Substandard medicines supplied to Katni hospital
कटनी. बेपरवाह व बेदर्द सिस्टम के आगे छिंदवाड़ा में जहरीली कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण 19 मासूम बच्चे काल कलवित हो गए हैं। दवाओं की जांच व निगरानी में बेपरवाही का यह सिस्टम कटनी जिले में भी है। स्वास्थ्य विभाग निजी व सरकारी निगरानी में कमी के कारण बच्चों से लेकर बड़ों तक की जान से खुला खिलवाड़ हो रहा है। शहर से लेकर गांव-गांव झोलाछाप फर्जी डॉक्टर मरीजों की जान से खुला खिलवाड़ कर रहे हैं तो वहीं मनमानी दवाओं की सप्लाई भी खूब हो रही है। कटनी जिले में दवा के स्थान पर नशा के लिए उपयोग की जाने वाली कफ सिरप फेंसीड्रिल, कोडीन, कोडीस्टार, कोरेक्स की खूबर खपत हुई है। अभी भी कई सिरप व नाइट्रावेट का बोलबाला है। इन सबके बीच स्पास्थ्य विभाग की बड़ी खामी सामने आई है।
फरवरी माह से लेकर अबतक बात करें तो पांच दवाओं के सेंपल जांच में अमानक पाए गए हैं। इसमें सभी सीएमएचओ व सीएस ड्रग स्टोर जिला अस्पताल परिसर के हैं। इसमें एस्कोरेबिक एसिड टेबलेट, पेरासेटामोल पिडियाट्रिक ओरल सस्पेंस, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्स, पोली विटामिन टेबलेट, पेरासेटामोल पिडियाट्रिक ओरल सस्पेंस, एसिटेलोप्रास ऑक्सजेलेट टेबलेट शामिल है। ये सभी सरकारी सप्लाई थी जो सैकड़ों मरीजों को खिलाई जा रही थी वह फरवरी से लेकर अबतक की जांच में फेल हुए हैं, जिनकी सप्लाई प्रतिबंधित की गई है। बाज़ार में उपलब्ध कुछ अमानक या नकली दवाएं और सिरप स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। ये दवाएं अक्सर निर्धारित गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, जिनमें मिलावट, गलत मात्रा में सक्रिय तत्व या हानिकारक रसायन होते हैं। ऐसे सिरप और दवाओं का सेवन शरीर पर कई प्रकार के दुष्प्रभाव डाल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा हर माह 8 से 10 सेम्पल दवाओं के लेकर औषधी परीक्षण प्रयोगशाला भोपाल भेजे जा रहे हैं। 2024 में 103 सेंपल लिए गए थे, उनमें से अबतक 70 दवाओं की जांच रिपोर्ट नहीं आई। इसी प्रकार इस साल 50 से अधिक नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं, जिनमें से 23 की जांच रिपोर्ट अबतक प्रयोगशाला से अप्राप्त है। प्रयोगशाला से रिपोर्ट आने में 3 से लेकर 8 माह तक का वक्त लग रहा है, जबतक बाजार में अमानक दवाएं खप जा रही हैं और मरीजों के पेट में जाकर उनके लिए जहर का काम कर जा रही हैं।
कहावत है ‘आग लगने पर कुआं खोदना…। यह पंक्ति जिले में सटीक बैठती है। हमेशा हादसा होने के बाद विभाग व पुलिस-प्रशासन जागता है और सजगता का ढोंग करता है। फिर वहीं ढांक के तीन पात वाली कहात हो जाती है। छिंदवाड़ा कांड के बाद विभाग सक्रिय हुआ है और शहर में हर दिन जांच चल रही है। ड्रग इंस्पेक्टर की टीम ने 5 अक्टूबर को 8 दवा दुकानों में, 6 अक्टूबर को 3 दवा कारोबारियों के यहां व 7 अक्टूबर को ड्रग व फॉर्मा हाउस में दवाओं की जांच की है।
शुरुआत में जो जहरीली कफ सिरप कोल्ड्रिफ थी उसकी जांच की गई, वह जिले में तो नहीं पाई गई। विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बाद तीन दवा रेस्पीफ्रेश, रिलाइफ, रेस्पीफ्रेश एडी की जांच ड्रग हाउस मालवीय गंज, दिलीप आसरानी आदि के यहां जांच की गई है। इनके भी विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। इसी प्रकार संजय आहूजा फार्म हाउस हनुमानगंज के यहां से 3 दवाओं के सेम्पल लिए हैं। सेफ फार्मा में रिलाइफ एडवांस जूनियर, रिलाइफ सीएफ सिरप, रिलाइफ डीएस सिरप का सेम्पल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है।
इन दिनों युवा व अपराधी नशे के रूप में नाइट्रावेट का खूब उपयोग कर रहे हैं। माधवनगर हत्याकांड के तीनों आरोपियों द्वारा नाइट्रावेट खाए जाने की बात कही गई है। कुछ दिनों पहले चौपाटी चाकूबाजी कांड, कुठला चाकूबाजी कांड में भी नाइट्रावेट खाया जाना बताया जा रहा है। शहर की कुछ मेडिकल, दुकानें में इसकी बिक्री हो रही है। नशे के सौदागर भी इसकी तस्करी कर रहे हैं। नशीले इंजेक्शन व दवाएं खूब बिक रही हैं। हैरानी की बात तो यह है कि पुलिस-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग इस पर ध्यान नहीं दे रही। जिले में कोडीस्टार, फेंसीड्रिल, कोरेक्स सहित अन्य कोडीन वाली सिरप का नशेडिय़ों ने खूब उपयोग किया है।
अमानक दवाओं के दुष्प्रभाव
यह रखें सावधानी
वर्जन
लगातार जिले में जांच कर्रवाई कर दवाओं के सेम्पल लेकर औषधी प्रयोगशाला भोपाल भेजे जाते हैं। सीएमएचओ व सीएस स्टोर की 6 दवाएं अमानक पाए जाने पर प्रतिबंधित कर दी गई हैं। जिले में डेढ़ साल में 93 सिरप व दवाओं की रिपोर्ट नहीं आई है। हाल में कई सेम्पल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाती है। जिले में लगातार जांच व निगरानी की जा रही है, ताकि अमानक व प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री न हो।
मनीषा धुर्वे, ड्रग इंस्पेक्टर।
Published on:
10 Oct 2025 08:19 pm
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