कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग में अंग्रेजों का भूत नहीं छोड़ रहा पीछा
केडी पार्थ
कोलकाता. अंग्रेज तो चले गए लेकिन, अंग्रेजों का भूत आज भी पीछा नहीं छोड़ रहा है। शाम होने के बाद राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग के एक छोर की तरफ जाने से सचिवालय के कर्मचारी कतराते हैं। उनमें इस बात की चर्चा है कि जेलों के कार्यवाहक महानिरीक्षक कैप्टन सिम्पसन की आत्मा आज भी राइटर्स बिल्डिंग में भटक रही है। रात में राइटर्स के गलियारों से लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस सिम्पसन की चहलकदमी की आवाज सुनाई देती है। कहा जाता है कि तृणमूल के कुछ नेताओं का भी इसपर विश्वास है। शायद यही कारण है कि प्रदेश में 34 साल बाद सत्ता परिवर्तन होने के कुछ ही महीनों के बाद राइटर्स से मुख्यमंत्री कार्यालय समेत 32 विभागों के कार्यालय को नवान्न समेत अन्य स्थानों पर ले जाया गया। इतिहास गवाह है कि पूर्वी बंगाल के तीन युवक बिनय बोस, बादल गुप्ता और दिनेश गुप्ता ने राइटर्स बिल्डिंग में घुसकर लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस सिम्पसन की गोली मारकर हत्या की थी। सिम्पसन तब भारत में जेलों के कार्यवाहक महानिरीक्षक थे। उन पर भारतीय कैदियों, विशेष रूप से क्रांतिकारी कैदियों के साथ क्रूर व्यवहार करने का आरोप था। यह घटना 8 दिसंबर, 1930 की है। तब से सिम्पसन की आत्मा के भटकने की चर्चा आज भी राइटर्स बिल्डिंग में होती है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1780 में राइटर्स बिल्डिंग बनवाई थी।
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2011 से पहले तीन मंजिला राइटर्स बिल्डिंग राज्य प्रशासन का मुख्य केंद्र था। तब हर मंत्री, आईएएस, आईपीएस अधिकारी चाहते थे कि उनका कार्यलय राइटर्स बिल्ंिडग में ही हो लेकिन, तृणमूल के सत्ता में आते ही कुछ ही माह बाद यह ईमारत लगभग खाली हो गई है। अब केवल दो विभागों के कुछ ही कार्यालय यहां रह गए हैं। जबकि पहले यहां राज्य के 34 विभागों के मंत्रियों के कार्यालय, उनके विभागों के अधिकारियों और 6000 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के कार्यालय होते थे। सभी विभागों के कार्यालय खाली होने से अब राइटर्स लगभग भूतहा बाड़ी जैसा नजर आने लगा है। आम बोल चाल की भाषा में लोग किसी भी सूनसान महल और पुरानी ईमारत को भी भूतहा बाड़ी कहते हैं।
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जीर्णोद्धार के नाम पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पहले 2013 के अक्टूबर महीने में राइटर्स बिल्डिंग को खाली किया। वे यहां से अपना कार्यालय गंगा नदी पार हावड़ा जिले के नवान्न ले गई। जब मुख्यमंत्री कार्यालय यहां से जाने लगा था तब घोषित किया गया कि छह महीने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय पुन: राइटर्स में होगा। आज लगभग 11 साल हो गए। राइटर्स के जीर्णोद्धार का काम पूरा नहीं हुआ।
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अधिकारियों के एक सूत्र का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री ममता राइटर्स में पुन: वापस आने में दिलचस्पी दिखाती तो जीर्णोद्धार का काम बहुत पहले ही हो जाता। यह आश्चर्य की बाद है कि राइटर्स के जीणोद्धार के लिए अभी तक कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है। सारा काम वार्षिक अनुरक्षण निधि से ही किया जा रहा है। राइटर्स के रखरखाव के लिए सालाना एक करोड़ रुपए पारित किया जाता है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने बताया कि काम पूरा करने के लिए लगभग 150 करोड़ रुपए से अधिक की आवश्यकता होगी। यह राशि कोई बड़ी राशि नहीं है लेकिन, सरकार की इच्छाशक्ति की कमी है।
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मैंने भी कुछ लोगों से राइटर्स बिल्डिंग में अंग्रेज कैप्टन की आत्मा के भटकने और रात में खट-खट की आवाज आने की बातें सुनी है लेकिन, सच्चाई क्या है, बता नहीं सकता।
प्रो. प्रदीप भट्टाचार्य, पूर्व मंत्री, पश्चिम बंगाल
Published on:
21 Oct 2024 05:19 pm
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