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राजभवन के तीन कर्मचारियों पर कस रहा पुलिस का शिकंजा, उनके खिलाफ जारी हो सकता है गिरफ्तारी वारंट

राजभवन के तीन कर्मचारियों पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। पुलिस की अनदेखी करने वाले तीन कर्मचारियों के खिलाफ अब कोलकाता पुलिस कड़ी कार्रवाई करने की मूड में है। जरूरत पडऩे पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी की जा सकती है।

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rajbhavan

Arrest warrant may be issued

कोलकाता . राजभवन के तीन कर्मचारियों पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। पुलिस की अनदेखी करने वाले तीन कर्मचारियों के खिलाफ अब कोलकाता पुलिस कड़ी कार्रवाई करने की मूड में है। जरूरत पडऩे पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी की जा सकती है। राजभवन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ नए सिरे से थाने में प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें पूछताछ के लिए रविवार को पुलिस ने बुलाया था। लेकिन राजभवन के तीनों कर्मचारिओं ने पुलिस के समन को गंभीरता नहीं देते हुए रविवार को थाने में उपस्थित नहीं हुए। इस कारण पुलिस अब अगली कार्रवाई करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
खबर है कि तीनों कर्मचारियों ने अब पुलिस से समय मांगा है। हालांकि, पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांचकर्ता उन्हें और समय नहीं देना चाहते हैं। तीन समन के बाद भी उपस्थित नहीं होने पर उनकी गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया जा सकता है।
जिन तीन लोगों को समन भेजा गया है उनमें एसएस राजपूत कोलकाता से बाहर बताए जा रहे हैं। राजपूत ने पुलिस से 10 दिन का समय और एफआईआर की कॉपी मांगी है। अन्य दो ने सात दिन का समय और एफआईआर की कॉपी मांगी है। तीन आरोपियों के अलावा चार और लोगों को पुलिस ने तलब किया है। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 160 के तहत नोटिस भेजा गया है। इसमें पीडि़ता का सुपरवाइजर भी शामिल है।
पिछले शुक्रवार की शाम शिकायतकर्ता ने कोर्ट जाकर पांच घंटे तक मजिस्ट्रेट को राजभवन घटना के संबंध में गुप्त बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस दिन राजभवन में उनके साथ छेड़छाड़ हुई, उस दिन उन्हें राजभवन से निकलने से रोका गया। पुलिस एफआईआर में एसएस राजपूत, कुसम छेत्री और संतलाल को नामित किया है। ये तीनों राजभवन में कार्यरत हैं। उन्हें रविवार सुबह पेश होने के लिए कहा गया था। उनके खिलाफ एक नई एफआईआर दर्ज की गई है।
पीडि़ता ने गवर्नर के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए हेयर स्ट्रीट थाने में लिखित शिकायत दर्ज करायी है। वह राजभवन का ही अस्थायी कर्मचारी है। किसी भी राज्य के राज्यपाल को भारत के संविधान द्वारा संरक्षण प्राप्त है। संविधान के मुताबिक उनके खिलाफ कोई आपराधिक जांच नहीं की जा सकती। इसलिए पुलिस महिला की शिकायत पर जांच शुरू नहीं कर सकी। हालाँकि, आरोपों की जाँच जारी है। पुलिस को उस दिन राजभवन का सीसीटीवी फुटेज मिला। इसकी जांच की जा रही है।
महिला का आरोप है कि वह राजभवन के कॉन्फ्रेंस रूम में राज्यपाल से मिलने गई थी। वहां गवर्नर ने उसके साथ दुराचार किया। महिला वहां से निकलकर पहले थाने पहुंची। बाद में थाने में शिकायत की। जब वह पुलिस चौकी जा रही थी तो कथित तौर पर राजभवन में कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोक लिया। हालाँकि, राज्यपाल ने आरोपों से इनकार किया है।
राज्यपाल के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद क्या करना है, यह जानने के लिए कोलकाता पुलिस ने संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली है। सूत्रों के मुताबिक, राजभवन के कर्मियों के खिलाफ जांच में कोई बाधा नहीं है। इसके बाद तीन कर्मियों के खिलाफ नयी प्राथमिकी दर्ज करायी गयी। उन्हें पूछताछ के लिए मंगलवार को बुलाया गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक तीनों ने समय मांगा है।