white topping road
नगरीय निकायों की नई सड़कों और पुल-पुलिया पर अब गड्ढे नहीं होंगे। उनकी आयु भी दो गुना तक बढ़ेंगी। सबकुछ योजना तो हुआ तो अब दिवाली बाद से नगर निगम क्षेत्र की सड़कों के निर्माण व्हाइट टॉपिंग टेक्नालॉजी का उपयोग होगा। इस टेक्नालॉजी के निर्माण में पोर्टलैंड सीमेंट कंक्रीट ( पीसीसी ) की एक परत के साथ निर्माण होगा। इस पद्धति में पुरानी, कमजोर ब्लैक-टॉप मार्गों के ऊपर टिकाऊ कंक्रीट सतह बनाती है।
नगरीय प्रशासन ने नई नीति जारी करते हुए कहा है कि मार्गों के आस-पास ग्रीन बेल्ट, ड्रेनेज सिस्टम का भी निर्माण अनिवार्य हो। डीपीआर में फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, स्ट्रीट लाइटिंग एवं जंक्शन डिजाइन भी जरूरत के हिसाब से शामिल करेंगे। इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। नई नीति का पत्र भेजकर पालन करने और नए एसओेआर का सुझाव भी मांगा है।
साइट पर संविदाकार से लैब की स्थापना करना होगा। टेस्ट में से 10 से 20 त्न टेस्ट मोबाइल लैब के माध्यम से होंगे। योजना में न्यूनतम 5 त्न पौध व हरित पट्टी का प्रावधान रखा है। मार्ग के किनारे ग्रीन बेल्ट डवलपमेंट, पौधरोपण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर अनिवार्य किया है।
नगरीय प्रशासन ने आदेश में कहा है कि निर्माण कार्य में उच्चतम गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया गया है। वर्तमान में जिन मार्गों के निर्माण की निविदा आमंत्रित की जा चुकी है। वित्तीय प्रस्ताव नहीं खोले गए हैं। डीपीआर और एस्टीमेट तैयार कराए जा रहे हैं। ऐसे कार्यों में नए प्रावधानों का समावेश करना है।
नगरीय प्रशासन ने निगम को भेजे गए पत्र में नए नियमों का पालन करने को कहा है। ये नियम उन मार्गों पर भी लागू होंगे, जिनका काम शुरु नहीं हुआ है। नए एस्टीमेट बनाने। और नए एसओआर की दरों का उपयोग करने को कहा है। इधर, नए नियमों के लागू होने से वर्तमान में चल रहे निर्माण कार्यों पर असर पड़ेगा। बताते हैं कि निगम में बीते माह किए गए 90 टेंडर फिलहाल अभी होल्ड पर हैं।
रोड मार्किंग व साइनेज की डिजाइन लाइफ कम से कम 10 वर्ष का प्रावधान किया है। मटेरियल की गुणवत्ता का निर्धारण आईएसकोड के साथ नए मादंड के मानकों में के आधार पर टेस्ट निर्धारित फ्रिक्वेंसी में किए जाएंगे। प्लास्टिक वेस्ट, लायऐश, वेस्ट रिसाइक्लिंग जैसी पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों का उपयोग प्रोत्साहित किया जाए। स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम यथासंभव शामिल हो। चेतावनी चिह्न, सोलर स्टड और रंबल स्ट्रिप लगाए जाएं।
व्हाइट टॉपिंग सड़क डामर (बिटुमेन)सड़क है जिसे मजबूत करने पोर्टलैंड सीमेंट कंक्रीट (पीसीसी) की एक परत के साथ निर्माण किया जाता है। पुरानी, कमजोर ब्लैक-टॉप सडक़ के ऊपर टिकाऊ कंक्रीट सतह बनाती है। समय वृद्धि के साथ गड्ढों का बचाव होता है। डामर की तुलना में इस पद्धति में निर्माण की आयु भी बढ़ेगी। उदाहरण आमतौर पर आयु 15-20 वर्ष होती है। लेकिन इस पद्धति में आयु दो गुना होगी। इस विधि का उपयोग गड्ढों के निर्माण को रोकने के लिए किया जाता है।
Published on:
13 Oct 2025 11:32 am
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