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कॉम्बीनेशन वालीं दवाएं बाजार में मेडिकलों से हुईं गायब, दवा खपाने पर डॉक्टरों को मिल रहा कंपनियों से कमीशन!

कोई कर रहा विदेश की सैर तो कोई खरीद रहा एसी-कार, भैतिक सुख-सुविधाओं का मिल रहा लाभ, कई चिकित्सक एक्टिविटी के नाम पर ले रहे नकद, झोलाछाप डॉक्टरों से दवा कारोबारी काट रहे चांदी

4 min read

कटनी

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Balmeek Pandey

Oct 14, 2025

CG News: दवा के ओवरडोज से मरीज हो रहे हैं बीमार, फूड एंड ड्रग विभाग की कार्रवाई शून्य...

Painkiller side effects painkiller medicine Effect of painkillers on the liver

कटनी. छिंदवाड़ा में जहरीली कोल्ड्रिफ कफ सिरप डेड़ दर्जन से अधिक नौनिहालों के लिए काल बनकर सामने आई। इस हादसे ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रही व्यापक गड़बड़ी का भांडा फोडकऱ रख दिया है। अमानक दवाएं, बगैर सही जांच की दवा, अनावश्यक दवाएं मरीजों को टिकाने का खेल कटनी जिले में भी बदस्तूर जारी हैं। छिंदवाड़ा कांड के बाद भले ही बाजार से खांसी वाली व खासकर कॉम्बीनेशन वाली दवाएं बाजार में मेडिकलों से गायब कर दी गई हैं, लेकिन इससे कहीं ज्यादा बेवजह दवाएं खपाने का खेल शव व जिले में चल रहा है। सूत्रों की मानें तो दवा कंपनियों की दवाएं खपाने पर डॉक्टर को कमीशन तक दिया जा रहा है। कमीशन के तौर पर नकद, देश-विदेशी टूर सहित महंगे आइटम गिफ्टकर उपकृत किया जा रहा है। शहर के एक डॉक्टर को विदेशी टूर कराया जाना सुर्खियों में है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर व जिले में दवा कंपनियां कैश भी देती हैं। सीधे डॉक्टरों को चेक तक भेजते हैं। नेशनल व मल्टी नेशनल कंपनियां लाभ पहुंचा रही हैं। तय लक्ष्य को पूरा करने पर (दवा लिखने) राशि मुहैया कराई जाती है। एक्टिविटी के नाम पर यह खेल हो रहा है। इसे सीधा लाभ न बताकर अलग रूप दिया जा रहा है। कई डॉक्टर टूर लेते हैं। जो चिकित्सक टूर नहीं चाहते तो कैश करा लेते हैं। कोई एसी, फर्नीचर, कार,
भौतिक सुखों का लाभ लेते हैं।

ऐसे हो रहा खेल

हर तीन माह में व्यक्ति इंदौर, नागपुर, हिमांचल सहित कई प्रदेश व शहर जाकर छोटी दवा कंपनियों से मिलता है और अपने ब्रांड का नाम देता है। दवा एक साल तक टाइअप करके दवा बाजार में चलवाता है। उस दवा से लाभ कमाया जाता है। इसी प्रकार सीधे कंपनियां दवाएं बाजार में खपा रही हैं। प्रतिनिधि चिकित्सकों से संपर्क कर दवाएं बताते हैं। लाभ का लालच दिखाते हैं और फिर दवाएं लिखते हैं। शहर में ऐसी अधिकांश अस्पताल हैं जिनकी खुद की मेडिकलें हैं और वहां के चिकित्सक द्वारा लिखीं जाने वालीं दवाएं सिर्फ उन्हीं के यहां मिलती हैं। दवाओं में 20 से 30 प्रतिशत तक बाजार में छूट मिलती है, लेकिन वहां रेट-टू-रेट दवाएं दी जाती हैं।

नियर एक्सपायरी का चल रहा खेल

जेनरिक दवाओं में नियर एक्सपायरी का खेल चल रहा है। इसमें एक्सवायरी सेटल नहीं होती। सेटल न होने पर स्टॉकिस्ट मनमानी करते हैं। उदाहरण के दौरान पर 11वें व 12वें माह में एक्सपायरी होती है तो झोलाछाप व फर्जी डॉक्टरों को उन्हें कम दाम पर टिका देते हैं, जिसका रिकॉड भी नहीं रखना पड़ता। रिकॉर्ड में हेराफेरी करके दवाएं खपाते हैं। इथिकल में दवा एक्सपायरी दवा वापस होती हैं। वापसी में 30 से लेकर 50 प्रतिशत तक में दवा वापस कर लेती हैं।

बाजार से गायब ऐसी दवाएं

कोल्ड्रिफ कांड सामने आने के बाद कॉम्बीनेशन वालीं दवाओं को बाजार से गायब कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार एक ही दवा में तीन से चार दवाएं शामिल कर दी जाती हैं, ताकि मरीज को अलग-अलग दवा न खानी पड़े, एक ही दवा में काम हो जाए। मरीज को यह दवा मंहगी भी दी जाती है। उसे बाजार से गायब कर दिया गया है। इसके अलावा बच्चों के कई सिरप, बड़ों की दवाएं व मल्हम आदि को गायब कर दिया गया है।

कटघरे में सरकारी अस्पतालों की दवाएं!

सरकारी अस्पताल में जितनी दवाएं सप्लाई होती हैं, वह नॉन ब्रांडेड रहती हैं। बड़ी कंपनियों से दवाएं नहीं बनवाई जातीं, जहां पर रिसर्च होकर बनती हैं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। हाल ही में सरकारी सप्लाई की छह दवाएं फेल हो चुकी हैं। अमानक पाए जाने पर दवाओं को बंद कर दिया गया है। इसमें एस्कोरेबिक एसिड टेबलेट, पेरासेटामोल पिडियाट्रिक ओरल सस्पेंस, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्स, पोली विटामिन टेबलेट, पेरासेटामोल पिडियाट्रिक ओरल सस्पेंस, एसिटेलोप्रास ऑक्सजेलेट टेबलेट शामिल है।

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फर्जी क्लीनिक वाले खपा रहे दवाएं

शहर व जिले में सबसे ज्यादा दवाओं का खेल झोलाछाप डॉक्टर कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इन दिनों शव व जिले में मेडिकल स्टोर्स की बाढ़ आई हुई है। मेडिकल के आसपास सहित एक से दो किलोमीटर की रेंज में कोई डॉक्टर नहीं हैं, इसके बाद भी दवाएं धड़ल्ले से बिक रहीं हैं। इसकी मुख्य वजह झोलाछाप डॉक्टर व छुटभैया डॉक्टर हैं। जो दवा कंपनियों के प्रतिनिधि के इशारे पर दवाओं को लिखते हैं। इन डॉक्टरों के पान तो वैध डिग्री होती है और ना ही अनुभव। जिले में 3 हजार से अधिक झोलाछाप मरीजों की जान से खुला खिलवाड़ कर रहे हैं।

शराब छुड़ाने की दवा से बिगड़ी तबीयत, युवक अस्पताल में भर्ती

कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत बस स्टैंड चौकी के नदी पार क्षेत्र में संचालित एक उसमानी दवाखाने में शराब छुड़ाने की दवा लेने के बाद एक युवक की तबीयत बिगड़ गई। बताया जा रहा है कि दवा के इंफेक्शन से युवक के शरीर पर दाने निकल आए। जानकारी के अनुसार पाठक वार्ड निवासी नारायण चौरसिया ने बताया कि करीब 15 दिन पूर्व वह शराब छुड़ाने की दवा लेने नदी पार स्थित उसमानी दवाखाना गया था। वहां से उसे 15 दिन की दवा दी गई। दवा के सेवन के बाद से ही उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती रही, उल्टी, दस्त, सांस फूलना और शरीर पर दाने निकलने जैसी समस्याएं होने लगीं। सोमवार को हालत खराब होने पर नारायण जिला अस्पताल पहुंचा। मामले की जानकारी मिलते ही सीएमएचओ डॉ. राज सिंह ठाकुर ने तत्काल टीम भेजकर दवाखाने की जांच के निर्देश दिए। सीएमएचओ ने जिलेवासियों से कहा है कि वे केवल रजिस्टर्ड चिकित्सकों से ही इलाज कराएं। जिले में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक डॉक्टरों की पंजीकृत सूची उपलब्ध है। बिना रजिस्ट्रेशन वाले डॉक्टर या झोलाछाप वैद्यों से इलाज कराने से बचें। उन्होंने इस मामले में जांच के बाद आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।्र

वर्जन
शहर व जिले में लगातार दवा दुकानों की जांच कराई जा रही है। सेम्पल लेकर औषधी प्रयोगशाला भेजी जा रही है। रिपोर्ट आने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। जो दवाएं प्रतिबंधित हैं यदि वे विक्रय करते पाई जातीं हैं तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी। झोलाछा डॉक्टरों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
डॉ. राज सिंह, सीएमएचओ।