Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

‘जो होना था, वो हो गया… अब बचा लो मुख्यमंत्री जी’: अतीक के बेटे अली का झांसी जेल शिफ्ट पर फूटा दर्द

माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद को झांसी जेल शिफ्ट किया गया। 38 महीने से नैनी सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक से प्रयागराज से 420 किमी दूर झांसी जेल शिफ्ट कर दिया गया।

2 min read

झांसी : माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद को झांसी जेल शिफ्ट किया गया। 38 महीने से नैनी सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक से प्रयागराज से 420 किमी दूर झांसी जेल शिफ्ट कर दिया गया। जेल गेट पर मीडिया के सामने पहली बार खुलकर बोलते हुए अली ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई 'जो होना था, वो हो गया। अब सरकार के नाम पर कुछ लोग परेशान कर रहे हैं, हमें बचा लीजिए।' रास्ते की कठिनाइयों का जिक्र करते हुए उसने कहा, 'पानी पीने तक न दिया गया।' यह अपील उसी दिन आई, जब शासन ने अली की जेल बदलने का आदेश जारी किया था।

जान पर खतरे की चीख… दिल्ली की पढ़ाई छुड़वा जेल भेजा

अली ने जेल पहुंचते ही मीडिया से घेराबंदी कर ली। सिर पर कैप, चेहरे पर पिता अतीक जैसी मूंछें - उसकी आंखों में डर साफ झलक रहा था। 'मैं तो दिल्ली में लॉ कर रहा था। फर्जी मुकदमों के बहाने जेल भेज दिया। यहां 8 और केस ठोक दिए। नैनी में नियमों का पालन कर रहा था, लेकिन परेशान करने को झांसी भेजा।' अली ने अपनी जान को खतरा बताया, 'अल्लाह जाने सुरक्षित रहूंगा या नहीं। CM से बस इतना कहना है—बेवजह सताया जा रहा है।' उसने रास्ते की त्रासदी भी बयां की: 'छोटे चैंबर वाली गाड़ी में 5-6 लोगों को ठूंसकर लाया। होम डिस्टिक्ट से दूर भेजने का मतलब? पानी तक न मिला।' नैनी जेल में कैश बरामदगी के सवाल पर अली ने सफाई दी, 'वो कूपन के लिए था, जेल में अलाउड है। वकीलों से मुलाकात मैनुअल के मुताबिक होती थी।'

भाई का एनकाउंटर… मां फरार, अली अकेला

24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद CM योगी ने विधानसभा में कहा था—'माफिया को मिट्टी में मिला देंगे।' 15 अप्रैल को अस्पताल ले जाते वक्त अतीक और चाचा अशरफ की गोली मार हत्या हो गई। बड़ा भाई असद का एनकाउंटर झांसी के पास ही हुआ। मां शाइस्ता परवीन फरार है। अली अकेला बचा, जो 30 जुलाई 2022 को प्रॉपर्टी डीलर जीशान उर्फ जानू से 5 करोड़ रंगदारी के आरोप में सरेंडर कर जेल पहुंचा। उमेश पाल केस में भी उसका नाम आया।

शिफ्टिंग हाई ड्रामा वाली थी। सुबह 6:10 बजे नैनी से निकला काफिला—20 सशस्त्र पुलिसकर्मी, 4 क्विक रिस्पांस टीम मेंबर और एक PAC दस्ता। दोपहर 3 बजे झांसी जेल पहुंचा। मीडिया का भारी जमावड़ा, पुलिस ने मुश्किल से गेट खोला। अंदर तलाशी के बाद तन्हा बैरक में बंद। वरिष्ठ अधीक्षक विनोद कुमार ने कहा, 'अली को नियमों के तहत रखा जाएगा।' नैनी के अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने पुष्टि की—'शासन के आदेश पर शिफ्ट।'

झांसी जेल की संवेदनशीलता जगजाहिर है। यहां मुख्तार अंसारी लंबे समय बंद रहा, बाद में बांदा में हार्ट अटैक से मौत। मुख्तार का राइट हैंड मुन्ना बजरंगी भी यहीं था।