
जलती हुई बस। फाइल फोटो- पत्रिका
जोधपुर। 14 अक्टूबर को जोधपुर-जैसलमेर रूट पर हुए भीषण बस अग्निकाण्ड के बाद केवल इस बस की ही नहीं बल्कि सड़कों पर दौड़ रही अन्य प्राइवेट बसों की गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। साथ ही नियमों की धज्जियां उड़ा सड़क पर दौड़ती इन बसों को पास करने वाले अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई है।
यातायात नियमानुसार परिवहन विभाग बस संचालन संबंधित मानकों व औपचारिकताओं पर खरा उतरने के बाद ही बस को सड़क पर उतारने के लिए हरी झण्डी देता है, लेकिन चित्तौड़गढ़ प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के अधिकारी ने आंखें मूंद मानकों पर खरी नहीं उतरने वाली बस को पास कर दिया और बस को सड़क पर उतरने का अधिकार दे दिया। जबकि इसी बस को जोधपुर आरटीओ ने सही मानकों का नहीं होने पर रिजेक्ट कर दिया था। अगर चित्तौड़गढ आरटीओ भी जोधपुर के आरटीओ के नक्शे कदम पर चलते, तो हादसे में 28 निर्दोष लोगों की जान नहीं जाती।
विभागीय सूत्रों के अनुसार यह बस सितम्बर में जोधपुर के आरटीओ कार्यालय में आई थी, लेकिन तत्कालीन आरटीओ जेपी बैरवा ने बस को निर्धारित मानकों पर खरा नहीं पाए जाने पर पंजीयन करने से मना कर दिया था।
बता दें कि जोधपुर के अस्पताल में 15 लोग भर्ती हुए थे। इनमें से 7 लोगों की उपचार के दौरान मौत हो गई। अब तक चार को डिस्चार्ज किया गया। तीन लोग यहां से बिना चिकित्सकीय अनुमति के उपचार के लिए अन्य शहरों में गए हैं। एक महिला मरीज अब तक अस्पताल में भर्ती है।
Updated on:
31 Oct 2025 02:31 pm
Published on:
31 Oct 2025 02:23 pm
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग


