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जैसलमेर बस अग्निकांड: वायुसेना में जाने का सपना था… घर पहुंचा शव, अब तक 24 की मौत

जैसलमेर में बस दुखान्तिका मामले में शनिवार को दो और युवकों की मृत्यु हो गई। इसमें एक मृतक सिर्फ 35 प्रतिशत और दूसरा 70 प्रतिशत झुलसा था।

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Mahipal-Singh
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जली हुई बस और इनसेट में मृतक महिपाल सिंह। फोटो: पत्रिका

जोधपुर। जैसलमेर में बस दुखान्तिका के मामले में शनिवार को दो और युवकों की मृत्यु हो गई। इसमें एक मृतक सिर्फ 35 प्रतिशत और दूसरा 70 प्रतिशत झुलसा था। हादसे में अब तक 24 जनों की मृत्यु हो चुकी है और दस व्यक्ति अभी भी भर्ती हैं।

हादसे में जैसलमेर जिले के रामदेवरा क्षेत्र में एका गांव निवासी महिपाल सिंह (20) पुत्र नागसिंह 35 प्रतिशत झुलस गया था। उसकी सांस नली में धुआं भर गया था। महात्मा गांधी अस्पताल की बर्न यूनिट में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। वह जैसलमेर में वायुसेना भर्ती परीक्षा देने के बाद बस में गांव लौट रहा था।

गुहार लगाने वाले युवक की मौत

बस में आग से झुलसने के बाद वह बाहर निकल आया था और अस्पताल पहुंचाने के लिए लोगों से मदद के लिए गिड़गिड़ाया था, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की थी। अब युवक की अस्पताल में मौत हो गई है।

एक और युवक ने तोड़ा दम

उधर, जैसलमेर में एनएनयू कॉलोनी निवासी मनोज भाटिया (35) पुत्र राजेश्वर का भी रात आठ बजे बर्न यूनिट में दम टूट गया। हादसे में अब तक 24 जनों की मृत्यु हो चुकी है। 19 जनों की मौके पर और चार अन्य ने अस्पताल में दम तोड़ा था।

वायुसेना में जाने का सपना था…घर पहुंचा शव

जैसलमेर में पिछले दिनों वायुसेना भर्ती परीक्षा थी। महिपाल सिंह भी भर्ती परीक्षा देने गया था। 13 अक्टूबर को पिता ने उसे जैसलमेर छोड़ा था। रात को वह रिश्तेदार के घर ठहर गया था। दूसरे दिन परीक्षा देने के बाद पिता उसे लेने आने वाले थे, लेकिन परीक्षा के बाद वह दोपहर तीन बजे निजी स्लीपर बस में सवार हो गया था। रास्ते में उसने घर फोन कर कहा था कि वह घर आ रहा है। कोई लेने नहीं आए। वह सेना में भर्ती होना चाहता था, लेकिन उसका शव गांव पहुंचा।

10 व्यक्ति अभी भी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे

हादसे में 16 लोग झुलस गए थे। इन्हें एमजीएच की बर्न यूनिट रैफर किया गया था। हुसैन की रास्ते में मृत्यु हो गई थी। जबकि युनूस का दूसरे दिन, गुरुवार को भगा बानो और शनिवार को महिपाल व मनोज भाटिया का दम टूट गया था। लक्ष्मण को शुक्रवार को छुट्टी दे दी गई थी। 11 झुलसे अभी भी बर्न यूनिअ में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।