मोदी को उपहार में देना है। लोकसभा चुनाव की सफलता हो या विफलता पिता-पुत्र दोनों के सिर मढ़ा जाएगी। विशेषकर शुभेंदु का करियर दांव पर है। चर्चा यह है कि इस बार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने शुभेंदु को खुलकर खेलने का अवसर दिया है। शुभेंदु के ही ज्यादातर उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं। प्रस्तुत हैं तीन बार के सांसद और तीन बार के विधायक शिशिर अधिकारी से लोकसभा चुनाव से जुड़े मुद्दे पर राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत के प्रमुख अंश।

सवाल: लगभग 62 साल यह पहला मौका है जो आप चुनाव प्रक्रिया से नहीं जुड़े हैं।

जवाब: मैं 1962-63 से लगातार चुनाव लड़ता रहा, लेकिन शारीरिक कारणों से इस लोकसभा चुनाव में मैं चुनावी सभाओं में हिस्सा लेने नहीं ले रहा हूं। पर मैं रोजाना दो हजार टेलीफोन कर लोगों से बातचीत कर रहा हूं। हर बूथ और ब्लॉक के कार्यकर्ताओं से उनकी लगातार बात हो रही है। मैं अपने मिशन में लगा हूं।

सवाल: क्या है आपका मिशन
जवाब: बंगाल से तृणमूल को हटाना।

सवाल: तृणमूल से इतनी नफरत क्यों? जबकि आप तृणमूल की स्थापना से जुड़े थे। तृणमूल ने आपको और आपके परिवार को क्या कुछ नहीं दिया।
जवाब: गलत, तृणमूल ने मुझे और मेरे परिवार को बदनामी के अलावा कुछ नहीं दिया। ममता बनर्जी मेरे परिवार को गद्दार कहती है। चोर कहा जा रहा है। हमने क्या गद्दारी की है? बताएं। वाममोर्चा का जब सिक्का चल रहा था, तो जंगलमहल में किसने ममता को साथ दिया था। अधिकारी परिवार ने मजबूत आधार मिदनापुर और जंगलमहल में तृणमूल के लिए तैयार किया। नंदीग्राम और नेताई आंदोलन का अधिकारी परिवार ने ही नेतृत्व दिया। वह दिन याद है जब नेताई से पांच शवों को लेकर शुभेंदु हमें बिना बताए कोलकाता के लिए रवाना हो गया था। तब केंद्रीय एजेंसी से उन्हें सूचना मिली कि शुभेंदु की सुरक्षा के लिए आप उनके पास जाएं। हम जब उसकी मदद के लिए निकले तो पता चला वह पांचों शवों को लेकर कोलकाता पहुंच गया है। जान हथेली पर लेकर उस दिन उसने यह काम किया था, क्योंकि तब जंगलमहल में माओवादियों का राज चल रहा था। उसी शुभेंदु को राजनीतिक स्तर पर खत्म करने की तृणमूल ने योजना बनाई। मिदनापुर के लोग तीन चीज से बेहद प्यार करते हैं। वह माछ (मझली), गाछ (पेड़), छाया। छाया यानी मेरा पुत्र। कोई मेरे बेटे को खत्म कर देना चाहेगा और मैं देखते रह जाऊं। यह कैसे हो सकता है।

सवाल: सुनने में आया कि आप तृणमूल में जाना नहीं चाहते थे? शुभेंदु ही आपको तृणमूल में लेकर गए?
जवाब: बिल्कुल सही बात है। मैं सारा जीवन वाममोर्चा से लड़ाई लड़ते रहा। मैं 1962-63 से कांथी नगरपालिका चेयरमैन रहा। जब तृणमूल ने वाममोर्चा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तो शुभेंदु ने ही मुझे तृणमूल में शामिल होने को कहा। उसके कहने पर ही मैं तृणमूल में गया और अब उसकी वजह से ही भाजपा में हूं।

सवाल: क्यों लोग तृणमूल को नहीं चाहते हैं
जवाब: क्योंकि तृणमूल अब केवल दो-तीन लोगों की पार्टी बनकर रह गई है। पहले सबकी सहमति पर निर्णय होते थे, लेकिन एक-एक कर सब तृणमूल को छोड़ते जा रहे हैं। अब तो तृणमूल के खत्म होने का समय आ गया है।

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सवाल: तृणमूल खत्म कैसे होगी? अभी भी तृणमूल सबसे बड़ी पार्टी है।

जवाब: जो हो गया, सो हो गया। अब राज्य की जनता इस भ्रष्ट सरकार को हटाना चाहती है। आपको लोकसभा चुनाव के दो चरणों के मतदान से अहसास हो जाना चाहिए। तृणमूल से अल्पसंख्यक वोटर विशेषकर मुस्लिम मतदाता और महिला मतदाता पूरी तरह खिसक चुके हैं।
सवाल: महिलाओं और मुस्लिम मतदाताओं का तृणमूल से मोहभंग क्यों हो गया?

जवाब: क्योंकि बंगाल में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। लक्ष्मी भंडार से महिलाओं का कल्याण नहीं होने वाला है। मुस्लिमों को भी लगने लगा है कि सरकार ने पिछले 14 साल से हमारे लिए कुछ नहीं किया।
सवाल: कहा जा रहा है कि अधिकारी परिवार की असली परीक्षा 25 मई को होगी?

जवाब: तमलुक, कांथी, घाटाल, झाडग़्राम और मिदनापुर को हम सौ फीसदी जीतेंगे। पुरुलिया, बांकुड़ा और विष्णुपुर का परिणाम भी चौंकाने वाला होगा। हम (अधिकारी परिवार) अपनी पूरी शक्ति लगा देंगे।
सवाल: पश्चिम बंगाल में भाजपा कितनी सीटें पाएगी? पार्टी 35 सीटें जीतने का दावा कर रही है।

जवाब: इस बार बंगाल में चुनाव परिणाम चौंकाने वाला होगा। यदि भाजपा 35 या उससे भी अधिक सीटें जीत जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
सवाल: उत्तर कोलकाता की क्या स्थिति है? क्या सुदीप बंद्योपाध्याय अपनी जीत बरकरार रख पाएंगे?

जवाब: उत्तर कोलकाता इस बार तृणमूल के हाथ से निकल सकता है।
सवाल: नरेंद्र मोदी को आप पुन: पीएम के रूप में क्यों देखना चाहते हैं? देश में भाजपा कितनी सीटें पा सकती है?

जवाब: मैंने अपने राजनीतिक जीवन में सात प्रधानमंत्री को देख चुका हूं। इनमें इंदिरा गांधी भी शामिल हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी बिल्कुल अलग हैं। मोदी देश के विकास के बारे में हर पल सोचते हैं। यह निश्चित है कि कम से कम 300 सीटें भाजपा ला रही है। इससे अंदाजा लगा लें कि एनडीए की कुल कितनी सीटें हो सकती हैं।