
खदान। फाइल फोटो- पत्रिका
जोधपुर। जोधपुर के सैंड स्टोन, मेसेनरी स्टोन, लाइम स्टोन की खदानों और उनके जुड़े उद्योगों पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। खदानों से जुड़े 10 किलोमीटर क्षेत्र में जितनी वन्यजीव प्रजातियां आती हैं, उस लिहाज से वन्यजीव प्लान में वसूली और इसके बाद ही पर्यावरणीय स्वीकृति जारी होने के आदेश पर्यावरण मंत्रालय के स्टेट एनवायरमेंट इपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (एसईआइएए) ने जारी किया है।
एसईआइएए की ओर से एक आदेश जुलाई 2025 में जारी हुआ। इसमें पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए वन्यजीव प्लान को लागू करने और उस लिहाज से खदानों से वसूली करने के आदेश दिए गए। किसी खदान के 10 किमी क्षेत्र में कितने प्रकार के वन्यजीव आते हैं, उसमें प्रति वन्यजीव प्रजाति 5 लाख रुपए तक की वसूली होगी।
जोधपुर व आस-पास के क्षेत्रों में यह संख्या 15 से अधिक है। ऐसे में एक हेक्टेयर की छोटी खदानों पर 75 लाख से ज्यादा की वसूली होगी। इसके अलावा प्रति पौधे के लिए 2 हजार रुपए शुल्क हरित पट्टी नियम में निर्धारित किया गया है। यदि कोई उद्यमी 100 पौधे लगाता है तो उसे दो लाख रुपए जमा करवाने होंगे।
वन्यजीवों की संख्या के हिसाब से अग्रिम राशि लेना व हरित पट्टी के नाम पर एक पौधे पर 2 हजार की वसूली बहुत ज्यादा है। उद्यमियों के साथ माइनिंग विभाग व वन विभाग भी इसका विरोध कर रहा है।
वन्यजीव प्लान के तहत वसूली करने से छोटी इकाइयों पर बड़ा भार पड़ेगा। जिसकी इकाई की लागत ही 50 लाख है, उससे वसूली 80 लाख की हो रही है। इसको वापस लेना चाहिए।
Updated on:
31 Oct 2025 04:01 pm
Published on:
31 Oct 2025 03:57 pm
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