
स्वर्णनगरी के ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर पर सोमवार शाम आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के अवसर पर पूर्वांचल से जुड़े प्रवासी परिवारों ने छठ महापर्व श्रद्धा और भक्ति-भाव से मनाया। निर्जला व्रत रखकर व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अघ्र्य अर्पित किया और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान गड़ीसर के घाटों पर उत्साह, उमंग और आस्था का अनोखा नजारा दिखाई दिया। महिलाओं ने षष्ठी माता की कथा सुनी और तालाब के बीच जाकर सूर्यदेव की पूजा की। कई श्रद्धालुओं ने भरे हुए तालाब में नौकायन का आनंद भी लिया। शाम ढलते ही गड़ीसर सरोवर के तटों पर हजारों व्रती और दर्शनार्थी एकत्र हुए, जहां दीपों और फूलों से सजा वातावरण आध्यात्मिक आभा बिखेर रहा था।
बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड से जुड़े प्रवासी परिवारों ने पारंपरिक गीतों और भजनों के साथ पूजा-अर्चना की। छठ व्रत के दौरान खेतों की नई फसल से बने प्रसाद का उपयोग किया गया। देश के विभिन्न हिस्सों से सेना, बीएसएफ, केंद्रीय और राज्य सेवाओं में कार्यरत कर्मियों ने भी परिवार सहित छठ पर्व मनाया। गड़ीसर पर जुटी भीड़ में स्थानीय नागरिकों के साथ बड़ी संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक भी मौजूद थे। विदेशी सैलानियों के लिए यह दृश्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। उन्होंने व्रतियों की पूजा और अघ्र्य दृश्य की फोटोग्राफी करते हुए भारतीय संस्कृति की झलक को कैमरे में कैद किया।
कार्तिक शुक्ल सप्तमी के अवसर पर मंगलवार को प्रात: व्रतियों द्वारा उदित होते सूर्य को अघ्र्य अर्पित किया जाएगा। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ व्रत का समापन होगा। पूजा-अर्चना के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और प्रसाद ग्रहण कर व्रत पूर्ण करेंगे।
Published on:
27 Oct 2025 09:19 pm
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